मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के अंतिम व सुदूर ग्राम कटेमा में हुई पुलिस कैंप की स्थापना

एमपी व एमएच की सीमा पर कटेमा गांव सीजी के लिए है ट्राई जंक्शन
नक्सल उन्मूलन की दिशा में पुलिस प्रशासन की बड़ी कामयाबी
सामरिक महत्व के साथ ही इलाके में विकास व पर्यटन की संभावनाओं को मिलेगा बल
एसपी व आईटीबीपी के डीआईजी ने की हौसला अफजाई, वनवासियों से की चर्चा

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. ग्राम कटेमा खैरागढ़ जिले के उन अंतिम सुदूर गांव में शामिल है आजादी के बाद से लेकर अब तक विकसित बनने जा रहे हैं भारत का विकास नहीं पहुंच पाया है. पूर्ण रूप से आदिवासियों की रहगुजर और जीवन यापन का प्रतीक कटेमा गांव की खासियत यह है कि इस गांव के उत्तर पश्चिम में मध्य प्रदेश और दक्षिण पश्चिम में महाराष्ट्र राज्य की सीमाएं लगती हैं. मैकल श्रेणी पर्वत श्रंखला व सतपुड़ा पर्वत से जुड़े इस सुदूर इलाके में न केवल सामरिक दृष्टि से बल्कि भविष्य में विकास और पर्यटन की अपार संभावनाएं यहाँ मौजूद है. शुक्रवार 12 जनवरी को यहां थाना गातापार पुलिस का सुरक्षा कैंप स्थापित किया गया है. एसपी सुश्री अंकिता शर्मा के प्रयास से इस दिशा में सफलता मिली है.
कटेमा के ट्राई जंक्शन पर कैम्प की स्थापना पुलिस की बड़ी कामयाबी

कटेमा में कैंप की स्थापना को पुलिस प्रशासन की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है. पुलिस महानिरीक्षक राजनांदगांव रेंज राहुल भगत की मार्गदर्शन और एसपी अंकिता शर्मा के नेतृत्व में सघन नक्सल प्रभावित ग्राम कटेमा में पुलिस सुरक्षा कैंप की स्थापना एक बड़ी सफलता है. कैंप की स्थापना के दौरान लगातार तीन दिनों तक एसपी अंकिता शर्मा व आईटीबीपी के डीआईजी ओपी यादव, 40 सी वाहिनी आईटीबीपी के कमांडेंट अनंत नारायण दत्ता, डीसी तरुण बनर्जी, सहायक सेनानी ई कंपनी श्यामलाल, एसडीओपी प्रशांत खांडे, डीएसपी नक्सली ऑपरेशन राजनांदगांव अजीत ओगरे शहीद पुलिस के अधिकारी यहां डटे रहे. हालांकि इसके लिए महीनों प्रयास किया गया हैं. पुलिस कैंप की स्थापना के बाद कटेमा में पुलिस बल द्वारा घर-घर मिठाई व कंबल बांटा गया. एसपी अंकिता शर्मा की अगुवाई में कटेमावासियों से प्रत्यक्ष उनकी समस्याएं पूछी गई और उन्हें आश्वस्त किया गया कि पुलिस हर क्षण उनकी सहायता में तत्पर रहेगी.
नक्सलियों का हार्डकोर एरिया रहा है कटेमा
पिछले लगभग तीन दशक से ज्यादा समय से कटेमा का वनवासी इलाका माओवादी नक्सलियों का हार्डकोर एरिया रहा है. एसपी अंकिता शर्मा ने बताया कि सुदूर नक्सल प्रभावित ग्राम कटेमा खैरागढ़ जिले के उसे गांव के रूप में चिन्हित है जहाँ महाराष्ट्र का गोंदिया जिला और मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला लगता है. यह नक्सलियों का हार्डकोर आश्रय स्थलीय व आवागमन स्थल रहा है. इस इलाके का उपयोग नक्सली एक राज्य से दूसरे राज्य में क्रॉसिंग पॉइंट के रूप में करते रहे हैं. पुलिस के लिए यह स्थान सामरिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है. कटेमा में पुलिस कैंप की स्थापना से नक्सलियों की गतिविधि पर प्रभावी रूप से अंकुश लग पायेगा और इसे सफल अंतरराज्यीय नक्सल विरोधी अभियान चलाए जाने के लिए अब लांचपैड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा. भविष्य में नक्सली गतिविधियों पर विराम लगने से न केवल माओवाद से इस क्षेत्र को छुटकारा मिल पाएगा बल्कि यह इलाका विकास की अपनी कल्पना को साकार कर पाएगा जिसका आजादी के बाद से लेकर अब तक इंतजार रहा है. बता दें कि पुलिस कैंप कटेमा की स्थापना प्रक्रिया सुरक्षित रूप से पूर्ण करने में महाराष्ट्र पुलिस, मध्य प्रदेश पुलिस एवं जिला राजनांदगांव कबीरधाम के डीआरजी तथा खैरागढ़ जिले की डीआरजी टीम सहित 40 की वाहिनी आईटीबीपी की टीम का विशेष योगदान रहा.
जानते हैं पुलिस कैंप की स्थापना से क्या-क्या होंगे फायदे
कटेमा में पुलिस कैंप की स्थापना से भविष्य में यहाँ कई फायदे होंगे. ट्राई जंक्शन में होने से नक्सलियों के हार्डकोर इलाके का खात्मा होगा. जब नक्सली गतिविधियां कम व समाप्त होगी तो यहां विकास की संभावनाएं बढ़ेगी. सामरिक दृष्टि से इसका सदैव महत्व बना रहेगा. वनवासी आदिवासियों को पुलिस की निरंतर सेवा व सुरक्षा मिल पाएगी. जनता व पुलिस के बीच आपसी विश्वास बढ़ेगा. क्षेत्र में निर्बाध रूप से विकास कार्यों को गति मिलेगी. केंद्र व राज्य शासन की योजनाओं का यहां पर सरलता से क्रियान्वयन हो पाएगा. विकास परक कार्यों के साथ यहां पर्यटन की संभावनाओं को नया बल मिलेगा. वनवासियों के लिए रोजगार के अवसर व संभावनाएं बढ़ेंगी.