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अपराध

नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को तीन साल का सश्रम कारावास

अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. घर में अकेली पढ़ाई कर रही बालिका के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम देने वाले आरोपी युवक को अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रकुमार कश्यप ने तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. जानकारी अनुसार 11 जुलाई 2020 को बालिका अपने घर में अकेली पढ़ाई कर रही थी, इसी दौरान ग्राम खम्हारडीह निवासी भामेश्वर साहू पिता चतुरदास साहू उम्र 25 वर्ष घर का दरवाजा खटखटाकर घर में प्रवेश कर बालिका के साथ आपराधिक बल का प्रयोग कर आरोपी ने छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया था. घटना पश्चात खैरागढ़ थाने में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी और आरोपी के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 451, 354 (ख), 354 (क)(1)(द्ब)( द्बद्ब) तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 7-8 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद मामला अपर सत्र न्यायालय में चल रहा था.

शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक अलताफ अली ने पैरवी की और उक्त प्रकरण में न्यायाधीश के समक्ष कुल 10 अभियोजन साक्षीगण के साक्ष्य परीक्षण कराये गये जिसके पश्चात आरोपी द्वारा अपराध किया जाना सिद्ध हुआ. आरोपी का दोष सिद्ध होने के पश्चात अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रकुमार कश्यप की अदालत ने आरोपी भामेश्वर साहू पर भादंवि की धारा 451 के अपराध में 2 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया, अर्थदण्ड की राशि अदा नहीं करने पर 2 माह का अतिरिक्त सजा का आदेश पारित किया गया.

इसी प्रकार पॉक्सो जुर्म धारा 7, 8 के अपराध में 3 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 3 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया, अर्थदण्ड की राशि अदान नहीं करने पर आरोपी को 3 माह का अतिरिक्त कारावास की सजा से अधिरोपित किया गया. आरोपी को सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुये विद्वान न्यायाधीश चंद्रकुमार कश्यप ने अपने निर्णय में कहा कि आरोपी द्वारा किया गया कृत्य गंभीर प्रकृति का है, यौन हिंसा गैर मानवीय कार्य होने के अतिरिक्त किसी स्त्री की पवित्रता एवं निजता के अधिकार पर हमला है. यह उसकी प्रतिष्ठा पर कुठाराघात है जिससे उसकी गरिमा को चोट पहुंचती है.

इस प्रकार की घटना विकसित समाज के लिये कलंककारी है, ऐसे में आरोपी किसी प्रकार की सहानुभूति योग्य नहीं है. इसलिये आरोपी को कठोर दण्ड दिया जाना ही युवा वर्ग में ऐसे अपराध एवं अपराध की मानसिकता को पनपने से रोकथाम में सहायक होगा.

Satyamev News

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