सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. बीते वर्ष राज्योत्सव पर राज्य सरकार द्वारा लाला जगदलपुरी राज्य अलंकरण से सम्मानित नगर के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ.जीवन यदु सहित अंचल के साहित्यकारों का सम्मान राधा-कृष्ण महिला समूह टिकरापारा व नगर यादव समाज द्वारा किया गया. रविवार 8 जनवरी को अभिनंदन समारोह का आयोजन नया टिकरापारा स्थित यादव भवन में संपन्न हुआ जहां साहित्यकारों को सम्मानित किया गया. इस दौरान डॉ.जीवन यदु ने कहा कि इससे पहले जो सम्मान मिला, अच्छा तो लगा पर उन सब में एक कमी थी, वहां अपनापन और अपने लोग नहीं थे. यहां जो अत्मीयता मुझे मिला वह अमूल्य है. स्वागत भाषण में प्रेमलाल यादव ने कहा कि आज हमारे बीच पधारे डॉ.जीवन यदु सहित नगर के सभी साहित्यकारों का स्वागत करते हुये हमारा समाज धन्य हो गया. डॉ.जीवन यदु के कृतित्व-व्यक्तित्व पर अपनी बात रखते हुये विनयशरण सिंह ने कहा कि प्रगतिशील चेतना संपन्न कवि डॉ.जीवन यदु ने पद्य और गद्य दोनों विधाओं में अपनी कलम चलाई है. प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में अपनी गीतों के लिए जाने जाते हैं. खैरागढ़ को पदुमलाल पन्नालाल बख्शी, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय और डॉ.जीवन यदु के नाम से जाना जायेगा.
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ.राजन यादव ने कहा कि जीवन यदु की कविताओं में छत्तीसगढ़ की सही पहचान मिलती है. उनकी रचनाओं में एक ओर करुणा है तो दूसरी ओर विरोध के तेवर हैं. पाठक मंच खैरागढ़ के संयोजक डॉ.प्रशांत झा ने कहा कि आदमी के बड़े होने से सर्वभाव आते देखा है पर जीवन यदु जी के स्वभाव में रत्ती भर अंतर नहीं आया. वही सहजता-सरलता आज भी उनके स्वभाव में है और वही उनकी रचनाओं में है. संकल्प यदु ने कहा कि आज मेरे पिता जी का अपने नगर में अभिनंदन समारोह हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि हम आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुये हैं.
कार्यक्रम का संचालन करते हुये सुनील यादव ने कहा कि खैरागढ़ कोसरिया समाज के संरक्षक और हमारे गौरव डॉ.जीवन यदु की रचनाओं को पाठ्यक्रम में बताकर हम गर्व से फूले नहीं समाते थे और अब उन्हें लाला जगदलपुरी राज्य अलंकरण से सम्मानित किया गया है जो हमारे लिये गौरव की बात है. कवि सम्मेलन की शुरुआत में डॉ.नत्थू तोड़े ने छंदबद्ध कविता का प्रतिनिधित्व करते हुये बेटी को समर्पित भावपूर्ण गीत का पाठ किया वहीं बसंत यदु ने लोक स्वर का प्रतिनिधित्व करते हुये बांस गीत पर आधारित गीत का सस्वर पाठ किया. डॉ.जीवन यदु ने अपनी चर्चित छत्तीसगढ़ी गजल आजादी के बाद बबा के मेहनत का पाठ किया. विनयशरण सिंह ने हास्य-व्यंग का प्रतिनिधित्व करते हुये तोला का करना हे गीत का पाठ किया.
संकल्प यदु ने मुक्तछंद का प्रतिनिधित्व करते हुये पिता को समर्पित बाढ़े पूत पिता के धर्मे का वाचन किया तथा रवीन्द्र पाण्डेय ने गद्य का प्रतिनिधित्व करते व्यंग रचना का पाठ किया. इस दौरान राधेकृष्ण महिला समूह की अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा यादव, श्रीमती सीमा यादव, श्रीमती आरती यादव, श्रीमती कांता यादव, श्रीमती राधा यादव, श्रीमती मालती यादव, श्रीमती सुनोचना यादव, श्रीमती मधु यादव, श्रीमती साधना यादव, श्रीमती इंदू यादव, रामानंद यादव, शंकर यादव, महेश यादव, जितेंद्र यादव, रमाशंकर यादव, जगन्नाथ यादव, संतोष यादव, रामकृष्ण यादव, जीवन यादव, राधेश्याम यादव, मनोज यादव, कैलाश यादव, सूर्यकान्त यादव, मनीष यादव, कन्हैया यादव, अजय यादव, राजू यदु व प्रकाश यादव सहित सर्किल प्रमुख उपस्थित थे.