परिवहन व्यवस्था शुरू होने के बाद जिले में पटरी पर लौटी धान खरीदी
धान परिवहन नहीं होने से कई समितियां में बंद हो रही थी खरीदी
हर साल रहता है परिवहन का रोना
किसानों को धान बेचने में होती है परेशानी
कलेक्टर के विशेष ध्यान देने के बाद शुरू हुआ है जिले में परिवहन
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. धान खरीदी को सुचारू रूप से जारी रखने अधिकारियों के द्वारा समितियों में जाम धान के परिवहन को लेकर व्यवस्था बनाई जा रही है। समितियों से धान परिवहन होने के बाद अब पुनः जिले में धान खरीदी पटरी पर लौट गई है और किसान एक बार फिर बिना किसी परेशानी के धान खरीदी केन्द्रों में अपना धान बेच पा रहे हैं। ज्ञात हो कि परिवहन व्यवस्था शुरू करने कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा के विशेष प्रयास से व्यवस्था में सुधार हुआ है, बीते तीन दिनों से एसडीएम सहित धान खरीदी प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी केन्द्रो में पहुंचकर व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। खबर हो कि वनांचल में बसे ग्राम ईटार व गातापार जंगल के धान खरीदी केन्द्र में जगह की कमी के चलते धान खरीदी बंद हो गई थी जिसके कारण किसानों को धान बेचने में परेशानी हो रही है। किसानों की परेशानी को ध्यान में रखते हुये बीते दिनों कलेक्टर के निर्देश के बाद एसडीएम टंकेश्वर प्रसाद साहू के द्वारा ग्राम ईटार व गातापार जंगल के धान खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण कर धान परिवहन का व्यवस्था बनाई गई जिसके बाद अब वहां सुचारू रूप से धान खरीदी की जा रही है। हालांकि बताया जा रहा है कि यदि धान का परिवहन लगातार होता रहा तो ही आगामी समय में धान की खरीदी जारी रहेगी यदि परिवहन बंद हुआ तो पुनः समितियों में धान खरीदी बंद हो सकती है। फिलहाल एसडीएम ने रविवार तक लगातार धान का उठाव करने के निर्देश दिये हैं लेकिन आगे देखना होगा कि क्या रविवार के बाद भी धान का परिवहन जारी रहेगा या बंद हो जायेगा।
जिले के सभी केंद्रों में शुरू है धान खरीदी
वर्तमान में जिले के लगभग सभी समितियों में किसानों से धान खरीदा जा रहा है जिससे बचे हुये किसान अपना धान सुचारू रूप से बेच पा रहे हैं। पाठकों को बता दे कि हर साल धान परिवहन का रोना रहता है। यह पहला साल नहीं है कि जिले की समितियों में धान के परिवहन को लेकर समस्या आ रही है बल्कि धान परिवहन को लेकर हर साल का रोना रहता है। धान खरीदी का शुभारंभ होते ही धड़ल्ले से किसानों से धान खरीदा जाता है परंतु जिस गति से धान की खरीदी होती है उस गति से धान का उठाव नहीं हो पाता जिसके कारण अधिकतर समितियों में धान जाम हो जाता है और प्रबंधकों द्वारा धान खरीदी बंद करना पड़ता है जिससे नुकसान किसानों हो उठाना पड़ता है। हालांकि धान परिवहन को लेकर जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा मीलरों सहित विपणन अधिकारियों को लगातार धान उठाने निर्देशित किया जाता है परंतु धान परिवहन में कहीं न कहीं लापरवाही बरते जाने के कारण हर साल यही स्थिति निर्मित होती है जिससे किसानों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
जिले की समितियों में सुविधाओं का भी अभाव
