महान कथा सम्राट प्रेमचंद की स्मृति में विवेकानंद स्कूल में हुआ आयोजन
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. प्रेमचंद पखवाडा के चलते 3 अगस्त को प्रलेस इकाई व पाठक मंच खैरागढ़ के संयुक्त तत्वावधान में प्रेमचंद जयंती का आयोजन विवेकानंद पब्लिक स्कूल के सभागार में सम्पन्न हुआ। आयोजन के प्रथम सत्र में प्राचार्य सुश्री पूजा पाण्डेय के संचालन में विद्यार्थियों ने प्रेमचंद की कहानियों का सस्वर कथावाचन किया तत्पश्चात् शाला के 110 विद्यार्थियों ने प्रेमचंद की कहानी पूस की रात, कफन, नशा, सुभागी व बोध पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लिया और तकरीबन 17 विद्यार्थियों ने प्रेमचंद पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता में शिरकत की। आयोजन का दूसरा सत्र सभागार में सम्पन्न हुआ जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ.जीवन यदु (सदस्य, अध्यक्ष मंडल प्रलेस छत्तीसगढ़), विनयशरण सिंह (संरक्षक, पाठक मंच और प्रलेस खैरागढ़), डॉ.प्रशांत झा (संयोजक, पाठक मंच खैरागढ़) और अध्यक्षता पं.मिहिर झा (सचिव, विवेकानंद पब्लिक स्कूल खैरागढ़) ने किया। इस सत्र की शुरुआत में शाला के छात्र-छात्रा प्रतिनिधियों का शपथ-ग्रहण पं.मिहिर झा के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात् शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करते हुये प्राचार्य सुश्री पाण्डेय ने ईदगाह कहानी का सस्वर वाचन किया। छात्रा भूमिका वर्मा ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार रखे। छात्रा याचिका जंघेल ने उनके समकालीन समय को याद करते हुये उन्हें समाज सुधारक बताया। डॉ.जीवन यदु ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों को समझना है तो कहानी में उपस्थित प्रेमचंद को पढ़ना होगा। जैसे कफन कहानी में किसानों की मौजूदा स्थिति के बारे में कहते हैं, तब समझ में आएगा कि यह कहानी आलसी और शराबियों की कहानी नहीं है। वे अखियन देखी तो लिखते थे, साथ ही जैसा देखते थे वैसा लिखते थे। उनके कहानियों में गांधीवाद तो है पर वह स्थूल न होकर गतिशील है। डॉ.प्रशांत झा ने कहा कि इस दौड़ती-भागती कालखंड में अपने पूर्वजों को याद करना हमारे जिंदा होने का प्रमाण है। प्रेमचंद की कहानियां देशज जीवन-मूल्यों से जोड़ती है। विनय शरण सिंह ने कहा कि साहित्यकार और प्रेमचंद जैसा साहित्यकार समाज-देश-राष्ट्र और काल से बंधा नहीं होता वह अपने समय और युग को जीता है साथ ही प्रतिनिधित्व करता है। संचालन कर रहे प्रलेस के अध्यक्ष और शिक्षक संकल्प पहटिया ने कहा कि प्रेमचंद को पढ़ना ज्यों-ज्यों बढ़ूत श्याम रंग त्यों-त्यों उज्वल होय के जैसा है, क्योंकि हम उन्हें पढ़कर स्वतंत्रता के पहले के भारत को जानते और समझते हैं। अधिवक्ता टी.के.चंदेल ने पूस की रात कहानी पर कहा कि किसान कर्ज में जीता है और कर्ज में मरता है। पहले जमींदार थे और अब उसकी बैंक हो गये है। सागर सोनी इंडिया ने मृतक भोज कहानी पर विचार रखे। स्वागत भाषण में पं.मिहिर झा ने कहा कि आज हमारे संस्था के शिक्षकों के मार्गदर्शन में एक अच्छी परम्परा का बीजारोपण हुआ है, जिसमें विद्यार्थी किताबों के अलावा प्रेमचंद जी से परिचित हो रहे हैं। अतिथि वक्ताओं का स्वागत और मंचासीन कराने में वीणा रंहनडाले और पूजा पाण्डेय का मार्गदर्शन रहा।