पाठक मंच व प्रगतिशील लेखक संघ इकाई खैरागढ़ ने किया रचना पाठ का आयोजन

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. पाठक मंच खैरागढ़ व प्रगतिशील लेखक संघ इकाई खैरागढ़ के तत्वाधान में रचना संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संघ के सक्रिय सदस्य अनुराग शांति तुरे के निज निवास में आयोजित संगोष्ठी में सर्वप्रथम खैरागढ़ प्रलेस के संरक्षक डॉ.जीवन यदु ने प्रगतिशील लेखक संघ के इतिहास पर प्रकाश डालते हुये कहा कि रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना का पूरे विश्व के साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी के साथ-साथ राजनीतिज्ञ पर प्रभाव पड़ा जैसे नेहरू जी. कहा गया कि मजदूरों की मुक्ति वैयक्तिक नहीं सामूहिक होती है. सामूहिकता की आवाज में ताकत होती है. रूस में मैक्सिम गोर्की ने सर्वप्रथम लेखकों का संगठन बनाया जिसका उद्देश्य फासीवाद और पूंजीवाद के विरुद्ध संस्कृति और साहित्य की रक्षा करना था. इस संगठन में बारबुस व रोमा रोला जैसे विद्वान लेखक शामिल थे. सन् 1935 में इंडियन राइटर एसोसिएशन स्थापना मुल्क राज आनंद और सज्जाद ने इंग्लैंड में की. उसके अगले वर्ष अर्थात 1936 में मुल्क राज आनंद और सज्जाद जहीर के ही प्रयास से अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हुई जिसमें सभी भारतीय भाषाओं के कवि व लेखक सम्मिलित हुये.

भारत में लेखक संगठन के पहले भी प्रगतिशील लेखक थे जैसे प्रेमचंद, निराला. निराला ने छायावाद का अतिक्रमण किया और कुकुरमुत्ता जैसी कविता लिखी. बहरहाल 1936 में इसका प्रथम अधिवेशन लखनऊ में हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की थी. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने प्रगतिशील लेखक संघ के बारे में कहा था कि आज जो प्रगतिशील लेखक हैं और कल के दिन नये प्रगतिशील लेखक सामने आएंगे इस तरह गतिमान रहेगा. दूसरा अधिवेशन कोलकाता में हुआ जिसकी अध्यक्षता रविंद्रनाथ टैगोर ने की. सन् 1940 में तीसरा अधिवेशन मुंबई में हुआ और चौथा अधिवेशन भिवंडी मुंबई में हुआ जिसकी अध्यक्षता रामविलास शर्मा ने की. 60 और 70 के दशक में आंदोलन धीमा पड़ता गया, 70 दशक के मध्य फिर से गति पकड़ी और 1980 में जबलपुर में अधिवेशन हुआ, जिसकी अध्यक्षता हरिशंकर परसाई ने की और यह आज तक गतिमान है.

डॉ.जीवन यदु ने लंबे अरसे के बाद अपनी कविता का पाठ किया और मां को समर्पित तुम मेरी अदिति हो, दीति हो मां तथा पिता को समर्पित कविता पिता की चप्पल और कविता जरूरी नहीं का पाठ किया. बसंत यदु ने ठेठ छत्तीसगढ़ी में मुक्तक का पाठ किया. विनयशरण सिंह ने राम का सहारा लेकर समाज में फैल रहे वैमनस्य पर प्रहार करते हुए मुक्तक का पाठ किया और सब्जी बाजार शीर्षक से खरीदार की मानसिकता को रेखांकित करते हुये हास्य-व्यंग्य रचना का पाठ किया. संकल्प यदु ने कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ और पाठक मंच में रचना पाठ की अच्छी परंपरा रही है. कोरोना के चलते यह परंपरा टूट सी गई है, पहले एक रचनाकार की 10 रचनाओं पर रचना पाठ होता था और उसकी समीक्षा भी होती थी, चित्रकला प्रदर्शनी भी होती थी. उन्होंने रीतिकालीन मानसिकता को तोड़ते हुये प्रेम कविता ढूंढो ढूंढो रे साजना और मनुष्य की अदम्य जिजीविषा को रेखांकित करती कविता फूल का पाठ किया.

अनुराग शांति तुरे ने अपनी रचना कर्म को समर्पित भु्रण हत्या और एकलव्य कविता का पाठ किया. रविंद्र पांडे ने समाज के पूंजीवादी से उपजे पाखंड पर प्रहार करते हुये व्यंग्य लेख पाप का घड़ा का पाठ किया. बलराम यादव ने रचना नारी पर केंद्रित पढ़ी. रवि यादव ने लोगों के बीच बढ़ती संवादहीनता पर हिंदी कविता सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और अंधविश्वास पर चोट करते हुए छत्तीसगढ़ी कविता बोकरा के सिंग टूटगे का पाठ किया. गिरवर साहू ने नारी शक्ति को संबोधित करते हुये छत्तीसगढिय़ा नोनी गीत का पाठ किया. धर्मेंद्र जंघेल ने पुरुषवादी मानसिकता पर प्रहार करते हुये पिता का जन्म कहानी का पाठ किया. केशरी गुप्ता ने गांव के प्रति अपने विश्वास को प्रकट करते हुये छत्तीसगढ़ी गीत चलो गांव ला गांव बनाबो का पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुये यशपाल जंघेल ने निम्न वर्ग को रेखांकित करते हुये घास कविता का पाठ किया. आभार प्रदर्शन करते हुये अनुराग शांति तुरे ने कहा कि यह आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ खैरागढ़ व पाठक मंच खैरागढ़ को नई ऊर्जा प्रदान करेगा. आने वाले समय में हम दोगुने उत्साह के साथ इस तरह का आयोजन करेंगे.

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