हत्यारे भाई बहन को आजीवन कारावास की सजा

अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा
आरोपी पत्नी ने अपने भाई को बुलाकर करवाई थी पति की हत्या
सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश खैरागढ़ ने आरोपी भाई बहन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैं. जानकारी अनुसार तीन साल पहले कोरोना महामारी के दौरान 3 नवम्बर 2020 को प्रार्थी रविंद्र सिंह ने गंडई थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि उसके साढू चमकोर सिंह संधू पिता स्व. गुरुदेव सिंह संधू उम्र 35 वर्ष ग्राम पैलीमेटा थाना मोहगांव गुमशुदा है. चमकोर सिंह 31 अक्टूबर 2020 की रात्रि 11:00 बजे से गुम है. उसके परिवार में पत्नी निशा कौर और पुत्र युवराज सिंह 10 वर्ष व नवराज सिंह 8 वर्ष हैं, काफी खोजबीन के बाद भी उसका कोई पता नहीं चला. पुलिस ने रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर चमकोर की पतासाजी शुरू की थी. पुलिस की जांच के बाद पता चला कि मृतक चमकोर सिंह की पत्नी निशा कौर 35 वर्ष के कहने पर उसके भाई जसबीर सिंह 27 वर्ष निवासी वार्ड नं.13 मोहन नगर दुर्ग ने ही उसकी मौत के घाट उतारा था और चमकोर सिंह के शव को ग्राम मगरकुंड सड़क किनारे जलाने के बाद चादर से बांधकर पैलीमेटा बाँध के मुख्य गेज के नीचे फेंक दिया था. मामले की जानकारी होने के बाद पुलिस ने राजनांदगांव से गोताखोर बुलाकर चमकोर की सडी गली लाश बरामद की थी और उसके हाथ में कड़ा देखकर उसके होने की तस्दीक हुई थी. पुलिस जांच में यह बात सामने आई थी कि चमकोर और उसकी पत्नी निशा के बीच मधुर सम्बन्ध नहीं थे. चमकोर अपनी पत्नी निशा को बहुत मारपीट कर अमानवीय व्यवहार करता था जिसके कारण वह त्रस्त थी और इसी के चलते उसने अपने भाई जसबीर को बुलाकर अपने पति की हत्या करवा दी. चमकोर की हत्या के बाद निशा ने अपने पति की लाश को छुपाने में भाई का सहयोग किया था. पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 302, 201, 34 के तहत अपराध पंजीकृत कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया था. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक अल्ताफ अली एजीपी ने बताया कि मामले की सुनवाई करते हुए विद्वान न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप ने पाया कि चमकोर सिंह की जघन्य हत्या कर उसकी लाश को जलाने व चादर में लपेटकर साक्ष्य छुपाने की नीयत से लाश में पत्थर बांधकर लाश को गहरे बांध के पानी में फेंक आरोपी भाई-बहन ने निर्मम अपराध किया है जो की अत्यंत गंभीर प्रकृति का अपराध है और समाज के लिए बेहद घातक है. सभ्य समाज में ऐसी घटनाएं स्वीकार नहीं की जा सकती तथा आरोपी गण के विरुद्ध किसी प्रकार से सहानुभूति स्वीकार्य योग्य नहीं है. विद्वान न्यायाधीश श्री कश्यप ने हत्या करने धारा 302 के अपराध के तहत आरोपियों को दोषसिद्ध पाए जाने पर आजीवन कारावास एवं 5-5 हजार का अर्थ दंड व 5 माह का व्यतिक्रम तथा धारा 201 के अपराध दोषसिद्धि पर 5-5 वर्ष का कारावास एवं 1-1 हजार का अर्थ दंड व 1 माह व्यतिक्रम के दंड से दंडित किया है. शासन की ओर से अपरलोक अभियोजक अल्ताफ अली एजीपी खैरागढ़ ने अभियोजन पक्ष की पैरवी की.