शिक्षक कांग्रेस ने किया शिक्षा सचिव के बयान का विरोध
सचिव ने शिक्षा का स्तर गिरने शिक्षकों को ठहराया था जिम्मेदार
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. छ.ग राज्य की शिक्षा का गुणवत्ता स्तर गिरने पर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा 30 जून को आयोजित वेबिनार में सीधे-सीधे शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराये जाने से शिक्षक समुदाय की भावना को ठेस पहुँची है जिसका विरोध करते हुये छ.ग शिक्षक कांग्रेस ने गैर सरकारी संगठनों को ही प्रशिक्षण की अनुमति प्रदान करने तथा राज्य स्तर से भी सप्ताह में प्रतिदिन वेबिनार आयोजन करने की मांग की है. शिक्षक कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बताया कि छग के शिक्षक कोरोना काल में भी अपने जीवन को खतरे में डालकर मोहल्ला क्लास, ऑनलाइन वेवेक्स के मध्यम से पढ़ाने का काम किया है साथ ही जिस ग्राम या वार्ड में कोरोना-19 के मरीज मिलने पर कंटेनमेंट जोन प्रोटोकाल नियमों का पालन कराने क्वारंटाईन केंद्र में शिक्षकों ने ड्यूटी की है शिक्षा स्तर गिरने का पहला कारण है.
एक दर्जन गैर सरकारी संगठनों के द्वारा शासन से आदेश प्राप्त कर पढ़ाने के नई-नई तरीके का प्रशिक्षण कराना है. जब शिक्षक शाला में बच्चों के ठहराव की बात करते है तो समय 10 बजे से शाम 4 बजे तक शिक्षक को भी शाला में ठहराया जाना चाहिये. कुछ शिक्षकों का अपने मूल शाला से इतर एससीआरटी, डाइट, जिला कार्यालय, संचालनालय, बीएड, डीएड सहित अन्य संस्थाओं में प्रतिनियुक्त होना है इसे मूल संस्था में वापस करना चाहिये. शिक्षा की गुणवत्ता गिरने का मुख्य कारण है शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं करना. शिक्षक (एलबी) 1998 से एक ही पद पर विगत 24 वर्ष से कार्यरत हैं उन्हें न उच्च पद में पदोन्नती दी गई है न उन्हें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय उच्चतर वेतनमान (क्रमोन्नत्ति/समयमान) दिया जा रहा है. 34 प्रतिशत महंगई भत्ता के लिये शिक्षक लंबे समय से तरस रहे हैं. जिन शालाओं में स्कूल शिक्षा विभाग के पूर्व शिक्षक, व्याख्याता एवं शिक्षक (एलबी) हैं उनसे भेदभाव किया जाता है जिससे भी शिक्षा प्रभावित हो रही है.
शिक्षक कांग्रेस ने बताया कि शाला अवलोकन प्रणाली ठीक नहीं है, शाला में शिक्षक का समय में आना और शाला से जाने का नियमित अवलोकन हो तो निश्चित ही शाला में पढ़ाई होगी. शिक्षक को केवल पढ़ाने तक ही सीमित रखा जाये, गैर शिक्षकीय कार्य (जनगणना, निर्वाचन एवं आपदा को छोडक़र) दूर रखा जाये. शिक्षा के स्तर गिरने का एक कारण यह भी है कि प्रति सप्ताह दो से तीन दिन प्रशिक्षण के लिये शिक्षक और संकुल समन्यवयक को शाला से दूर रखना. छतीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय महासचिव एवं छ.ग व्याख्याता (एलबी) संघ के प्रांताध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने कहा है कि सीमित रूप से गैर सरकारी संगठनों को ही प्रशिक्षण की अनुमति दी जाये.
सप्ताह में शनिवार को ही प्रशिक्षण किया जाये, संकुल समन्वयकों को पदस्थ शाला में कम से कम दो कालखण्ड के अध्यापन के बाद ही अवलोकन या अन्य कार्य सौंपा जाये, राज्य स्तर से भी सप्ताह में प्रतिदिन वेबिनार आयोजन किया जा रहा है और शिक्षक एवं प्राचार्य को जुडऩे के लिये अनिवार्य न किया जाये बल्कि सप्ताह में एक ही वेबिनार हो. शिक्षकों की 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता, क्रमोन्नति/समयमान की समस्या का निराकरण किया जाये तब कहीं शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये जिम्मेदार ठहराया जाये.