एनएसएस शिविर में बौद्धिक चर्चा व कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. रानी रश्मि देवी सिंह महाविद्यालय के एनएसएस शिविर में बौद्धिक चर्चा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान चौथी पुण्यतिथि पर देश के वरिष्ठ पत्रकार व कवि स्व.ललित सुरजन को याद कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। कार्यक्रम में प्रगतिशील लेखक संघ की खैरागढ़ इकाई के अध्यक्ष व पाठक मंच के वरिष्ठ सदस्य संकल्प पहटिया ने कहा कि स्मृति ही पशु से मानव और मानव से मनुष्य बनाती है। आज ललित सुरजन की पुण्यतिथि है, यही वजह है आज मेरी स्मृति में ललित सुरजन है और मैं अपने वक्तव्य को उन्हें समर्पित करता हूं। वर्तमान में जितने भी डिजिटल उपकरण हैं वे आपके बहुत अच्छे औजार हैं, अगर आप इसे हथियार बनाएंगे तो यह खतरनाक है क्योंकि हथियार मनुष्य की संवेदना को खत्म करती है। आगे उन्होंने कहा कि आप खूब पढ़ें और सिर्फ किताबें ही नहीं अपने आसपास को पढ़ें। जैसे-जैसे आपका अध्ययन बढ़ेगा, लेखन बढ़ेगा, रचना आपकी पकती जाएगी। ललित सुरजन पर अपनी बात रखते हुये उन्होंने कहा कि वे हम जैसे लोगों के मार्गदर्शक थे और उनकी परम्परा से अपने आप को जोड़ते हुए उनकी कविता सेतुबंध का सस्वर पाठ किया। शिक्षक गिरधर सिंह राजपूत ने कहा कि योग को केवल आसन तक सीमित रखना योग के क्षेत्र को सीमित करना है। आप इतनी देर तक बैठकर हमारी बातें सुन रहे हैं यह भी योग है। डिजिटल युग में हम अपने आप को कितना मोबाइल जैसी चीजों से बचा सकते हैं यह आपके योग की शक्ति पर निर्भर करता है, क्योंकि योग आपको कर्म से जोड़ता है। अशोक जंघेल ने कहा कि यह समय अपने आप को गढ़ने का है। अगर आप मोबाइल को समय में बांधेंगे तभी मोबाइल को अपने साथ चला सकते हैं, वरना मोबाइल आपको अपने साथ चलाएगा। आशाराम साहू ने कहा कि मोबाइल जैसे तमाम डिजिटल यंत्र हमारी जरूरत है इसे अपनी मजबूरी मत बनाइए। मजबूरी बनने से आप अपंग हो जाएंगे। आभार प्रदर्शन करते हुए यशपाल जंघेल कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी ललित सुरजन पत्रकार वर्ग, साहित्यिक वर्ग और सामाजिक-सांस्कृतिक वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय और सर्व स्वीकार्य व्यक्ति थे। जितना उन्होंने काम किया है, उतना वे लिखते-पढ़ते थे।
कवि सम्मेलन में संकल्प पहटिया ने ललित सुरजन की मृत्यशोक पर कविता इतनी झूठी का पाठ किया साथ ही जो पढ़ेगा, वह गढ़ेगा और नारे कविता का पाठ किया। गिरधर सिंह राजपूत ने बाढ़ गीत, रवि झोंका ने बोकरा के सिंग टुटगे कविता का पाठ किया। टीकाराम देशमुख, आशाराम साहू और मुकेश साहू ने सस्वर गीत पढ़ा। पोषण वर्मा, ओंकार वर्मा व पूर्व छात्र महेन्द्र वर्मा ने रचना पढ़ी। इससे पूर्व यशपाल जंघेल ने छत्तीसगढ़ी छंदबद्ध गीतों के साथ कवि से बचिए और बचा रहता है कविता का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन शिविरार्थी गिरवर वर्मा ने किया।