
खैरागढ़ महोत्सव का दूसरा दिन रहा यादगार
खैरागढ़ महोत्सव का दूसरा दिन बना ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी

पहली बार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये राजा आर्यव्रत देवव्रत सिंह
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। संगीत, कला और ललित कलाओं को समर्पित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में जारी खैरागढ़ महोत्सव का दूसरा दिन ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी बना। पहली बार खैरागढ़ रियासत के राजा बने आर्यव्रत देवव्रत सिंह मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए। समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो.(डॉ.) लवली शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी मनीष पारख (दुर्ग), अमित बरडिया (राजनांदगांव) व हरीश चंद जैन (राजनांदगांव) उपस्थित रहे।
मेरे पूर्वजों ने बिना स्वार्थ विश्वविद्यालय को समर्पित किया था यह महल- आर्यव्रत
द्वितीय संध्या को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के संस्थापक परिवार के सदस्य आर्यव्रत सिंह ने अपने परदादा स्व.राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और परदादी स्व.रानी पद्मावती को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया। उन्होंने कहा कि मेरे पूर्वजों ने बिना किसी स्वार्थ के यह ऐतिहासिक महल संगीत व कला शिक्षा को समर्पित कर दिया। उनका सपना था कि यहाँ के विद्यार्थी लगन से सीखकर अपना और खैरागढ़ का नाम रोशन करें। आर्यव्रत ने विश्वविद्यालय के बदलते स्वरूप पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय का स्तर गिरा था किन्तु कुलपति प्रो.लवली शर्मा के नेतृत्व में उसकी गरिमा पुनः स्थापित हो रही है। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दी।

विश्वविद्यालय विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान बना चुका है– कुलपति
कुलपति प्रो.लवली शर्मा ने संगीत एवं कला शिक्षा के लिए दान किए गए राजमहल के प्रति संस्थापक परिवार को नमन किया और उन्होंने कहा कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय केवल एशिया ही नहीं अब पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। कुलपति ने विश्वविद्यालय को केंद्रीय मंच पर लाने हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी साझा की।
निरंतर नवाचार के लिए कुलपति का हुआ मातृभूमि सेवा सम्मान
कुलपति पद ग्रहण करने के बाद विश्वविद्यालय में किए जा रहे निरंतर नवाचारों के लिए आत्मनिर्भर खैरागढ़ अभियान की टीम द्वारा प्रो.(डॉ.) लवली शर्मा को शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं अभिनंदन पत्र भेंटकर मातृभूमि सेवा सम्मान प्रदान किया गया। अभियान के वरिष्ठ स्वयंसेवी अनुराग शांति तुरे ने कुलपति द्वारा किए गए महत्वपूर्ण नवाचारों से कला प्रेमियों और उपस्थित जनसमूह को महोत्सव के मंच से अवगत कराया। विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफेसर सौमित्र तिवारी के द्वारा आभार अभिव्यक्त करते हुए कुलपति के साथ अतिथियों का स्मृति चिन्ह एवं पुष्प भेंट कर अभिनंदन किया गया। इसके पश्चात महोत्सव की दूसरी संध्या के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला संचालकगण प्रो.राजन यादव, प्रो.देवमाईत मिंज, प्रो.कौस्तुभ रंजन व प्रो. लिकेश्वर वर्मा की विशिष्ट उद्घोषणा के साथ प्रारंभ हुई जिसने दर्शकों को देर रात तक बांधे रखा।