श्रेया केलकर की मौत का जिम्मेदार कौन? नागरिकों में दहशत, प्रशासन मौन!
छात्रा की मौत ने उठाए कई सवाल, अब जिम्मेदारों को भी हो रहा है मलाल
छात्रा की मौत के बाद आवारा मवेशियों की धर-पकड़ के लिए कलेक्टर ने दिये आदेश
पर आवारा घूम रहे भयावह व बलशाली सांडों को पकड़ने कोई ठोस योजना नही
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में भोपाल से कथक नृत्य की शिक्षा लेने आयी छात्रा की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. छात्रा श्रेया केलकर की दर्दनाक मौत के बाद नगर सहित विश्वविद्यालय में शोक की लहर हैं. सभी मौत के लिये प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन कटोरी में खीर लेकर चने खाने का ज्ञान बांटने वाले जनप्रतिनिधि भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितना कि प्रशासन के अधिकारी. क्योंकि लपारवाही केवल अधिकारियों से नहीं हुई बल्कि उन पर नकेल कसने का दम रखने वाले जनप्रतिनिधियों से भी हुई है. ज्ञात हो कि 14 जनवरी रविवार को शहर के ईतवारी बाजार में सांड के मारने से श्रेया केलकर की सिर में गंभीर चोट आई थी. जिसे प्राईवेट कार में सिविल अस्पताल लाया गया और छात्रा श्रेया केलकर की गंभीर हालात को देखते हुये उसे भिलाई बेहतर उपचार के लिये रिफर किया गया था.
छात्रा के त्वरित उपचार में आर्थिक तंगी बड़ी परेशानी बनकर उभरी
बताया जा रहा हैं कि श्रेया के परिजनों की तंगहाल स्थिति के कारण दूसरे दिन इलाज की पूरी प्रक्रिया शुरू की गई. श्रेया के इलाज के दौरान यूनिवर्सिटी की छात्र-छात्राएं ने डोनेशन फाॅर श्रेया के नाम पर कैंपेन चलाया जिससे लाख रूपयें से अधिक की राशि जुटाई गई. विवि की कुलपति द्वारा 50 हजार, शिक्षक संघ ने 21 हजार, संगतकार संघ ने 23 हजार रूपयें की मदद की. कुलपति कुल सचिव सहित विश्वविद्यालय के छात्रों ने दानदाता नागरिकों की मदद से श्रेया का उपचार शुरू करवाया लेकिन श्रेया केलकर की 5वें दिन मौत हो गई.
नगर के चौक-चैराहे सहित बाजार व भीड़-भाड़ वाले इलाके में लगता हैं आवारा मवेशियों का जमावड़ा
नगर में जहां-तहां आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता हैं. खास तौर पर नगर के चौक चौराहों और बाजार सहित भीड़भाड़ वाले इलाकों में खतरनाक सिंग व भयावह आवारा मवेशी वितरण करते रहते हैं जो किसी दुकान अथवा मोटर साइकिल की डिक्कीयों सहित नागरिकों के थैलों से सामान खींचकर उसे झटपट खाने अनायास अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. ऐसा नहीं है कि छात्रा श्रेया ही आवारा मवेशी का शिकार हुई है. इससे पहले भी कई नागरिक मवेशियों का शिकार बन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. गनीमत उनकी मौत नहीं हुई है लेकिन मवेशियों द्वारा दिए गए चोट के निशान अभी भी कई जख्मों के दर्द को ताजा कर देते हैं.
जिला प्रशासन और नगर पालिका द्वारा कोई ठोस पहल या कारवाई नहीं
जानलेवा बन चुके आवारा मवेशियों की रोकथाम के लिए अब तक जिला प्रशासन व नगर पालिका का जिम्मेदार रवैया सुस्त व निराशाजनक ही रहा है. कार्रवाई नहीं होने से आमजनो को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता हैं. श्रेया केलकर की मौत का जिम्मेदार भी लपारवाह प्रशासन ही हैं.
छात्रा के मौत के बाद गहरी नींद से जागा प्रशासन
छात्रा श्रेया की मौत के बाद कुंभकरणीय नींद में सोया प्रशासन अब जागा है. खबर मिली हैं कि कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा ने आवारा मवेशियों की धर-पकड़ के लिए नगर पालिका को निर्देश दिया है इसके बाद नगर पालिका की टीम होश में आकर आवारा मवेशियों को पकड़ने में बड़ी काऊ कैचर गाड़ी लेकर देर शाम निकली हैं साथ में पशु चिकित्सा विभाग के कुछ कर्मचारी भी हैं लेकिन नगर में आवारा घूम रहे बलशाली सांडों को पकड़ने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है. ऐसे में नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाले बलिष्ठ आवारा मवेशियों से कैसे राहत मिलेगी यह सवाल अभी भी मुंह बाएं खड़ा है.
दिन पहले पता चला कि श्रेया को मारने वाला सांड विक्षिप्त हो चुका हैं जिसे पकड़ने प्रयास किया जा रहा हैं. उसको बेहोशी की सुई देकर कही बाहर व्यवस्थित किया जा सकता हैं. इसके लिये हम वन विभाग व पशु चिकित्सा विभाग से लगातार संपर्क में हैं.
प्रमोद शुक्ला, सीएमओ खैरागढ़
श्रेया करकरे के साथ जिस दिन घटना हुई उसकी जानकारी हमें नहीं थी. मुझे एक डॉक्टर के द्वारा जानकारी मिली. मुझे इस बात का दुख है कि मुझे इसकी खबर देर से पता चली. हम उपचार के लिए और बेहतर व्यवस्था कर सकते थे.
डॉ.नीता सिंह गहरवार, कुलसचिव इं.क.सं. विश्वविद्यालय खैरागढ़