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शाँतिदूत साहित्य सम्मान से विभूषित हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जीवन यदु

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। छत्तीसगढ़ प्रदेश के सुप्रसिद्ध कवि, प्रख्यात साहित्यसेवी एवं “लाल जगदलपुरी राज्य अलंकरण” से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जीवन यदु को सेवाभावी संस्था शांतिदूत द्वारा उनके 15वें स्थापना वर्ष के अवसर पर शांतिदूत साहित्य सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान संस्था के प्रतिनिधियों द्वारा उनके निज निवास पर पहुंचकर ससम्मान प्रदान किया गया। ज्ञात हो कि 79 वर्षीय डॉ.जीवन यदु को अभिनंदन पत्र के साथ शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्था के संयोजक अनुराग शांति तुरे ने समारोह का संचालन करते हुए डॉ.यदु के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का सारगर्भित परिचय प्रस्तुत किया तथा अभिनंदन पत्र का वाचन किया। उपस्थितजनों ने डॉ.यदु के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए उनके दीर्घ साहित्यिक योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। ज्ञात हो कि हिंदी साहित्य जगत में प्रगतिशील साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित डॉ.जीवन यदु ने हिंदी, उर्दू एवं छत्तीसगढ़ी भाषा में अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ लोकहित, सामाजिक चेतना, जन-साक्षरता एवं राष्ट्रप्रेम को जन-जन तक पहुंचाने का महती कार्य किया है। उनकी रचनाएं खास तौर पर जन-साक्षरता पर लिखे गए गीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक जनमानस में आज भी लोकप्रिय हैं जो उनकी सृजनशीलता एवं व्यापक जनस्वीकृति का प्रमाण हैं।

राष्ट्र प्रथम एवं देश हित सर्वोपरि की भावना उनकी रचनाधर्मिता का मूल आधार रही है। सम्मान समारोह में वरिष्ठ समाजसेवी एवं नगर पालिका उपाध्यक्ष अब्दुल रज्जाक खान, नगर पालिका के वरिष्ठ सभापति एवं पार्षद रूपेंद्र रजक, नागरिक एकता मंच के संयोजक उत्तम बागड़े, सेवाभावी संस्थाओं से जुड़े वरिष्ठ स्वयंसेवी समसुल होदा खान, युवा साहित्यकार संकल्प यदु, वरिष्ठ पत्रकार किशोर सोनी एवं सुभाष चावड़ा, शांतिदूत के सहसंयोजक याहिया नियाज़ी, उत्तर प्रदेश से पधारे जनाब खान, समकालीन कलाकार एवं शिक्षक किशोर शर्मा, महिला समाजसेवी वंदना टांडेकर, नीलम राजपूत, शिक्षिका डॉ.मेधावनी तुरे, समाजसेवी अमीन मेमन, आकाश तिवारी, ज़हीन खान, शिक्षक श्री कोसरे, श्रीयांशी, गीतव्य, रूशील, दक्ष सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में उपस्थितजनों ने एक स्वर में डॉ.जीवन यदु को छत्तीसगढ़ की माटी का गौरव बताते हुए कहा कि उनका साहित्य आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर है। शांतिदूत संस्था ने आशा व्यक्त की है कि डॉ.यदु की सृजन-यात्रा निरंतर प्रवाहित होती रहे और उनकी लेखनी समाज, साहित्य एवं राष्ट्र को सदैव नई दिशा और प्रेरणा प्रदान करती रहे।

Satyamev News

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