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राजन यादव ने भोपाल में कला एवं साहित्य का अंत:संबंध पर दिया वक्तव्य

मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये प्रो.यादव

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के दृश्यकला संकाय के अधिष्ठाता प्रो.राजन यादव भोपाल में आयोजित सप्तवर्णी कला-साहित्य सृजन शोध पीठ, के गोष्ठी कार्यक्रम में शामिल हुये. कार्यक्रम में प्रो.यादव बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुयअ ौर कला एवं साहित्य का अंत:सम्बन्ध विषयक पर अपना वक्तव्य दिये. उन्होंने अपने वक्तव्य में काव्यकला, चित्रकला, मूर्तिकला, नाट्यकला एवं संगीतकला के अंत:सम्बन्ध पर सोदाहरण प्रकाश डालते हुये कहा कि जीवन का रहस्य कला में है. सच्चा जीवन ही सुन्दर कला है.

संस्कृति के मूल्यों को रूप-विधान में बांधना कला का कृतित्व है. अभिराम-अंकन चाहे वह वाग्विलास के क्षेत्र में हो, चाहे राग-रेखाओं में, चाहे वास्तुशिल्प में वह कला ही है. शोध पीठ के निर्देशक डॉ.बिनय षड़ंगी राजाराम ने प्रो.राजन यादव को शॉल एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किया. संगोष्ठी में संदीप किण्डो सहायक प्राध्यापक, शैलेन्द्र पारधे शोधार्थी इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के साथ ही मध्यप्रदेश व ओडि़सा के कलाकार, कला समीक्षक एवं साहित्यकार मौजूद रहे.

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