मजदूरों का टोटा, फिर भी किसान व्यस्त

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. दीपावली का त्यौहार और चुनाव मतदान के निपटने के साथ ही अंचल में धान कटाई का काम अब जोरो पर है, धान कटाई के चलते एक ओर जहां किसान एकदम व्यस्त हो गये हैं वहीं गांव-शहर में मजदूरो का भी टोटा लगा हुआ हैं. हाल के दिनो में किसानी में अंचल के अमूमन मजदूर किसान बेहद व्यस्त है, किसान इस समय खेतो मे धान की कटाई और मिंजाई मे जुट गए है. धान की फसल पूरे क्षेत्र मे पककर तैयार है, खास तौर पर हरूना (अरली व्हेरायटी) धान की कटाई के बाद मिंजाई चल रही हैं. बताया जा रहा है कि कटाई और मिंजाई में और तेजी आ रही है, कुछ एक जगहो पर खेतो में पानी भरे होने अथवा खेतो में ज्यादा नमी होने से परेशानी जरूर हो रही है लेकिन धान कटाई के लिए पानी सूखाने कृत्रिम सहित अन्य पारम्परिक उपाय किये जा रहे है वही चना की बुआई के लिए भर्री खेत में जोताई का काम भी तेज रफ्तार से शुरू हो गया है.

पखवाडे भर पहले दीपावली त्यौहार व चुनाव सहित अन्य कारणो के चलते खेतो मे कटाई और मिंजाई जोर नही पकड़ पाई थी, दीवाली के पहले हालाकि कई क्षेत्रों मे कटाई शुरू की गई थी लेकिन मजदूरो की कमी के कारण काम जोर नही पकड़ पाया था. त्यौहार की खुमारी पूरी तरह से उतरी नही थी कि इसी बीच जिले में पहले चरण का चुनाव आ गया, चुनाव में मतदान के बाद अब उम्मीद जताई जा रही हैं कि देवऊठनी पर्व (ग्रामीण जन-जीवन की छोटी दीवाली) के बाद अब कटाई मिंजाई का काम लगभग समाप्ति की ओर रहेगा.

जिलेभर में मजदूरों का टोटा होने से धान कटाई का काम धीमा तो हुआ है लेकिन आधुनिक संसाधनों ने आंचल में कुछ सालों में इस समस्या का भी निदान किया है, धान की कटाई के लिए हार्वेस्टर मशीन एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आई है. छत्तीसगढ़ प्रदेश से बाहर अन्य प्रदेशों से परदेसी हार्वेस्टर वाहन लेकर धान की कटाई कर रहे हैं. लगभग 50 प्रतिशत खेतों में हार्वेस्टर के माध्यम से ही धान की फसल काटी जा रही है. किसानों का कहना है की हार्वेस्टर से धान कटाई करने पर समय और उपज खराब होने की समस्या से बचाव होता है.

क्षेत्र के किसान सबसे ज्यादा इस बार औसत से अधिक बारिश से प्रभावित हुए है. अच्छी बारिश के चलते किसानो को धान की फसल में आशातीत उम्मीद हैं, हालांकि खेतो मे बारिश का भरा पानी सूख नही पाने से कई स्थानों में धान की कटाई में परेशानी हुई है. पानी सूखाने और कटाई के बाद धान की बालियो को रखने काफी जतन करना पड़ा है.

इस साल हुई औसत से अधिक बारिश का सबसे ज्यादा कहर सोयाबीन की फसल पर पड़ा है, सोयाबीन की फसल में नुकसान का आंकलन हैं वहीं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धान का बोनस और खरीदी अच्छी होने से बीते दो-तीन वर्षों में सोयाबीन का रकबा क्षेत्र में घटा है.

धान की कटाई और मिंजाई जोरो पर होने के चलते ऐसा अनुमान लगाया जा रहा हैं कि धान खरीदी भी अगले सप्ताह से जोर पकड़ लेगी. आधे से अधिक धान खलिहानो तक पहुँच चुका है जहाँ जोरो से मिंजाई का काम चल रहा है, अभी समितियां में धान की उपज पहुंच रही है वहीं पखवाड़े भर मे धान की उपज समितियों मे पहुँचते ही किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलने लगेगा.

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