मासूम बालिका के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी युवक को आजीवन कारावास की सजा
आरोपी ने 12 साल बालिका के साथ बलात्कार कर उसे जान से मारने की की थी कोशिश
अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा, आरोपी को भेजा गया जेल
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. मासूम बालिका के साथ बलात्कार कर हैवानियत करने वाले आरोपी युवक को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अतिरिक्त लोक अभियोजक कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार खैरागढ़ अपर सत्र न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप ने मामले की त्वरित सुनवाई करते हुए ग्राम नदिया थाना गंडई जिला केसीजी निवासी आरोपी युवक अमित कुमार नेताम पिता स्व.अनकू राम उम्र 22 वर्ष के कुकृत्य के विरुद्ध महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है. पाठकों को बता दे कि लगभग ढाई साल पहले 20 मार्च 2021 की दोपहर 1.30 बजे पीड़ित बालिका की मां ने गंडई थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि 19 मार्च 2021 की शाम लगभग 7:00 बजे आरोपी युवक अमित कुमार नेताम ने उसकी 12 वर्षीय बालिका को दुकान ले जाने के बहाने घर से लेकर गया था, बहुत देर तक बालिका के नहीं पहुंचने पर आरोपी से पूछताछ की गई तो वह गोल-गोल जवाब देने लगा। परिजन परेशान होकर सरपंच व कोटवार सहित बालिका को ढूंढने लगे. तब पीड़िता की दादी ने बताया कि उसने आरोपी अमित कुमार नेताम को जुन्नु पटेल के ब्यारा में आंगनबाड़ी की दीवाल फांद कर जाते देखा है. शक पुख्ता होने पर आरोपी से फिर से पूछताछ की गई तब उसने बताया कि उसने पीड़िता को ब्यारा में रखे पैरावट में छोड़ा है। परिजन ग्रामीणों सहित जब मौके पर पहुंचे तो बालिका बेहोश पड़ी थी और उसके गले व आँख में खरोच व सूजन के निशान थे. आरोपी ने मासूम बालिका के साथ बलात्कार कर उसके अंग वस्त्रों को निकाल कर फेंक दिया था. परिजनों ने जब बालिका के गुप्तांग की जांच कि तो वहां भी चोट के निशान थे. बालिका के होश में आने पर उसे एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया, वहां चिकित्सकों ने बताया कि बालिका के साथ बलात्कार हुआ है, इस दौरान पीड़िता ने बताया कि बलात्कार करने के बाद आरोपी ने उसे जान से मारने की नीयत से उसका गला दबाया था. चिकित्सकीय मुलाहिजा के बाद पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 376 और पैक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत अपराध पंजीकृत किया था और आरोपी की गिरफ्तारी की गई थी.
मामले की सुनवाई के बाद मंगलवार 31 अक्टूबर को अपर सत्र न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप ने निर्णय पारित करते हुए कहा कि आरोपी के द्वारा किया गया कृत्य अत्यंत गंभीर प्रकृति का होकर समाज के लिए घातक है, सभ्य समाज में ऐसी घटनाएं स्वीकार्य नहीं है और कलंककारी हैं, ऐसे में आरोपी के लिये कोई भी सहानुभूति नहीं रखी जा सकती. पीड़िता के पक्ष में मामले की पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक (एजीपी) अल्ताफ अली ने बताया कि विद्वान न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप ने धारा 307 के लिए 10 वर्ष की सजा एवं ₹2000 का अर्थ दंड तथा 500 अधिनियम की धारा 5 के उल्लंघन में धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 मैं दोस्त सिद्ध पाए जाने पर आजीवन कारावास (शेष प्राकृत जीवन काल के लिए करवास) व 2000 के अर्थ दंड से दंडित किया गया है.