
मृत्यु के बाद मनरेगा कर्मचारियों का दर्द फिर छलका
मनरेगा कर्मचारियों के लिए एच आर पालिसी बनाने की मांग
मृत कर्मी की पत्नी को न्यायपूर्ण अनुकंपा नियुक्ति और 10लाख अनुदान राशि मिले
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. 4 अगस्त को मनरेगा में कार्यरत जनपद पंचायत कोंटा के तकनीकी सहायक जयराम पोयाम की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मृत्यु हो गई। जानकारी अनुसार स्व.जयराम पोयाम प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण कार्य में अधिक दबाव के कारण शनिवार अवकाश के दिन कोन्टा ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर आंध्रप्रदेश के सीमा से लगे ग्राम गंगलेर, गोलापल्ली के निर्माणाधीन आवास का निरीक्षण कर वापस आ रहे थे। वापसी के दौरान दुर्घटना हो गई जिससे जयराम पोयाम के सर में गहरी चोट आयी लेकिन जयराम को स्थानीय लोंगो द्वारा भ्रद्राचलम हास्पिटल ले जाते समय रास्ते मे ही उनका निधन हो गया।
मृतक का 5 साल का मासूम बच्चा और पत्नी फिर से गर्भवती
मृतक का एक 5 वर्ष का मासूम बच्चा है वहीं उसकी पत्नी फिर से गर्भवती है। यह खबर फैलते ही प्रदेशभर में मनरेगा कर्मचारियों में इस हृदयविदारक घटना के प्रति गहरा दुख तो सरकारी सिस्टम के प्रति क्रोध की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मनरेगा कर्मचारियों ने अपने बीच के एक होनहार साथी को खो जाने पर संवेदना व्यक्त की है । छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष ने बताया कि मनरेगा कर्मचारियों पर मनरेगा योजना के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना सहित पंचायत विभाग के निर्माण का बोझ बड़ गया है किंतु मनरेगा योजना के 18 साल होने के बाद भी कर्मचारियों के लिए मानव संसाधन नीति नहीं बनाई गई है। मृत्यु हो जाने पर शासन द्वारा अनुदान राशि के रूप में मात्र 1 लाख रुपए देने का प्रावधान है जो 12 वर्ष पुराना शासन की निर्धारण राशि है किंतु वह भी मनरेगा में किसी जिले में मिलता है तो किसी जिले में नहीं मिलता। विगत वर्षो में एवं कोरोना काल में सैकड़ों की संख्या में मनरेगा के कर्मी शहीद हुए है, किंतु उनके परिवार के सामाजिक सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया गया है। परिवार वालों को आज भी न्याय का इन्तजार है।
सरकार मनरेगा कर्मचारियों को प्रति नहीं करती संवेदनापूर्ण व्यवहार
सरकार को मनरेगा कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील पूर्वक विचार करते हुए मृतक की पत्नी को अनुकंपा नौकरी देने के साथ 10 लाख अनुदान राशि दी जानी चाहिए। समस्त मनरेगा कर्मचारियों के लिए एक बेहतर मानव संसाधन नीति लागू किया जाना चाहिये लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया हैं, पर अब कम से कम डबल इंजन की सरकार में तो ऐसा हो जाना चाहिए ताकि मनरेगा कर्मचारियों के साथ न्याय हो सके।
सोसल मीडिया में वायरल हो रहा मनरेगा कर्मी का मैसेज
छत्तीसगढ़ में मनरेगा… हमारे जान की कीमत 1 लाख रुपए है साहब12 साल पहले शासन ने किया था अनुदान राशि इन 12 सालों में विधायक के वेतन कितनी बार और कितने प्रतिशत बड़ गये सांसद निधि, विधायक निधि, जिला जनपद पंचायत निधि बड़ गई है।सांसद और पंचायत के जनप्रतिनिधियों के वेतन भत्ते बढ़ गये है। रेगुलर कर्मचारियों के वेतन, इंक्रीमेंट अन्य भत्ते बढ़ गये है क्या करें, कहां बोले, कौन सुनता है। आंदोलन करो तो जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी का तमगा लगा देते है। हम छत्तीसगढ़ के मनरेगा संविदा कर्मचारी जो ठहरे साहब।