रांगेय राघव पर प्रकाशित डॉ.उमेंद चंदेल की किताब का हुआ विमोचन
साहित्यकारों व प्राध्यापकों की मौजूदगी में हुआ विमोचन
सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. रानी रश्मि देवी सिंह शासकीय महाविद्यालय खैरागढ़ के हिंदी विभाग के तत्वाधान में विभाग के अतिथि प्राध्यापक डॉ.उमेंद कुमार चंदेल की किताब रांगेय राघव के कथा साहित्य में लोक संस्कृति का समारोहपूर्वक विमोचन हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की पूजा अर्चना से हुई जिसके बाद छात्रों ने अतिथियों का स्वागत पुष्प से किया. किताब का विमोचन फीता खोलकर सभी अतिथियों द्वारा डॉ.चंदेल को शुभकामनाएं देकर किया गया. विमोचन उपरांत आमंत्रित विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये. मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ.जीवन यदु ने लोक के मर्म को बताते हुए डॉ.उमेंद चंदेल को आगरा, राजस्थान की लोक संस्कृति और छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन करके एक नई पुस्तक लिखने का सलाह और सुझाव दिया. उन्होंने विस्तार से लोक और शास्त्र के संबंध को परिभाषित किया. खैरागढ़ विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.राजन यादव जो डॉ. चंदेल के शोध निदेशक रहे हैं ने बताया कि उमेंद में पहले क्या था और अब क्या है. साहित्य विवेचक एस मधुरवाणी ने बताया कि एक गांव का लडक़ा भी इस उपलब्धि पर पहुंच सकता है जो जीवन में लगन व ईमानदारी को प्रदर्शित करता है. पत्रकार अनुराग तुरे ने बताया कि डॉ.चंदेल असल मायनों में गुदड़ी का लाल है, उनमें आगे बढऩे की ललक और लगन है जो अन्य से उन्हें अलग करती हैं. जिपं सभापति विप्लव साहू ने प्रेरणादाई पंक्तियों से अपनी बात रखते हुये पुस्तक प्रकाशन को महत्वपूर्ण कार्य बताया. डॉ.जयति विश्वास प्रभारी प्राचार्य छुईखदान महाविद्यालय ने रांगेय राघव के विपुल साहित्य पर प्रकाश डाला और रचनाकार डॉ.उमेंद चंदेल के संघर्ष को रेखांकित किया. शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय खैरागढ़ की अतिथि व्याख्याता डॉ.मेधाविनी तुरे ने बताया कि उमेंद मेरा प्रिय शिष्य रहा है और साहित्य के प्रति समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया हैं. ग्रंथपाल जेके वैष्णव ने शोध का महत्व बताते हुये बाकी विद्यार्थियों को भी उनसे प्रेरणा लेने की बात कहीं. प्रभारी प्राचार्य सुरेश कुमार आडवाणी ने महाविद्यालय के लिए इसे गौरवमय क्षण बताया. कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभाग अध्यक्ष यशपाल जंघेल ने किया. संचालन करते हुये श्री जंघेल जी ने उमेंद चंदेल के लोक से जुड़ाव के विषय में बताया कि वह खुद जस व भजन गाते हैं और जस पार्टी का सफल संचालन भी चंदेल जी करते हैं. पुस्तक शब्द की उत्पत्ति को उन्होंने विस्तार से बताया. अंत में कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन करते हुये डॉ.उमेंद कुमार चंदेल ने सभी गुरुजनों, महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों, नवीन कन्या महाविद्यालय के समस्त शिक्षकों, महाविद्यालय के सभी अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों के प्रति भी आभार जताया. साथ ही नाथूराम निषाद के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट की. अतिथियों ने डॉ.उमेंद चंदेल को मोमेंटो, श्रीफल, शॉल, डायरी और कलम भेंट कर प्यार, स्नेह और आशीर्वाद प्रदान किया.