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गर्मी बढ़ने के साथ गंदगी से पटने लगी खैरागढ़ की जीवनदायिनी नदियाँ

सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़(मनोहर सेन) . गर्मी बढ़ने के साथ ही खैरागढ़ अंचल की की जीवनदायिनी नदियाँ गंदगी से पटने लगी हैं. हालात यह हैं कि अंचल की तीनों प्रमुख नदियों आमनेर, पिपरिया व मुस्का नदी की हालत इन दिनों बेहद खराब हो चली हैं. बता दे कि अप्रैल की समाप्ति से पहले ही तीनों प्रमुख नदियां सूख चुकी हैं. शहर में बने स्टापडेम भी पूरी तरह सूख चुके हैं, निस्तारी मात्र के लिये एक बूंद भी पानी नहीं है. वैसे आमनेर व मुस्क नदियों में थोड़ा बहुत पानी नजर आ रहा हैं मगर वह भी बेतहाशा गंदगी समेटे हुए छोटे-छोटे नालियों एवं नालों का पानी है. नदी में नालों के बहते पानी ने सड़ांध भरी नाक सिकोड़ देने वाली बदबू फैला रखी हैं. इसकी वजह से ही यहां निस्तार की समस्या उठ खड़ी हुई हैं और नगर के निचली बस्तियों में निवासरत लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर दाऊचौरा, पिपरिया, गंजीपारा, लालपुर, मोगरा, बरेठपारा, ठाकुर पारा, धरमपुरा, किल्लापारा, जैसे वार्डों में ज्यादातर लोग आम निस्तार के लिये नदियों के पानी पर ही आश्रित रहते है. पानी सूखने की वजह से निस्तार को लेकर दिक्कतें सामने खड़ी हों गई है. वार्डों में नहाने के लिये अब नगरवासी बोर, नल, बोरिंग पर आश्रित है लेकिन जल स्तर नीचे जाने के साथ ही आने वाले दिनों में गर्मी बढ़ने के साथ ही समस्या और विकराल होगी. कभी पूरे नगर की प्यास बुझाने वाली तीनों जीवनदायनी नदियां अब गंदगी से पट चुकी है और अब प्यास बुझाने लायक नहीं रह गई हैं. नदियों की दुर्दशा को लेकर जिम्मेदार मौन है और नदियों की स्वच्छता को लेकर चुप बैठे हुए हैं.

नदियों का पानी सूखने की वजह से मवेशी भी प्यासे घूम रहे हैं. खासकर दुधारू पशुओं के लिये पानी का संकट खड़ा हो रहा है. इसकी वजह से डेयरी का संचालन करने वाले गाय-भैंस मालिक जानवरों को पालने में असमर्थ हैं और जानवरों को खुला छोड़ रहे हैं. अलग-अलग वार्ड के साथ ही साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में यही स्थिति उत्पन्न हो रही है.

जिला बनने के बाद प्रशासनिक स्तर पर नदियों के संरक्षण के लिये कोई उपाय नहीं किये गये. उम्मीद थी कि जिला निर्माण के बाद जिला प्रशासन इस ओर ज्यादा ध्यान देगा लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं है. नगर में गर्मी में पानी रोकने स्टॉपडैम तो बनाये गये है लेकिन नदियों की सफाई के लिये कोई प्लानिंग नहीं की गई. जिसकी वजह से नदियों के आस्तित्व पर ही संकट गहराता जा रहा है.

Satyamev News

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