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सेहत से खिलवाड़: छुईखदान के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गड़बड़झाला

सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. जिले के छुईखदान ब्लाॅक मुख्यालय में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की घोर लापरवाही समाने आयी हैं. जानकारी अनुसार सहसपुर निवासी पवन जंघेल द्वारा 9 जनवरी को जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर शिकायत किया गया है कि उनकी पत्नी चंपा बाई जंघेल की दिसम्बर 2022 में मितानिन की सलाह पर डिलीवरी के लिए छुईखदान शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया. वहां डॉक्टरों ने महिला की सिजेरियन डिलीवरी कराई और साथ में नसबंदी ऑपरेशन भी किया. ऑपरेशन के बाद मां और बच्चा दोनों स्वस्थ्य थे. इसके बाद उन्हें 21 दिसंबर 2022 को छुट्टी दे दी गई लेकिन 5 माह बाद प्रसूता के पेट में दर्द की शिकायत उठी.

शिकायतकर्ता ने बताया कि प्रसव के 5 माह बाद पत्नी चंपा के पेट में थोड़ा दर्द होने लगा. इजेक्शन दवाई देने पर 15-20 दिन ठीक रहने पर फिर दर्द उठ जाता था. इस बीच वे रोजी मजदूरी के लिए हैदराबाद चले गये वहां एक निजी अस्पताल में इलाज कराया. जांच के बाद उन्हें महिला के पेट में इंफेक्शन और टीबी के लक्षण भी बताया गया. डॉक्टरों की इस बात से वह हैरान हो गया वहां इलाज का खर्च नहीं उठा पाने की स्थिति में पत्नी को छत्तीसगढ़ वापस आया और रायपुर के एक निजी अस्पताल में फिर से इलाज शुरू कराया.

रायपुर के निजी अस्पताल में तमाम तरह की जांच के बाद परिजनों को बताया कि महिला के पेट में एक गोला है, जिसके कारण आंत में इंफेक्शन फैल गया है. इस दौरान डॉक्टर भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे थे कि पेट में आखिर समस्या क्या है? परिजनों की अनुमति के बाद 29 सितंबर 2023 को महिला का ऑपरेशन हुआ. सर्जरी के दौरान महिला के पेट में छूटे नेपकिन को निकाला गया. डॉक्टरों ने बताया कि इसे मोफ कहते हैं, जिसका ऑपरेशन के दौरान हर डॉक्टर उपयोग करता है. गनीमत यह थी कि समय रहते परिजन उसे रायपुर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंच गए, जहां ऑपरेशन कर महिला के पेट से नेपकिन को निकाला गया. अब महिला स्वस्थ है, लेकिन परिजनों ने मामले की शिकायत खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के कलेक्टर से करते हुए जांच के बाद दोषी डॉक्टर पर सख्त कार्रवाई और इलाज में खर्च राशि को लेकर क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग रखी है.

शिकायत के बाद मामले की जांच शुरू हो गई है. जांच टीम पीड़ित और संबंधित अस्पताल के डॉक्टरों का बयान लेकर जरूरी दस्तावेजों को भी जुटा रही है. शिकायतकर्ता ने बताया कि अब तक इलाज के नाम पर 15 लाख रुपए से अधिक का खर्च हो चुका है. निजी अस्पताल में इलाज इसके बाद महिला को 19 अक्टूबर 2023 को छुट्टी दे दी गई.

शिकायत को वापस लेने के लिए महिला के पति पर राजनीतिक दबाव के साथ ही राशि लेकर शिकायत वापस लेने के ऑफर भी आने लगे हैं. इस पूरे मामले की शिकायत पहले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के कलेक्टर से हुई थी. वहां स्थानीय स्तर पर जांच टीम बनी, लेकिन उसमें कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया. इस पूरे मामले की शिकायत पीड़ित ने 4 माह पूर्व खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के कलेक्टर से किया है. मामले की जांच में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने ध्यान नहीं दिया. मामले को दबाने का प्रयास किया. पीड़ित के दबाव पर मामले को राजनांदगांव रेफर किया गया. राजनांदगांव सीएमएचओ ने जांच के लिए टीम गठित कर दी है. टीम को 15 दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने कहा गया है. पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन का पक्ष जानने छुईखदान बीएमओ डॉ. मनीष बघेल से दूरभाष पर संपर्क किया गया पर उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.

पूरे मामले को लेकर केसीजी के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.गणेश दास वैष्णव ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर महोदय द्वारा राजनांदगांव कलेक्टर को जांच के लिए पत्राचार किया गया. चूंकि नवीन जिला होने की वजह से खैरागढ़ में जिला अस्पताल का गठन नहीं हो पाया है. ऐसे तकनीकी मामले में जांच के लिए सर्जन विशेषज्ञ और ग्यानिकोलॉजिस्ट डॉक्टर की आवश्यकता होती हैं. छुईखदान हॉस्पिटल से जांच प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, चूंकि ऑपरेशन रायपुर के एक निजी अस्पताल में हुआ है जहाँ महिला के पेट से नैपकिन निकलना बताया जा रहा है. टीम रायपुर जाकर भी जांच करेगी. मेरी जानकारी में इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर पत्राचार किया गया है और जाँच प्रक्रियाधीन है.

Satyamev News

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