
खैरागढ़ विधायक को की गई मामले की शिकायत
किसान के बेटे ने कहा एक माह से काम के बदले मांगे जा रहे थे रुपए
रिश्वत की रकम नहीं दी तो पटवारी के असिस्टेंट ने दस्तावेज तक फाड़े
एसीबी की कार्रवाई के बाद भी पटवारियों में नहीं दिख रहा ख़ौफ़
केसीजी जिले में किसान मजदूर विवशता भरी जिंदगी जीने मजबूर
खैरागढ़। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई क्षेत्र में एक बार फिर पटवारी तंत्र पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। ग्राम बागर गंडई निवासी किसान के बेटे भगवती साहू ने यहां पदस्थ पटवारी होमलाल धुर्वे और उसके असिस्टेंट आशीष पर रिश्वत मांगने और दस्तावेज फाड़ने का गंभीर आरोप लगाते हुए विधायक यशोदा वर्मा को लिखित में शिकायत सौंपी है।
काम के बदले रिश्वत न देने पर किसान के दस्तावेज फाड़े
शिकायतकर्ता भगवती साहू ने बताया कि उसने 8 अगस्त को गंडई तहसील कार्यालय में जमीन बंटवारे का आवेदन दिया था। इसके बाद से लगातार उससे काम आगे बढ़ाने के नाम पर पैसों की मांग की जाती रही। आरोप है कि जब उसने रिश्वत देने से इनकार किया तो पटवारी और उसके सहयोगी ने न सिर्फ उसका काम रोका बल्कि आवेदन संबंधी दस्तावेज भी फाड़ दिए।
पीड़ित किसान मेहनतकश पर मजबूर को नहीं मिल रही मदद
पीड़ित साहू ने कहा कि वह पेंटिंग का काम कर लगभग 250 रुपये कमाता है वह भी रोज नहीं। अपने किसानी का काम कराने एक माह से तहसील के चक्कर लगाते-लगाते उसने लगभग 5 से 6 हजार रुपये अब तक खर्च कर दिए हैं। बावजूद इसके उसका काम अटका हुआ है। उसने मांग की है कि जो खर्च व्यर्थ हुआ उसकी वसूली दोषी पटवारी से कराई जाए और किसानों-मजदूरों को भ्रष्टाचार की विवशता से राहत दी जाए।
बड़ा सवाल-एसीबी कार्रवाई का असर क्यों नहीं?
ग्रामीणों का कहना है कि कुछ ही दिन पहले जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र कांडे को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। इसके बावजूद पटवारियों में न तो खौफ दिखाई दे रहा है और न ही किसी तरह का भय। किसानों और मजदूरों को अब भी रोजाना भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले ने प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खैरागढ़ विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा ने भी मामले में शिकायत को लेकर पीड़ित किसान का वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया है इसके बाद भ्रष्टाचार के दलदल के बीच किसानों की समस्या को लेकर क्षेत्रवासियों का इसमें समर्थन सामने आ रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिख रहा। सवाल यह भी है कि जब मेहनतकश किसान और मजदूर ही बार-बार भ्रष्टाचार के शिकार बनेंगे तो जिले में शासन-प्रशासन की साख कैसे बचेगी?