लगातार बारिश के बीच खेतों में डटे किसान, सोयाबीन की फसल बचाने दिन-रात जारी है जद्दोजहद

सत्यमेव न्यूज़ के लिए संपादक अनुराग शाँति तुरे खैरागढ़। जिले में पिछले कई दिनों से जारी लगातार बारिश ने खरीफ सीजन की प्रमुख फसल सोयाबीन को संकट में डाल दिया है। खेतों में जलभराव और नमी बढ़ने से फसल सड़ने की स्थिति में पहुंच गई है। किसान अब मौसम की परवाह किए बिना दिन-रात कटाई में जुट गए हैं ताकि मेहनत की कमाई बारिश में पूरी तरह बर्बाद न हो जाए। बारिश के बीच खेतों में थ्रेशर और ट्रैक्टर की आवाजें गूंज रही हैं। कहीं महिलाएं फसल के ढेर पलट रही हैं तो कहीं बुजुर्ग किसान भी पानी में खड़े होकर पौधों को काट रहे हैं। हर खेत में जद्दोजहद का एक ही दृश्य फसल कैसे बचे।

खरीफ सीजन की यह फसल किसानों के लिए पूरे साल की आर्थिक रीढ़ मानी जाती है लेकिन इस बार दिवाली से पहले ही उनके चेहरों की रौनक फीकी पड़ गई है। कई किसानों का कहना है कि बारिश अगर कुछ और दिन जारी रही तो तनों में सड़न और दानों की गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ सकता है।
आधुनिक रूप से कृषि कार्य में रत श्रीमती सुबिया खोब्रागढ़े ने बताया कि बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही। खेतों में पानी भर गया है कटाई मुश्किल हो रही है। फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं कि फसल किसी तरह सूखने से पहले घर पहुंच जाए। गांवों में सुबह से देर रात तक लोग खेतों में जुटे हैं। पुरुष, महिलाएं और बच्चे तक फसल बचाने में योगदान दे रहे हैं। खेतों में गीली मिट्टी में धंसते पैर, पीठ पर गीले कपड़े और आसमान की ओर उठती निगाहें यही इन दिनों ग्रामीण भारत की सबसे सजीव तस्वीर है।

कृषि विभाग ने मौसम के बदलते रूप को देखते हुए किसानों को सलाह और चेतावनी दी है। केसीजी जिले में कृषि विभाग के उप संचालक राजकुमार सोलंकी ने कहा कि कटाई के बाद फसल को खुले और सूखे स्थान पर फैलाकर सुखाएं ताकि नमी से दाने फफूंदग्रस्त न हों। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए किसानों को फसल की सुरक्षा के उपाय तुरंत करने चाहिए।

बारिश की इस मार के बावजूद खैरागढ़, छुईखदान व गंडई सहित जिले भर के किसानों की हिम्मत नहीं टूटी है। उनकी मेहनत और जुझारूपन यह दिखाता है कि कृषि केवल पेशा नहीं बल्कि जीवन संघर्ष का प्रतीक है। खेतों में लगातार हो रही यह जद्दोजहद आज भारतीय किसान की उस जुझारू आत्मा का प्रतीक बन गई है जो हर प्राकृतिक विपत्ति से लड़कर भी अन्न का दाना उगाना नहीं छोड़ती।

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