Advertisement
IMG-20241028-WA0001
IMG-20241028-WA0002
previous arrow
next arrow
KCG

मजदूरों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे की कल्पना नहीं की जा सकती- जस्टिस कश्यप

सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं अध्यक्ष सुषमा सावंत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशानुसार ग्राम पेंड्रीकला में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया. इस अवसर पर उपस्थित श्रमिकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप ने कहा किअंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस लाखों मजदूरों के परिश्रम, दृढ़ निश्चय और निष्ठा का दिवस है. एक मजदूर देश के निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता है और उसका देश के विकास में अहम योगदान होता है. किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहम भूमिका होती है. मजदूरों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती इसलिए श्रमिकों का समाज में अपना विशेष स्थान है. श्री कश्यप ने आगे पॉक्सो एक्ट, मोटर यान अधिनियम, बाल विवाह निषेध अधिनियम आदि के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी. आगे कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेक गर्ग ने मजदूरों के हितों के लिए बनाए गये कानूनी प्रावधानों के बारे में बताया कि भारतीय संविधान को नजर रखते हुये मजदूरों के लिए भी कई निश्चित प्रावधान निहित है. मजदूरों के द्वारा किए गए काम के लिए निश्चित घंटे निर्धारित किए गये हैं. इन प्रावधानों के उल्लंघन पर सख्त सजा व तय किया गया है. बंधुआ मजदूरी को गैर कानूनी घोषित किया गया है. श्रम न्यायालय का निर्माण किया गया है ताकि मजदूरों के साथ हो रहे अत्याचारों पर लगाम लग सके.

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मजदूरी में लगाना गैरकानूनी ही नहीं मानवीय मूल्यों के विरुद्ध है और ऐसा करने पर कठोर सजा तय की गई है. श्रम संगठनों को अधिकार के लिये आंदोलन का भी अधिकार, फैक्ट्री अधिनियम 1948, बोनस संदाय अधिनियम 1965, उपदान संदाय अधिनियम 1972, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, समान परिश्रमिक अधिनिमय 1976 7-कर्मकार प्रतिकर अधिनियम 1923, कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबन्ध अधिनियम 1952 9- ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) अधिनियम 1970,प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम 1961, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, बाल श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 आदि अधिकार दिया गया है. कार्यक्रम में उपस्थित जुडिशल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास गुरु प्रसाद देवांगन उपस्थित श्रमिकों को न्यायालय में दी जाने वाले निशुल्क एवं सक्षम विधि सहायता के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुये कहा कि महिलाओं बच्चों अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के सभी सदस्यों, आपदा पीड़ित, मानसिक रूप से विकसित एचआईवी से पीड़ित लोगों को नि:शुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता प्रदान की जाती है. आगे कार्यक्रम में पैरा लीगल वालंटियर गोलूदास साहू ने नालसा की गरीबी उन्मूलन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विधिक सेवाऐं, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए विधिक सेवाऐं और नि:शुल्क विधिक सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई. साथ ही संगठित एवं असंगठित क्षेत्र में बनने वाले श्रम कार्ड के फायदे के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई. उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने सरपंच धनवा राम साहू, पैरालीगल वालंटियर गोलूदास साहू, लखन साहू सभापति जनपद पंचायत खैरागढ़ सहित बड़ी संख्या में श्रमिक जन उपस्थित रहे. और इस अवसर पर मजदूरों को मिठाई का वितरण कर यह उत्सव मनाया गया.

Satyamev News

आम लोगों की खास आवाज

Related Articles

Back to top button

You cannot copy content of this page