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राजनांदगांव

महाविद्यालय में विश्व ओजोन दिवस पर निबंध व पोस्टर प्रतियोगिता संपन्न

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर रानी रश्मिदेवी सिंह शासकीय महाविद्यालय खैरागढ़ में निबंध व पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ.डीके बेलेन्द्र ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में विज्ञान प्रभारी प्रो.जीएस भाटिया, छात्रसंघ प्रभारी जेके वैष्णव, प्रो.जितेन्द्र साखरे, प्रो.सुरेश आडवानी, प्रो.मुकेश वाधवानी, प्रो.सृष्टि वर्मा, प्रो.मनीषा नायक, प्रो.सतीश महला उपस्थित रहे. पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए वैश्विक सहयोग पर निबंध एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. निबंध में प्रथम नेहा वर्मा, द्वितीय चांदनी वर्मा, तृतीय कुमार वर्मा रहे वहीं पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम वंदना वर्मा, द्वितीय मिथलेश साहू एवं गिरवर साहू तृतीय रहे.

प्राचार्य डॉ.डीके बेलेन्द्र ने ओजोन एवं ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बताते हुए उर्जा संरक्षण के द्वारा वैश्विक वातावरण को संरक्षित करने पर अपना विचार प्रकट किये. विज्ञान प्रभारी प्रो.जीएस भाटिया ने पराबैगनी किरणों के दुष्प्रभावों को रेखांकित करते हुए ओजोन परत के संरक्षण को मानव स्वास्थ्य के लिए एवं जैव विविधता के लिए अत्यंत आवश्यक बताया. छात्रसंघ प्रभारी जेके वैष्णव ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 16 सितम्बर 1995 से ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाने के निर्णय से अवगत कराते हुए बताया कि ओजोन परत सूर्य के पैराबैगनी विकिरण से पृथ्वी पर जीवन को बचाती है. कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो.मुकेश वाधवानी ने ओजोन परत क्षय के दुष्परिणामों एवं उसके बचाव के लिये वाहनो का कम प्रयोग एवं अधिकाधिक वृक्षारोपण की बात कही.

प्रो.जितेन्द्र साखरे ने ओजोन परत संरक्षण के लिए वृक्षारोपण एवं पर्यावरण सुरक्षा के महत्व को बताया. प्रो.सुरेश आडवानी ने कहा कि ओजोन परत को पृथ्वी के समताप मंडल से 25 से 40 किमी की उंचाई पर स्थित है, ओजोन परत का क्षरण ऑस्ट्रेलिया एवं अंटार्कटिका के उपर वायुमंडल में हो रहा है. प्रो.मनीषा नायक ने कविता के माध्यम से ओजोन के संरक्षण को लेकर छात्रों को प्रेरित किया. प्रो.सृष्टि वर्मा ने बताया कि पृथ्वी के चारों ओर पायी जाने वाली ओजोन परत हमें सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है. ओजोन ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनता है, हैलोजन गैस युक्त मशीनों का कम से कम प्रयोग करने की बात कही. इस अवसर पर यशपाल जंघेल, डॉ.उमेन्द चंदेल, डॉ.स्मृति कन्नौजे सहित बड़ी संख्या में छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे.

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