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आज खुलेगी रहस्यों से भरी मंडीप खोल गुफा

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. छत्तीसगढ़ के केसीजी जिले में स्थित मंडीप खोल गुफा 13 मई सोमवार को सैलानियों के लिए खुलेगी। मान्यताओं के मुताबिक अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को गुफा का द्वार खोला जाता है. शुक्रवार को अक्षय तृतीया मनाने के ठीक 3 दिन बाद यह गुफा का द्वार आम लोगों के लिए खोला जायेगा। धार्मिक मान्यताओं व कई रहस्ययों सहित सुदूर वनांचल में पर्यटन को लेकर हर साल मंडीप खोल गुफा में जाने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है और इस गुफा में प्रवेश पाने जिले में आसपास के सैलानियों सहित पड़ोसी राज्यों के भी लोग यहाँ पहुँचते रहे हैं.

मान्यताओं के मुताबिक साल में केवल एक बार ही मंडीप खोल गुफा का द्वार खुलता हैं. अक्षय तृतीया के बाद आने वाले प्रथम सोमवार को ही इस गुफा को खोलने और इसके अंदर प्रवेश का रिवाज कई वर्षों से चला आ रहा है। यहीं वजह हैं कि दूर-दराज के सैकड़ों सैलानियों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। हर साल राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के पर्यटक भी बड़ी संख्या में गुफा का रहस्य और रोमांच का आनंद लेने पहुंचते हैं। कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग द्वारा इसका सर्वेक्षण भी किया गया था। अनुसंधान में पाया गया कि मंडीप खोल गुफा देश की पहली और एशिया की दूसरी सबसे लंबी गुफा है तथा गुफा में इतिहास के काफी रहस्य छिपे हुए हैं पर अब तक इसका विस्तृत अनुसंधान होना शेष है।

मंडीप खोल गुफा को खोलने और फिर उसे बंद करने का पूरा नियम कायदा तय हैं. अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को गुफा का द्वार खोलने सबसे पहले यहाँ विधिवत पूजा अर्चना की जाती हैं फिर वनांचल में स्थित मंडीप खोल गुफा जो प्राचीन काल से ठाकुर टोला जमींदारी के अंतर्गत आता है। परंपरा अनुसार यहां के राजा या उनके परिवार के सदस्य गुफा का द्वार खोलने से पहले देवी-देवताओं का स्मरण करते हैं फिर विधिवत पूजा-अर्चना कर गुफा का द्वार खोलते हैं। द्वार के चट्टान को हटाने से पहले हवाई फायर भी किया जाता है ताकि कोई जंगली जानवर गुफा में हो तो यहां से निकल जाए। गुफा में सबसे पहले प्रवेश जमींदार परिवार के लोग ही करते है वहीं गुफा में स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी-देवताओं की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाती हैं।

भौगोलिक दृष्टिकोण से मैकल पर्वत श्रेणी श्रृंखला में स्थित मंडीपखोल गुफा तक पहुंचने का सफर काफी रोमांचक और थोड़ा जोखिम भरा भी है। पर्यटकों के लिए यह तक पहुंचने का सफर किसी शानदार रोमांच से कम नहीं है। पहले तो गुफा तक पहुंचाने के लिए कोई स्थाई रास्ता नहीं है।
पैलीमेटा से ठाकुरटोला के बाद का रास्ता कहीं मैदान तो कहीं पगडंडी और पहाड़ के उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर यहां तक पहुंचता है। यहां पहुंचने के लिए सबसे खास बात यह है कि एक ही नदी को अलग-अलग जगह पर 16 बार पार करना पड़ता है। जंगल के विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष एवं चट्टानी रास्तों से होकर यहां तक पहुंचा जाता है।

इस रहस्यमयी गुफा के अंदर श्वेत गंगा नाम का एक कुंड है जो दर्शनीय माना जाता है. मान्यता है कि इसमें स्नान करने से कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं। श्वेत गंगा नामक कुंड में नहा कर ही गुफा में प्रवेश कर शिवलिंग का दर्शन किया जाता है। श्वेत गंगा कुंड में डुबकी लगाने के लिए लोगों की कतार लगी रहती है। बताया जाता है कि इस कुंड में साल भर पानी निकलते रहता है और यह कुंड कभी सूखता नहीं है.

साल भर में केवल अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को ही यह गुफा खुलती है. इस रहस्यमयी गुफा में शिवलिंग की पूजा और गुफा के रोमांच की अनुभूति करने के लिए बड़ी संख्या में यहाँ तीर्थाटन के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। पूरे रास्ते भर लोगों की भीड़ लगी रहती है। सुदूर वनांचल में दुर्गम रास्तों और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के साथ ही भारी भीड़ उमड़ने के कारण सुरक्षा के लिए पुलिस बल की भी यहाँ तैनाती रहती हैं. 2 दिन पहले ही पहली बार कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा ने यहां पहुंचकर गुफा में सुरक्षा उपायों का जायजा लिया है और प्रशासनिक तैयारी को अमली जामा पहना कर पुलिस प्रशासन को भी सुरक्षा उपायों के लिए ताकिद किया है.

मंडीप खोल गुफा रहस्यमयी होने के साथ ही विविध रोमांच से भरी हुई हैं। जेठ महीने से पहले बैसाख (मई) माह की भीषण गर्मी में भी गुफा के अंदर शीतलता बनी रहती है। गुफा के अंदर का मार्ग भी विविधताओं से भरा-पूरा हैं यहाँ रास्ते कहीं सकरे तो कहीं उतार चढ़ाव भरे हैं तो कहीं पर मैदान जैसा भी अनुभव होता है। गुफा के अंदर काफी अंधेरा रहता है। स्थानीय सेवा समिति द्वारा गुफा के अंदर कुछ दूरी तक रोशनी की व्यवस्था की जाती है। आगे जाने के लिए श्रद्धालु-पर्यटक अपनी वैकल्पिक व्यवस्था का उपयोग करते हैं। गुफा के भीतर रोशनी पड़ने पर यहाँ चट्टान टिमटिमाने लगते हैं और गुफा के भीतर जगह-जगह देवी, देवता, अप्सरा, जीव जंतु की आकृति भी उभरी हुई है, जो गुफा के भीतर जाने वाले पर्यटकों को बेहद रोमांचित भी करती है. अंदर जाने वाले पर्यटकों को हर हाल में शाम होने से पहले बाहर वापस आना होता है।

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