भातखंडे विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो.शर्मा ने सितार वादन पर दिया विशेष व्याख्यान

सितार वादन की बारीकियों से विद्यार्थियों को कराया अवगत

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय व्याख्यान कार्यक्रम में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति माननीय प्रो.डाॅ.लवली शर्मा ने विद्यार्थियों को सितार वादन पर विशेष व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के प्रथम दिवस कुलपति ने शोध से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुये शोध की रूपरेखा व सारांश सहित अन्य विषयों पर उदाहरण सहित विद्यार्थियों से विस्तृत चर्चा की और दूसरे दिन सितार वादन पर शोध के क्रियात्मक पक्ष से संबंधित जानकारी साझा करते हुये सितार वादन की प्रस्तुति के साथ शोधार्थियों को विविध जानकारी प्रदान की। कुलपति ने सितार वादन की विभिन्न शैलियों और तकनीकों को लेकर छात्रों को जानकारी देते हुये तान्त्रिकारी शैली, इमदादखानी शैली तथा मिश्रबानी शैली से अवगत कराया तथा इसके संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी साथ ही विद्यार्थियों को प्रसिद्ध सितार वादकों की भी जानकारी दी जो विभिन्न शैलियों में सितार वादन कर अपनी एक अलग पहचान बनाये हैं। कुलपति शर्मा ने सितार वादन की तकनीकी और सांस्कृतिक पहलुओं पर प्रकाश डाला जिससे इस पारंपरिक वाद्य को नई दिशा मिल सकती है। कुलपति ने कहा कि सितार वादन न केवल एक संगीत कला है बल्कि यह एक योग और ध्यान का भी रूप है। सितार वादक अपने वादन के माध्यम से न केवल संगीत की सुंदरता को प्रस्तुत करते हैं बल्कि वे अपने श्रोताओं को एक आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करते हैं। इस दौरान शोधार्थियों को सितार वादन की तकनीकी पहलू, सांस्कृतिक महत्व, आध्यात्मिक अनुभव सहित अन्य विषयों पर भी जानकारी साझा की और सितार वादन को नई पीढ़ी के बीच प्रोत्साहित करने तथा इसके सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा देने के लिये विशेष पहल की।