बाजार अतरिया में बेधड़क हो रहे अवैध ईट भठ्ठे का संचालन: मूकदर्शक बना प्रशासन

बाजार अतरिया, आमाघाट कांदा चौक से उदयपुर तक दर्जनों अवैध ईंट भट्ठे
सत्यमेव न्यूज बाजार अतरिया(सुरेश वर्मा). केसीजी जिले के अंतिम छोर में बसे बाजार अतरिया एक सघन आबादी वाला एक बड़ा व्यापारिक केंद्र और विशाल मैदानी इलाका है जहां से लोग अपनी जरूरत की सामग्री खरीदने पहुंचते हैं। जिला निर्माण के बाद बड़ी तेजी से यहां निजी एवं शासकीय आवास बन रहे है लेकिन यहां लंबे समय से अन्य प्रदेश एवं अन्य जिले के लोग अवैध ईट भट्ठे का संचालन बेरोक-टोक कर रहे हैं। बता दे कि विगत चार-पांच वर्ष पूर्व यहां गिनती के ही ईट भट्ठे का संचालन हुआ करता था लेकिन क्षेत्र में आज दर्जन भर से अधिक भट्ठे संचालित है जिनमें बाजार अतरिया, सोनपुरी, आमाघाट कादा चौक एवं उदयपुर सहित आसपास के क्षेत्र में अवैध ईट भट्ठे का ग्राफ दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है जिसका कारण प्रशासन का इन ईट व्यापारियों को मौन समर्थन देना है। अवैध ईट भट्ठे के संचालन से पंचायत एवं विद्युत विभाग की लगातार राजस्व हानि हो रही है, साथ ही पर्यावरण और अवैध पेड़ की कटाई भी धड़ल्ले से हो रही है वहीं धूल मिट्टी से राहगीर परेशान हैं।
बेरोक-टोक ईट भट्ठों के संचालन से खेती हो रही बंजर
अंचल में ईट भट्ठों के संचालन से खेती भी बंजर हो रही है। किसानों के खेत को किराए से खरीद कर ईट बनाई जा रही है जिससे खेतों की उर्वरता कम हो रही है। आसपास के कई खेतों में इसका प्रभाव पड़ रहा है। इसके बावजूद खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिला बनने के बाद भी प्रशासनिक लचरता की वजह से कोई सार्थक कार्यवाही देखने को नहीं मिल रही है।
पानी की समस्या के बीच हो रहा अवैध कारोबार
एक तरफ क्षेत्र में पेयजल की विकराल स्थिति बनी हुई है वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में बेधड़क अवैध ईट भट्ठे का संचालन करने वाले ईट बनाने के लिए पानी की गंगा बहा रहे हैं। गांव गांव में पानी टंकी के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था बनाई जा रही है इधर ईट बनाने के लिए जगह-जगह कृषि पंपों से पानी बहाकर ईट बनाया जा रहा है।
कार्यवाही करने से कतरा रहा जिला प्रशासन
कई लोग दूसरे राज्य एवं जिले से आकर बाजार अतरिया क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध ईट भट्ठे का संचालन कर रहे हैं जो कि पानी की दुरुपयोग हैं। पंचायत एवं विद्युत विभाग को राजस्व की हानि भी हो रही है जिसे लेकर लगातार शिकायत मिलने के बाद भी जिला प्रशासन के कान में जू तक नहीं रेंग रही है।
अवैध कारोबार के कारण ईट की कीमत आसमान पर
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बड़ी तादाद में आवास की स्वीकृति दी गई है जिसके चलते हर गांव में पीएम आवास के माध्यम से घर बनाया जा रहा है लेकिन स्वीकृत राशि 1 लाख 20 हजार रुपए ही मिल पा रहा है जबकि एक ईट की कीमत 6 रुपए है। ऐसे में घर बनाना महंगा पड़ रहा है। ऐसे में नियमों के विपरीत लोग कल ईट का प्रयोग नहीं कर अवैध रूप से लाल ईट का भवन निर्माण में उपयोग कर रहे हैं।
पंचायत एवं विद्युत विभाग को हो रही राजस्व की हानि
लाल ईट की भट्टे के संचालन करने वाले लोगों द्वारा पंचायत एवं विद्युत विभाग को चूना लगाया जा रहा है। पंचायत की बिना कोई जानकारी-सूचना के बाहर के लोग आकर किसानों के जमीन को लीज पर लेकर अवैध ईट भट्ठे का संचालन कर रहे हैं वहीं पंचायत को राजस्व भी नहीं मिल पा रही है साथ ही कृषि पंपों से अवैध ईट भट्ठे का संचालन कर व्यापार कर रहे हैं। ऐसे में बिजली चोरी भी हो रही है और कृषि पंप की बिजली को ईंट बनाने में उपयोग किया जा रहा है। क्षेत्र में समस्या को लेकर जागरूक नागरिकों ने प्रशासन से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।