प्रशासनिक लापरवाही से बछड़े की मौत, अव्यवस्था को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी

भूख-प्यास से तड़पकर बछड़े की मौत का मामला गरमाया
स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर भी मंडराया खतरा
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़ जालबांधा। प्रशासनिक लापरवाही ने ग्राम भोथी में एक मासूम बछड़े की जान ले ली। प्राथमिक स्कूल के ठीक बगल में बने अस्थायी पशु-बाड़े में रविवार को चारा-पानी के अभाव और भीषण गर्मी के कारण बछड़े ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। न छत, न देखभाल, न जिम्मेदारी यह दर्दनाक मंजर स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
पशु-बाड़ा बन रहा बेजुबान पशुओं के लिए यातना गृह
ग्रामीणों ने बताया कि अस्थायी बाड़े में रखे गए जानवर खुले आसमान के नीचे भूख-प्यास और धूप-बारिश से बेहाल रहते हैं। किसी तरह की छाया, चारे या पानी का इंतजाम तक नहीं है। नतीजा यह हुआ कि मासूम बछड़ा बेबसी में मर गया और बाकी जानवर भी मौत के साए में जी रहे हैं।
स्कूली बच्चों पर भी मंडरा रहा लापरवाही का खतरा
मामला केवल पशु-कल्याण तक सीमित नहीं रह गया है। जिस जगह पर बछड़े की मौत हुई है और वह पशु बाड़ा जिस जगह बनाया गया है वह प्राथमिक विद्यालय से सटा हुआ है। ज्ञात हो कि दुर्गंध और गंदगी से स्कूल का वातावरण दूषित हो चुका है और पशुओं की आवाजाही ने बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है। अब अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि क्या बच्चों को बीमारियों और हादसों के हवाले छोड़ दिया जाएगा?
ग्रामीणों मे पनप रहा प्रशासनिक अव्यवस्था के बीच आक्रोश
बेजुबान बछड़े की असमय मौत के बाद गाँववालों ने कड़ी नाराज़गी जताते हुए माँग की है कि इन अस्थायी पशु बाड़ों को या तो पशु चिकित्सा विभाग के अधीन लाया जाए या तुरंत हटाया जाए। साथ ही बछड़े की मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की माँग उठाई जा रही है ताकि व्यवस्था सुधर सके। गौरतलब हो कि भोथी की यह घटना सिर्फ एक बछड़े की मौत नहीं बल्कि एक चेतावनी और प्रशासनिक अव्यवस्था पर सवाल है कि क्या जानवर यूँ ही भूख-प्यास से मरते रहेंगे? क्या बच्चों की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता मे शामिल नहीं है?