पहली बार हिमालयन बजर्ड दिखने से पक्षी प्रेमियों में उत्साह
खैरागढ़-डोंगरगढ़ की मैकल श्रेणियाँ कई प्रवासी पक्षियों का ठिकाना
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. पहली बार हिमालयन बजर्ड दिखने से पक्षी प्रेमियों में उत्साह देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ के जंगल और यहाँ की भौगोलिक संरचना विभिन्न पशु-पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं जिसके चलते प्रदेश की जैव विविधता पूरे विश्व में अपना विशेष स्थान रखती है। डोंगरगढ़-खैरागढ़ में फैली मैकल की श्रेणियाँ कई प्रवासी पक्षियों का ठिकाना हैं, इसके साथ ही विश्व के कई हिस्सों से आए पक्षी छत्तीसगढ़ की आद्र भूमि को अपनी यात्रा का अहम पड़ाव या लंबी उड़ान के लिए री प्यूलिंग करने के लिए ट्राय जंक्शन के रूप में इस्तमाल करते हैं। ऐसा ही एक विशेष पक्षी हिमालयन बजर्ड छत्तीसगढ़ में दिखाई दिया है, विशेष इसलिए है क्योंकि ये पक्षी हिमालय के अलावा बहुत ही कम स्थानों पर दिखाई देता है। ऐसे में इसका छत्तीसगढ़ में दिखना पक्षी प्रेमियों को बेहद उत्साहित कर रहा है। बजर्ड परिवार के पक्षी एक जैसे ही दिखाई देते हैं इसलिए इस पक्षी की पहचान कर पाना बहुत कठिन है लेकिन छत्तीसगढ़ में हिमालयन बजर्ड की एक तस्वीर सामने आयी है जिसे वन्य प्राणी संरक्षण और शोध करने वाली संस्था जू प्रिंट ने प्रकाशित किया है। खैरागढ़ के सर्टिफाय फील्ड ऑर्निथोलॉजिस्ट प्रतीक ठाकुर ने इस पक्षी को रिकॉर्ड किया है। प्रतीक ठाकुर ने पहले भी राज्य की पक्षी सूची में ग्रे बूस चौट पक्षी को ऐड किया था और अब उन्होंने हिमालयन बजर्ड को भी रिकॉर्ड कर लिया है। प्रतीक ठाकुर ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में विजिट के दौरान उन्होंने इस पक्षी को रामगढ़ की पहाड़ियों के ऊपर उड़ते देखा, पहले प्रयास में फोटो ब्लर हो गई लेकिन दूसरे प्रयास में वो एक फोटो लेने में सफल हो गए। दस्तावेज और शोध के लिए और भी कई बार उन्होंने रामगढ़ की साइट विजिट की लेकिन दुबारा उन्हें हिमालयन बजर्ड नहीं दिखा। छत्तीसगढ़ पक्षियों के रहवास के लिए उत्तम स्थान है यहाँ दक्षिण के जंगलों में वेस्टन और ईस्टन घाट के पक्षियों की प्रजाति पायी जाती है। मध्य की आद्र भूमि में दुनिया भर के प्रवासी पक्षी आते हैं और उत्तर की पहाड़ियों में हिमालय के पक्षी पाये जाते हैं। प्रवासी और दुर्लभ पक्षियों के छत्तीसगढ़ में आने से प्रकृति प्रेमियों में ख़ुशी का माहौल बना हुआ है। छत्तीसगढ़ की पक्षी सूची में हिमालयन बजर्ड के शामिल होने से खैरागढ़ डीएफओ आलोक तिवारी ने बताया कि ये बजर्ड ऊँची खडी चट्टानों वाले क्षेत्र में ही अपना घोसला बनाते हैं क्योंकि ये बड़े आकार के पक्षी हैं, इन्हें उड़ान के लिए ऊँची जगह चाहिए होती है लेकिन इसका छत्तीसगढ़ के सरगुजा रेंज में मिलना एक सुखद संयोग है। छत्तीसगढ़ में हिमालयन बजर्ड पाया गया है तो हम निश्चित ही इसमें और शोध करेंगे क्योंकि छत्तीसगढ़ में अभी तक इस तरह की पक्षियों को लेकर ज्यादा शोध नहीं हुआ है।