शिक्षा विभाग में नाश्ते के नाम पर फर्जीवाडा मामले में अब जागा प्रशासन

पांच माह पहले विधायक प्रतिनिधि ने की थी शिकायत
कार्रवाई नहीं होने पर सुशासन तिहार में किया आवेदन तब हरकत में आया प्रशासन
नाश्ते के नाम पर 19 हजार का बिल भुगतान हुआ था
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़ . सुशासन शिविर के तहत दिये गये आवेदन के बाद जागे प्रशासन ने पांच माह बाद शिकायत पर कार्यवाही शुरू की है। शहर में आयोजित समाधान शिविर के दौरान विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने जिला शिक्षा विभाग द्वारा गत सितंबर में ब्लॉक के मदराकुही में आयोजित शिक्षादूत और शिक्षक समान समारोह के दौरान सांसद संतोष पांडे की मौजूदगी में कार्यक्रम में नाश्ते के नाम पर फर्जी भुगतान मामले की दस्तावेज सहित शिकायत जनवरी माह मे जिला प्रशासन से करते मामले की गंभीरता से जांच और संबंधित दोषी अधिकारी पर कार्यवाही की मांग की थी। लेकिन मामले को तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था। प्रदेश सरकार के सुशासन शिविर के तहत जारी समाधान शिविर में शहर में आयोजित शिविर में देवांगन ने मामले की शिकायत कर जांच नहीं होने का हवाला देते कार्यवाही की मांग की। समाधान शिविर में आवेदन देते ही पूरा प्रशासन हरकत में आ गया। बहरहाल वहीं इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मामला ५ महीने तक क्यों दबाए रखा। सितंबर माह में जिला शिक्षा विभाग द्वारा मदराकुही में शिक्षादूत और शिक्षक समान समारोह के आयोजन में जमकर शासकीय राशि का दुरूपयोग किये जाने की शिकायत है। कार्यक्रम में सांसद सहित तमाम नेताओं की मौजूदगी रही। जनप्रतिनिधियों सहित उपस्थित लोगों को स्कूल के मध्यान्ह भोजन के तहत खाना खिलाया गया था लेकिन शासकीय राशि का बंदरबांट करने अधिकारियाें ने ऐसे होटल से 19 हजार से अधिक राशि का नाश्ता का बिल बनाकर भी निकाल लिया जहां से नाश्ते की कोई व्यवस्था ही नहीं की गई। इसके बाद इसकी शिकायत की गई थी। शिविर में आवेदन देते ही घंटे भर के भीतर जांच अधिकारी ने मामले में देवांगन को पत्र भेजकर तीन दिन में शिकायत के साथ दस्तोवज और अन्य जानकारी लेकर उपस्थित होने कहा है ताकि मामले की जांच की जा सके।
विभाग के अधिकारी को बचाने का प्रयास
विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने कहा कि मामले को पांच माह से अटका कर सीधे तौर पर संबंधित विभाग और अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा था। समाधान शिविर में आवेदन देने के बाद दस दिन पहले की तिथि पर उन्हें पत्र भेजा गया है। इससे ही प्रशासन की सक्रियता समझ में आती है।