पद्मश्री देवीलाल सामर की स्मृति में खैरागढ़ विश्वविद्यालय में लोक संस्कृति का रंगारंग आयोजन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के लोक संगीत विभाग में बुधवार को प्रख्यात लोककलाकार पद्मश्री स्व.देवीलाल सामर की जयंती के उपलक्ष्य में स्मृति देवीलाल सामर कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। यह अवसर न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का माध्यम बना बल्कि लोक संगीत, नृत्य और रंगमंच की समृद्ध विरासत का जीवंत प्रदर्शन भी हुआ। मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.लवली शर्मा रहीं।

उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस सांस्कृतिक विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना एक सौभाग्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने भीतर के कलाकार को पहचानने और उसे तराशने का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.राजन यादव ने की उन्होंने कहा कि साहित्य और लोककलाओं से जुड़े विचार और अनुभव जीवन को गहराई से समझने में सहायक होते हैं जिनका अध्ययन पुस्तकें भी नहीं करवा पातीं। इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजक सहायक प्राध्यापक डॉ.दीपशिखा पटेल ने पद्मश्री सामर के जीवन, कठपुतली कला, लोकनाट्य और राजस्थानी रंगमंच के क्षेत्र में उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में प्रस्तुत लोकगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया।
कालबेलिया नृत्य की मोहक प्रस्तुति ने बाँधा समाँ
राजस्थान के प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य की मोहक प्रस्तुति लोक संगीत विभाग की छात्राओं द्वारा दी गई वहीं डॉ.परमानंद पांडेय ने छत्तीसगढ़ी नारी मन की भावनाओं से जुड़ा सशक्त गीत प्रस्तुत किया। गायन प्रस्तुतियों में डॉ.विधा सिंह राठौर, डॉ.परमानंद पांडेय, कु.ईशा बघेल और साक्षी गढ़पायले शामिल रहीं। वाद्य यंत्रों की संगत में डॉ.बिहारी तारम (बेंजो), डॉ.नत्थू तोड़े (हारमोनियम), रामचंद्र सरपे (ढोल), थानेश्वर (ढोलक), हर्ष चंद्राकर (मंजीरा) और करण तारम (घुंघरू) का विशेष योगदान रहा।