Advertisement
IMG-20241028-WA0001
IMG-20241028-WA0002
previous arrow
next arrow
टॉप न्यूज़राजनांदगांव

नवगठित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में पर्यटन की अपार संभावनाएं

पर्यटन को मिला बढ़ावा तो बेरोजगारों को मिल पायेगा सहज रोजगार

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. प्रदेश के 31वें जिले के रूप में खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के अस्तित्व में आने के साथ ही अब यहां विकास की संभावनाएं बलवती नजर आ रही हैं वहीं प्रकृति के मनोरम वातावरण व जीवनदायिनी नदियों के बीच बसे खैरागढ़ जिले में प्राचीन मंदिरों, ऐतिहासिक व पुरातत्विक महत्व के स्थानों के साथ संगीत, कला व ललित कला के तीर्थ के रूप में उपस्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की मौजूदगी के कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं. इन संभावनाओं को लेकर पूर्व से ही खैरागढ़ अंचल को पर्यटन के रूप में विकसित करने की मांग शासन-प्रशासन से होती आ रही हैं लेकिन मांग के अनुरूप अब तक इस दिशा में पूर्ववर्ती सरकारों से लेकर वर्तमान सरकार तथा जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों के प्रयास नाकाफी ही रहे हैं.

खैरागढ़ के मैदानी इलाकों से लेकर वनांचल तक हैं रमणीय पर्यटन स्थल

खैरागढ़ में एशिया के एकमात्र संगीत एवं कला के लिये प्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय स्वमेव एक आकर्षण का केन्द्र है और बेहद दर्शनीय स्थान है. साथ ही नगर में अति प्राचीन रूक्खड़ स्वामी मंदिर तथा माँ दंतेश्वरी मंदिर भी दर्शनीय केन्द्र है. इसके पश्चात जब पर्यटक खैरागढ़ पहुंचने के पश्चात छत्तीसगढ़ का प्रथम जगन्नाथ मंदिर होने का गौरव प्राप्त ग्राम पांडादाह पहुंचकर पूरे जिले के लिये आराध्य भगवान बल्देव जी के मंदिर का दर्शन लाभ प्राप्त कर सकता है. वहां से निकलकर पर्यटक ग्राम सांकरा में बहुत ही सुरम्य पहाड़ी के उपर स्थापित दुर्गा के मंदिर का दर्शन लाभ प्राप्त कर सकते हैं जो भी अत्यंत मनोरम स्थान है. ग्राम सांकरा पश्चात विशाल नवागांव जलाशय जो दो पहाडिय़ों के बीच में बनाया गया है. अत्यंत रमणीय नवागांव जलाशय का आनंद लेते हुये बलौदा पाठ मंदिर का भी भ्रमण कर सकते हैं. इसी प्रकार ग्राम ईटार में आदिवासियों के आराध्य बुढ़ादेव का भव्य मंदिर है वह भी पहाड़ी के उपर ही स्थापित किया गया है. ग्राम लछना में सुप्रसिद्ध बाग द्वार है, बाग द्वार को देखने से ही पर्यटकों को इस बात का एहसास हो जायेगा कि किस प्रकार जंगल के राजा का निवास कर उस सुरंग को बनाया गया है. लछना के बारे में यह भी कहा जाता है कि पूर्व में वह लाक्षा गृह के रूप में उपयोग में लाया गया है. लाक्षागृह से उसका नाम लछना पड़ा है, वहां से निकलकर ग्राम मलैदा जहां घरघोर जंगल के उपर करीब 20 से 25 एकड़ का पठार (मैदान) गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ के पंचमढ़ी के रूप में प्रसिद्ध है. गर्मी में ठंड का एहसास यदि किया जाना है तो मलैदा से अच्छा कोई स्थान नहीं है जहां प्रदेश के आला अधिकारी भ्रमण कर चुके हैं. मलैदा घुमने के बाद पर्यटक के लिये सबसे अच्छा स्थान है प्रधानपाठ बैराज जो अपने सुंदरता और बनावट के लिये विशाल पिकनिक स्थल के रूप मे लोग उपयोग कर रहे हैं. हर त्यौहार में हजारों की संख्या में लोग वहां पिकनिक मनाने जाते हैं. प्रधानपाठ बैराज को देखकर पर्यटकों के लिये करेला भवानी मंदिर भी अपनी सुंदरता और स्थापना के लिये पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. घनघोर जंगल के उपर भवानी माता का विराजमान होना और जंगल के रास्ते से देवी मंदिर तक पहुंचना अत्यंत रोमांचक है. पांडादाह का इतिहास भी इतिहासकार बताते हैं कि वास्तव में पांडवदाह था. इतिहासकार बताते हैं कि पांडवों का निवास पांडादाह से समीप स्थापित जमीन में रहा है, वहां उनके निवास स्थान अलग से दिखाई देता है वहीं खैरागढ़ के मैदानी इलाके में ग्राम शेेरगढ़ में अतिप्राचीन भव्य विशाल शिव मंदिर तथा अतरिया का नथेला मंदिर भी दर्शनीय हैं.

