विरोध के बाद भी खैरागढ़ के एकलौते खेल मैदान में बना दी कांक्रीट की दीवार
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. शासन के सरपरस्तो से शाबासी लूटने जिला प्रशासन विरोधाभासी और अव्यवहारिक कामों में जुट रहा हैं, दरअसल खैरागढ़ में एक दिन के राज्योत्सव के लिए यहां के एकलौते फतेह सिंह खेल मैदान का सीना चीरकर जिला प्रशासन के निर्देश पर कृषि विभाग नरवा-गरवा-घुरवा-बारी का मॉडल तैयार कर रहा है. पहले से बदहाल फतेह मैदान में ढाई बाई ढाई फिट का गढ्ढा खोद दिया गया है. खेल के मैदान में कांक्रीट की दीवार खड़ी की जा रही है. मॉडल बनाने के लिए करीब दो ट्रॉली मिट्टी डालकर नरवा-गरवा-घुरवा-बारी का मॉडल बनाया जा रहा है. जिसके बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि खेल मैदान में पक्का निर्माण कार्य क्यों किया जा रहा है. तय हैं कि आयोजन के बाद उसे उखाड़ा जाएगा जिससे मैदान का स्वरूप बिगडेगा और पहले से ही अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके फतेह मैदान में खिलाडियों को नई मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा.
निर्माण कार्य को लेकर सहां अभ्यास करने वाले खिलाडिय़ों का कहना हैं कि मैदान को उसके मूल स्वरूप में लाने के प्रयास नहीं किया जाएगा और तोड़-फोड तथा अव्यवस्था फैलाकर प्रशासन चलता बनेगा जिसके बाद पूरी परेशानी खिलाडिय़ों को ही होगी लेकिन प्रशासनिक अनदेखी और लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज् योत्सव के अवसर पर जिला उद्घाटन के अवसर पर उबड़-खाबड़ हो चुके फतेह मैदान को समतल और उसकी मरम्मत करने की बजाय उसे और बदहाल किया जा रहा है. फतेह मैदान नगर पालिका के अंतर्गत आता है. पालिका प्रशासन तय शुल्क लेकर फतेह सिंह खेल मैदान को विभिन्न आयोजनों के लिए किराए पर देकर राजस्व में तो वृद्धि करता है लेकिन मैदान की सफाई व अन्य मरम्मत पर एक धेला भी खर्च नहीं कर रहा है. आयोजनों के बाद मैदान में खेलने वाले खिलाड़ी और निर्मल त्रिवेणी सरीखी सेवाभावी संस्थाएं ही मैदान की सफाई कर उसे दोबारा खेलने लायक बनाते हैं.
जमीनी स्तर पर खैरागढ़ में फेल हो रहे चार चिन्हारी मॉडल
छ.ग. शासन की महत्वाकांक्षी नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को लेकर चार चिन्हारी मॉडल खैरागढ़ में फेल हो रहा हैं. प्रशासनिक अमला राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा-गरवा-घुरवा-बारी लुभावना मॉडल तैयार तो कर रही है लेकिन खैरागढ़ का एकमात्र गौठान बदहाल हैं. इसे लेकर पूर्व में किसानों व नागरिकों के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा चुका हैं लेकिन तकरीब 20 लाख का गौठान होने के बाद भी शहर के मुख्य मार्गों में आवारा मवेशी का जमावड़ा लगा रहता हैं और शासन की उक्त महत्वाकांक्षी योजना का फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा हैं.