रागी फसल को बढ़ावा देने जिले में शुरू हुआ उत्पादन

जिले के लगभग 140 हेक्टेयर में हुई है रागी की फसल बोआई
छत्तीसगढ़ बीज निगम 5700 रु. प्रति क्विंटल दर पर खरीदेगा रागी
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. जिले में रागी फसल को बढ़ावा देने इसके उत्पादन की शुरूआत किसानों ने कर दी है. इस वर्ष जिले के 250 किसानों ने 140 हेक्टेयर जमीन पर रागी फसल की बोआई की है. कलेक्टर डॉ.जगदीश सोनकर ने कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2022-23 में सूक्ष्म धान्य की फसल को बढ़ावा देने निर्देश दिये थे. इसका उद्देश्य जिले में सूक्ष्म धान्य कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा और रागी (मडिय़ा) की फसलों का वैज्ञानिक कृषि उत्पादन में वृद्धि, किसानों की आय बढ़ाना और सुपोषण को बढ़ावा देना था. जिले में इस वर्ष लगभग 250 किसानों के द्वारा खेतों में रागी-मढिय़ा फसल की बोआई की गई है. कलेक्टर ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुये कहा कि जिले में सूक्ष्म धान्य की वैज्ञानिक कृषि से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करें. इस मिशन से जोडक़र किसानों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दें जिससे लघु धान्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा मिल सके. कृषि विभाग के उपसंचालक राजकुमार सोलंकी ने बताया कि जिले में इस वर्ष लगभग 140 हेक्टेयर जमीन में किसानों के द्वारा रागी-मढिय़ा की फसल बोआई की गई है. रागी एक ऐसी लघु धान्य फसल है जिसको रबी व खरीफ दोनों ही मौसम में बोई जा सकती है. खैरागढ़ क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक ग्राम दिलीपपुर निवासी पुरुषोत्तम वर्मा के लहलहाते रागी फसल को देखने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.

लघु धान्य फसल रागी के उत्पादन से किसानों को अधिक फायदा
कृषि उपसंचालक श्री सोलंकी ने बताया कि लघु धान्य फसल रागी के उत्पादन से किसानों को बहुत फायदा है, जैसे रागी का फसल लगभग 140 दिनों में हार्वेस्टिंग के लायक हो जाती है. इस फसल की सबसे खास बात यह है की यह अल्प वृष्टि वाले क्षेत्रों के लिये एक बेहतर विकल्प है जिसमें न ज् यादा पानी की जरूरत होती है न खाद और न ही किसी प्रकार के कीटों का प्रकोप होता है. किसानों के इस उत्पादन को छत्तीसगढ़ बीज निगम द्वारा 5700 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा जायेगा. इस फसल का उत्पादन स्तर भी लगभग 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जो लागत की तुलना में काफी बेहतर है. विगत दिनों संयुक्त संचालक कृषि संभाग दुर्ग के आरके राठौर ने भी कृषक पुरुषोत्तम वर्मा के खेत में जाकर रागी के फसल को देखा तथा क्षेत्र व विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिये संबंधित अधिकारियों को बधाई दी. क्षेत्र के ग्राम सेवक बुलेश वर्मा ने बताया कि रागी एक लघु धान्य फसल है जो कोलेस्ट्रॉल व रक्त चाप को नियंत्रित करता है. इसमें विटामिन बी-12, विटामिन सी, खनिज पदार्थ व मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है. कैल्शियम की प्रचुरता, फाइबर के साथ बच्चों में होने वाली बीमारी एनीमिया (खून की कमी) भी इसके सेवन से दूर होती है. रागी को चांवल जैसा पकाकर खाया जा सकता है, इससे बहुत स्वादिष्ट रोटी, ठेठरी, खुरमी, लड्डू और डोसा बनता है वहीं पुराने समय में लोग इसका घोंटो, मढिय़ा सूप बनाकर पीते थे और स्वस्थ रहते थे. खैरागढ़ ब्लॉक के ग्राम दिलीपपुर के किसान पुरुषोत्तम वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग की जानकारी, प्रोत्साहन और सहयोग से उन्होंने इस वर्ष एक एकड़ में रागी की फसल बोआई की है. फसल का उत्पादन बहुत अच्छा हुआ है. पिछले कई साल से मौसम की मार की वजह से चना की पैदावार कम होती थी, लागत ही वसूल होता था किंतु अब विकल्प के रूप में उन्हें रागी का फसल मिल चुका है. आने वाले समय में इसे ज् यादा मात्रा में लगाने की बात कही है.