ए से सी ग्रेड मिलने व लगातार आलोचना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी किया स्पष्टीकरण

विवि प्रशासन का तर्क: कोरोनाकाल और पूर्व कुलपति द्वारा ग्रेडिंग नहीं करवाई गई
वास्तविकता: स्थानीय बनाम बाहरी दो खेमों व गुट में बटा विश्वविद्यालय
संभावना: विश्वविद्यालय में आपसी गुटबाजी के कारण बिगड़े है हालात
सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय को नैक टीम द्वारा ए से सी ग्रेड मिलने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार आलोचना के घेरे में आ गया हैं. इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा विज्ञप्ति जारी कर ग्रेडिंग गिरने को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया गया हैं. विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी विनोद डोंगरे द्वारा जारी बयान में बताया गया हैं कि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (नैक) के द्वारा इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र 2017-2022 के लिए ग्रेडिंग मूल्यांकन का परिणाम जारी किया गया. परिणाम के अनुसार नैक टीम ने विश्वविद्यालय को सी ग्रेड दिया लेकिन लाइब्रेरी, महतारी जतन कार्यक्रम, वृक्षारोपण, जन-जागरूकता तथा सामाजिक सरोकारों के अन्य प्रयासों की सराहना की है, वहीं शोध, अध्यापन, नए कोर्स आदि कुछ बिंदुओं पर सुधार और विस्तार के सुझाव भी दिए हैं.
2019 में पूर्व कुलपति ने नहीं करवाई ग्रेडिंग
उल्लेखनीय है कि नैक द्वारा 2014 में ग्रेड प्रदान किया गया था किंतु इन पांच वर्षों की ग्रेडिंग नहीं करवाई गई थी. इसकी अवधि 2019 में समाप्त हो गयी थी. 2019 के बाद नैक टीम को अगले सत्र के मूल्यांकन के लिये आमंत्रित किया जाना था. इसी बीच जुलाई 2020 में विश्वविद्यालय की कुलपति के रूप में पद्मश्री डॉ.ममता चंद्राकर की नियुक्ति हुई.
कोरोन काल को बताया ग्रेड गिरने की बड़ी वजह
कोविड-19 के सामान्य प्रोटोकॉल तथा समय-समय पर शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुरूप विश्वविद्यालय में अध्ययन, अध्यापन और इससे सम्बंधित अन्य गतिविधियां संचालित की जाती रहीं. कुलपति डॉ.चंद्राकर के मार्गदर्शन में कोरोना सम्बन्धी चुनौतिपूर्ण स्थिति से उबरते हुए विश्वविद्यालय में अकादमिक गतिविधियों को गति प्रदान की गयी. शैक्षणिक, सामाजिक, शोध और नवाचार की दृष्टि से अनेक उपक्रमों और परियोजनाओं की शुरुआत की गयी. इसके उपरांत, शैक्षणिक सत्र 2017 से 2022 के ग्रेडिएशन के लिये नैक की टीम को आमंत्रित किया गया था. जिस अवधि का मूल्यांकन हुआ, उसमें वर्तमान कुलपति के कार्यकाल कोरोना से उबर कर बमुश्किल 6 माह का कार्यकाल रहा. इसके पहले डेढ़ वर्ष कोरोना काल में बीता और उसके पहले तीन वर्ष 2017 से
2020 जुलाई तक पूर्व कुलपति के कार्यकाल के कार्यों का मूल्यांकन हुआ. वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में नैक की पीयर टीम ने 12, 13 और 14 मार्च को विश्वविद्यालय का भौतिक सत्यापन किया. नैक के संशोधित मूल्यांकन प्रक्रिया के अनुसार अब आवेदक उच्च शिक्षा संस्थानों को मूल्यांकन के लिये सैद्धांतिक जानकारी तथा समस्त दस्तावेज पहले ही (आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ) के द्वारा नैक को सबमिट कर दिया जाता है उसी सबमिशन के आधार पर नैक की पीयर टीम संसाधनों और कार्यों का भौतिक सत्यापन करती है. विश्वविद्यालय के द्वारा जारी बयान में दो बातों कोरोना काल और पूर्व कुलपति प्रो.मंडावी सिंह द्वारा किन्ही कारणों से ग्रेडिएशन नहीं करवाने को बड़ी वजह बताई गई हैं. कारण जो भी हो विश्वविद्यालय में प्रारंभ से ही गुटबाजी भी हावी रही हैं तथा अभी भी स्थानीय बनाम बाहरी की परंपरागत गुटबाजी यहां हावी हैं और यही कारण हैं कि विश्वविद्यालय में चल रही गुटबाजी के कारण आज यहां हालात बिगड़े हैं.
नैक टीम ने विश्वविद्यालय के कुछ कार्यों की प्रशंसा की
नैक टीम ने विश्वविद्यालय की सफाई व्यवस्था, अधोसंरचना विकास, कैंटीन, जिम तथा पर्यावरण संरक्षण आदि के लिए किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की है वहीं विशेष रूप से विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किये गए महतारी जतन कार्यक्रम को टीम ने सराहा हैं. साथ टीम ने पीजी स्तर पर नए कोर्स शुरू करने, कुछ केंद्रों को विभाग के रूप में स्थापित करने, विश्वविद्यालय के प्रचार-प्रसार को उसके दायरे के अनुरूप नेशनल और ग्लोबल लेवल पर बढ़ाने आदि कुछ बिंदुओं पर सुझाव भी दिए हैं. नैक की तरफ से प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद, विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती चंद्राकर की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गयी. इस बैठक में नैक की रिपोर्ट को केंद्र में रख, सभी विभाग प्रमुखों, शिक्षकों, अधिकारी-कर्मचारियों से सुझाव मांगे गए. विस्तृत चर्चा के बाद कुलपति ने सभी प्राध्यापकों, शिक्षकों, अधिकारी, कर्मचारियों समेत विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों से अपील कि हैं कि सभी अपने दायित्वों का समर्पण और निष्ठा के साथ निर्वहन करें, ताकि आने वाले समय में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की गुणवत्ता, लोकप्रियता और प्रसिद्धि को नैक के सुझावों के अनुरूप विश्व स्तर पर स्थापित की जा सके.