
सफल आयोजन के लिए खैरागढ़ में हुई बैठक
सत्यमेव न्यूज की लिए आकाश तिवारी की रिपोर्ट खैरागढ़। आगामी 13 दिसम्बर को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत को सफल बनाने के लिए तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ की अध्यक्ष मोहनी कंवर की अध्यक्षता में 5 दिसम्बर 2025 को महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के अध्यक्ष विजय कुमार होता के निर्देशानुसार व्यवहार न्यायालय खैरागढ़ में हुई। बैठक में राजस्व विभाग अधिवक्तागण, फाइनेंस इंश्योरेंस कंपनियां, विभिन्न बैंक, नगर पालिका, बीएसएनएल तथा विद्युत विभाग के प्रतिनिधियों और कर्मचारियों ने सहभागिता दी। बैठक में आगामी लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण के लिए रणनीति तैयार की गई। अध्यक्ष मोहनी कंवर ने उपस्थित विभागीय अधिकारियों और प्रतिनिधियों को निर्देशित किया कि पेंडिंग एवं प्री-लिटिगेशन मामलों को अधिकाधिक संख्या में लोक अदालत में प्रस्तुत किया जाए। इस अवसर पर सीजेएम निधि शर्मा, जेएमएफसी आकांक्षा खलखो तथा फाइनेंस, इंश्योरेंस और विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि साथ ही पैरालीगल वॉलंटियर गोलूदास साहू बैठक में मौजूद रहे। बैठक में नगर पालिका बीएसएनएल और विद्युत विभाग के प्रतिनिधियों ने अधिक से अधिक प्रकरणों के समाधान के लिये पहल करने की बात कही और बताया कि उनके विभागों द्वारा प्री-लिटिगेशन तथा लंबित प्रकरणों को लोक अदालत में प्रस्तुत किया जा चुका है। आगामी नेशनल लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के व्यवहारिक एवं राजीनामा योग्य मामलों का निराकरण किया जाएगा जिनमें संपत्ति संबंधित वाद धन वसूली प्रकरण बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं से जुड़े मामले राजीनामा योग्य दांडिक प्रकरण मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण परिवार न्यायालय में लंबित वैवाहिक मामले विद्युत अधिनियम से संबंधित प्रकरण तथा अन्य राजस्व संबंधी समझौता योग्य मामले शामिल हैं। लोक अदालत में मामलों के निपटारे से शीघ्र न्याय प्राप्त होता है तथा दोनों पक्षों की सहमति से समाधान होने पर किसी प्रकार की अपील की आवश्यकता नहीं रहती। दीवानी प्रकरणों का त्वरित निपटारा होता है और बीमा कंपनियों द्वारा राजीनामा मामलों में तुरंत मुआवजा राशि जमा कर दी जाती है। इससे पक्षकारों को समय धन और बार-बार अदालत आने की परेशानी से छुटकारा मिलता है। दीवानी मामलों में कोर्ट फीस वापस मिल जाती है किसी भी पक्ष को सजा नहीं होती और बातचीत के माध्यम से विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान हो जाता है। लोक अदालत के निर्णय अंतिम होते हैं और इनके विरुद्ध कोई अपील नहीं होती जिससे आम नागरिकों को सरल और सुलभ न्याय मिल पाता है।