शासन-प्रशासन के द्वारा जिले की समितियों में किसानों के लिये मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश लगातार दिये जा रहे हैं परंतु वर्तमान में जिले की कई समितियों में सुविधाओं का अभाव देखने को मिल रहा है। सेवा सहकारी समिति ईटार में कृषकों के छाया व बैठक के लिये अस्थायी शैड बनाया गया है, कृषकों के लिये पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने किसान के बोर से पानी लेना पड़ रहा है, धान खरीदी के लिये यहां 45247 बारदाने ही उपलब्ध हैं, धान को बारिश से बचाने के लिये केवल 35 नग तालपतरी मौजूद है। इसी तरह आमदनी समिति में किसानों के बैठने के लिये एक शैड व कार्यालय है, पेयजल के लिये यहां बोरवेल्स की सुविधा है, यहां बारिश से बचने 43 नग तालपतरी है। बैहाटोला समिति में पेयजल के लिये बोर की व्यवस्था नहीं है तथा बारदाना केवल 2500 ही उपलब्ध है। पांडादाह समिति में छाया के लिये एक शैड है वहीं किसान कुटीर निर्माणाधीन है। गातापार जंगल समिति में छाया के लिये शैड ही नहीं है, पेयजल की बात करें तो किसानों से पानी लेकर पीते हैं, बोर की व्यवस्था ही नहीं है वहीं तालपतरी केवल 30 नग ही है। इसके अलावा ऐसी कई समितियां है जहां पेयजल, छाया, बारदाने की समस्या, तालपतरी की समस्या सहित कई समस्याएं व्याप्त है।
समितियों में अभी भी बारदाने का संकट
जिले की अधिकतर समितियों में अभी भी बारदाने की संकट है जिसके कारण किसानों को परेशानी हो रही है। शासन के द्वारा पहले से ही किसनों को अपने बारदाने में धान बेचने की अपील की गई है जिसका पैसा शासन के द्वारा किसानों के खाते में दिया जायेगा लेकिन अधिकतर किसान समितियों का ही बोरा धान बेचने के लिये उपयोग में ला रहे हैं जिसके कारण समितियों में बारदाने का संकट गहराया हुआ है। हालांकि शासन-प्रशासन के द्वारा बारदाने की कमी को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है लेकिन कई समितियों में आवश्यकता से कम बारदाने उपलब्ध हैं।
बारिश से धान के बचाव के लिये कई समितियों में तालपतरी की कमी
बता दे कि बीते कुछ दिनों से मौसम में परिवर्तन देखने को मिल रहा है और कभी भी बारिश होने की आशंका जताई जा रही है। मौसम विभाग के द्वारा भी वर्तमान में बारिश की संभावना जताई गई है परंतु बारिश में धान को बचाने के लिये कई समितियों में पर्याप्त मात्रा में तालपतरी की कमी बनी हुई है। तालपतरी की कमी को देखते हुये कहीं-कहीं पर तो पुराने तालपतरी को संभालकर रखा गया है ताकि बारिश के समय में परेशानी न हो। हालांकि शासन-प्रशासन के द्वारा बारिश से बचने कितना भी उपाय किया गया हो कहीं न कहीं धान बारिश की चपेट में आ ही जाता है और समिति प्रबंधकों को भारी भरकम नुकसान का सामना करना पड़ता है।
धान के उठाव को लेकर कलेक्टर ने किया निरीक्षण
समितियों में धान जाम होने से खरीदी प्रभावित न हो इसके लिये कलेक्टर चन्द्रकांत वर्मा ने बीते दिनों छुईखदान ब्लॉक के गोपालपुर, सिलपट्टी, उदयपुर व रगरा समिति का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने धान बेचने पहुंचे कृषकों से सुविधाओं की जानकारी ली तथा अधिकारियों से धान के उठाव को लेकर भी बातचीत की। ज्ञात हो कि जिले में अभी तक कुल खरीदे गये धान के आधे से भी कम धान का उठाव मिलरों के द्वारा किया गया है, ऐसे में धान जाम की स्थिति निर्मित होना स्वाभाविक है। जिन धान खरीदी केन्द्रों में पर्याप्त स्थान नहीं है उन्हें ओवर राईट डीओ जारी किया जा रहा है। शुक्रवार को भंडारपुर, ईटार, मुढ़ीपार, सिलपट्टी, मड़ौदा, पांडादाह समितियों के लिए ओवर राईट डीओ जारी किया गया है।