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लोकतंत्र की आवाज है डॉ. भीमराव आम्बेडकर- भिक्खु धम्मतप

सत्यमेव न्यूज़/मोहला. बौद्ध समाज बिरझूटोला द्वारा भगवान गौतम बुद्ध एवं डाँ.भीमराव आम्बेड़कर की प्रतिमा स्थापना आम्बेडकर भवन बिरझूटोला में मुख्य अतिथि धम्मदेशक भिक्खु धम्मतप, अध्यक्ष मेत्त संघ जिला राजनांदगांव के द्वारा सूत्र पठन कर किया गया. इस अवसर पर प्रतिमा दानदाता बसंत दामले दल्लीराजहरा एवं कार्यक्रम के सुत्रधार दिलीप कुमार सावलकर बिरझूटोला रहे वहीं विशिष्ट अतिथि आयु.गमिता लोन्हारे जप. मोहला, हगरूराम कुंजाम ग्राम पटेल बिरझूटोला, कन्हैयालाल खोब्रागडे़ राजनांदगांव़, अशोक कुमार महेश्वरी जिलाध्यक्ष भा.बौ. महासभा मोहला, जयेंद्र मेश्राम अध्यक्ष बौ.स.क.स. मोहला, दिलीप लाउत्रे रेंगाकठेरा, जयलाल मेश्राम कोर्रामटोला, महेन्द्र टेम्भूरकर मोहला रहे. मंच संचालन हिरालाल गजभिये ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूज्य भिक्खु धम्मतप ने अपने उपदेश में कहा कि जिन्दा आम्बेड़कर से ज्यादा शक्तिशाली है मृत आम्बेड़कर, ये वाक्य आज भी चरित्रार्थ दिखाई दे रहा है. देश- दुनिया में रोजाना डॉ.आम्बेडकर की प्रतिमा लगाई जा रही है उसमें से एक बिरझूटोला में बुद्ध एवं डॉ.आम्बेडकर की प्रतिमा लगाई गई. आज डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी ऊर्जा, उनके विचार आज भी काम कर रहे है. इसलिए मनुवादियों को रात दिन आम्बेडकर का भय सताते रहता है. आम्बेडकरवाद से लोहा लेना हर किसी की बात नहीं, डॉ.बाबा साहेब आम्बेड़कर ने कहा था जिस दिन इस देश के लोगों को मेरी देश भक्ति का एहसास होगा, वो दिन दूर नहीं जब मुझे लोग देश भक्त कहेंगे. आज डॉ.आम्बेडकर ने भारत देश को दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान देकर एक महान देश भक्त बन गये है. डॉ.आम्बेडकर की तस्वीर और डॉ.आम्बेडकर को अपने दिल में बसाये हुए इस देश के दबे कुचले, शोषित, पीड़ित, बहुजनों के आडियल है डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर. लोकतंत्र की आवाज है डॉ. भीमराव आम्बेडकर.

इसी तारतम्य में भन्ते जी आगे कहते है, भूख सबसे बड़ा रोग है इस रोग को दूर करने के लिए हर प्राणी प्रयत्नशील है. जिस तरह शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी तरह मन को भी सुशोभित करने के लिए शील, समाधि व प्रज्ञा की आवश्यकता है. जो व्यक्ति शील की ओर नहीं बढ़ता, जो व्यक्ति समाधि की ओर नहीं बढ़ता, जो व्यक्ति प्रज्ञा की ओर नहीं बढ़ता वो इस लोक में दुःख का भागी बनता है, जो व्यक्ति शील, समाधि व प्रज्ञा की ओर बढ़ता है वो इस लोक में सुख का भागी बनता है. बाबासाहेब आम्बेडकर ने कहा था हमारे लोगों को रविवार के रविवार बौद्ध विहार जाना चाहिए. विहार जाने से बुद्ध प्रतिमा की स्तुति करने से मन में श्रद्धा के भाव उत्पन्न होंगे तभी आपके भीतर एक वैचारिक क्रांति का संचार होगा और तभी आपको एवं आपके समाज की प्रगति संभव होगी. कार्यक्रम में दिलीप सावलकर, वरूण धमगेश्वर, लिखनलाल, रामनाथ, पल्टूराम साहू, जेठूराम कुंजाम, सीताराम टेकाम, भागवत उइके, देवीलाल उईके, रोहितदास लाउत्रे, हीरालाल तुरकने, फुलचंद गजभिये, मानसाय गजभिये, एसके भासगौरी, राजकुमार टेमरे, आयु. के. सावलकर, अनीता, गौरी आदि सैकड़ों की संख्या में ग्रामवासीजन उपस्थित थे.

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