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समाजवाद की स्थापना तक संघर्ष जारी रहेगा : विप्लव साहू

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़/कवर्धा। राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ के बैनर तले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को समानता का अधिकार दिलाने की मांग को लेकर डॉ.अंबेडकर चौक, कवर्धा में विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया। कार्यक्रम के बाद सैकड़ों लोगों ने कलेक्टोरेट तक पथ-संचलन किया। पूरे आंदोलन का नेतृत्व सामाजिक चिंतक एवं ओबीसी महासभा के संभाग अध्यक्ष विप्लव साहू ने किया। सभा को संबोधित करते हुए विप्लव साहू ने स्पष्ट संदेश दिया कि “जब तक ओबीसी समाज को सेवा क्षेत्रों में समुचित भागीदारी और राष्ट्रीयकरण के माध्यम से वास्तविक समाजवादी व्यवस्था स्थापित नहीं होती, तब तक यह संघर्ष लगातार जारी रहेगा।” उन्होंने कहा कि देश की आधे से अधिक आबादी पिछड़े वर्ग की है लेकिन सत्ता, संसाधन और अवसरों में उसकी हिस्सेदारी आज भी बेहद कम है। साहू ने आरक्षण व्यवस्था पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि निजीकरण, ठेका प्रथा और सरकारी विभागों के सीमितीकरण के कारण ओबीसी को संविधान सम्मत आरक्षण का वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही ओबीसी समाज के हकों की रक्षा हेतु ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन को और तीव्र किया जाएगा।
धरना स्थल पर वक्ताओं ने आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा को नमन करते हुए उनके संघर्ष को याद किया। विप्लव साहू ने कहा कि बिरसा मुंडा ने जल-जंगल-जमीन और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी थी और आज भी मूलनिवासी समाज उसी विचार को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा का सपना तभी साकार होगा जब देश में संसाधनों का समान वितरण और समाजवादी ढांचा स्थापित होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ के प्रांतीय संयोजक अमरजीत पटेल ने की। मंच पर एड.शगुन वर्मा (रायपुर), पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सीमा अनंत, ओबीसी महासभा के प्रदेश सचिव घनश्याम साहू, डॉ. नरेश यदु, अनंत दास, जोन्स थॉमस, डॉ.जे.अजीत, आर.बंजारे सहित अनेक अतिथि उपस्थित रहे। सभा में ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज के लोगों की भारी भागीदारी देखने को मिली। धरने के उपरांत विशाल पथ-संचलन निकाला गया जिसमें प्रतिभागियों ने राज्यपाल व राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। पूरे मार्ग में “जब तक समाजवाद नहीं, तब तक चैन कहाँ” और “बिरसा मुंडा अमर रहे” जैसे जोशीले नारे गूंजते रहे। गौरतलब हो कि यह प्रदर्शन ओबीसी समाज की बढ़ती जागरूकता और अधिकारों के लिए उभरते मजबूत जनसंकल्प का प्रतीक माना जा रहा है।

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