छुईखदान व गंडई के साथ साल्हेवारा का हो सकता पर्यटन के रूप में पूर्ण विकास

नवीन जिले में छुईखदान व गंडई के साथ वनांचल की हरितिमा में बसे साल्हेवारा क्षेत्र का पर्यटन के रूप में पूर्ण विकास हो सकता हैं. छुईखदान से बकरकट्टा मार्ग पर स्थित बैताल रानी भी अद्भुत सडक़ रास्ता है जिसे देखकर पर्यटक स्वयं आनंद का अनुभव करते हंै जो वर्तमान में पूरे छत्तीसगढ़ में पूर्ण रूप से प्रचारित हो चुका है. बैताल रानी में पहुंचने से पूर्व रानी रश्मि देवी जलाशय जो पूरे छत्तीसगढ़ में अपनी विशालता के लिये प्रसिद्ध जलाशय है का दर्र्शन लाभ प्राप्त कर सकते हैं. छुईखदान स्थित बुनकर सोसायटी पहुंचकर दर्शक बेहतर क्वालीटी का कपड़ा खरीद सकते हैं जो पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. प्राचीन काल में बना हुआ गंडई में भगवान शिव का मंदिर, गौमुख चोडऱा धाम तथा अक्षय तृतिया के दिन खुलने वाले मंडिप खोल की अबूझ गुफा भी जंगल के अंदर सुरंग अपने आप में पर्यटको को आकर्षित करने के लिये सुंदर स्थान है वहीं साल्हेवारा मार्ग पर स्थित घाट व वन संपदा से परिपूर्ण नयनाभिराम वातावरण बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर लुभता हैं. इस तरह नवीन खैरागढ़ जिला को उपरोक्त वर्णित स्थानों को उल्लेखित करके पर्यटन विभाग यदि अधिग्रहण कर ले तो पर्यटन की अपार संभावनाएं है.

पर्यटन को मिला बढ़ावा तो खुलेंगे रोजगार के मार्ग

जिला निर्माण होने के साथ ही खैरागढ़ के आसपास जिले के अंदर ही अनेक दर्शनीय एवं भ्रमण योग्य प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत स्थान हैं. सभी स्थानों को एक साथ सम्मिलित किया जाकर प्रदेश के पर्यटन के मानचित्र में यदि शामिल कर लिया जाये तो स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा तथा व्यापार व्यवसाय में भी जिले के निवासियों में वृद्धि होगी. खैरागढ़ अंचल में पर्यटन की अपार संभावनाओं को लेकर सतत प्रयासरत रहे अधिवक्ता व समाजसेवी पं.मिहिर झा बताते हैं कि पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में इस विषय पर तत्कालीन पर्यटन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल से व्यक्तिगत भेंट कर आवेदन दिया गया था जिसे उन्होंने स्वीकार किया और सैद्धांतिक सहमति दी थी किंतु खैरागढ़ के कतिपय वरिष्ठ भाजपा नेताओं से राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण उक्त मांग पूर्ण नहीं हो पाया और पूर्ववर्ती शासनकाल में उक्त प्रक्रिया में विराम लगा दिया गया था जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा. पर्यटन के साथ ही खैरागढ़ जिले में बेरोजगारी दूर करने की दिशा में यह भी प्रस्ताव बनाकर दिया गया है कि राजगामी संपदा न्यास के पास उपलब्ध भूमि में एक शक्कर का कारखाना स्थापित किया जाये तो इस क्षेत्र के किसान अपनी कृषि के पैटर्न को बदलेगा, लोग गन्ना उत्पादन में लगेंगे जिससे किसानों की आर्थिक दशा में सुधार की संभावना है तथा बेरोजगारों को रोजगार भी प्राप्त हो सकेगा और पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा. इस बीच पर्यटन के मानचित्र में शामिल किये जाने के लिये पूर्व में भी भाजपा शासन काल के समय मंदिर सेवा समिति पांडादाह की ओर से एक वृहद प्रस्ताव बनाकर तत्कालीन पर्यटन मंत्री को दिया गया था. तत्कालीन पर्यटन मंत्री खैरागढ़ एवं पांडादाह भ्रमण की तारीख तय होने के बादजूद उनकी ही पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंदता के कारण यात्रा स्थगित कर दिये और प्रस्ताव पर अमल नहीं किया जा सका. तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी पीएस धु्रव ने मंदिर सेवा समिति के प्रस्ताव को पूर्णत: स्वीकार करके पर्यटन विभाग को अग्रेषित किये थे. जिस संभावना के बारे में प्रस्ताव पर्यटन विभाग को भेजा गया था.

राजगामी की 600 एकड़ भूमि का हो सकता हैं पर्यटन के लिये सदुपयोग

इस प्रस्ताव में पूर्व में यह भी लेख किया गया है कि ग्राम पांडादाह में राजगामी संपदा न्यास के पास 600 एकड़ जमीन है. मंदिर परिसर में 26 एकड़ जमीन है जहां 1 सर्वसुविधायुक्त विश्राम गृह या मोटल बनाया जायेगा जहां पर्यटक आकर 2 से 3 दिन रूककर उपरोक्त सभी स्थानों का भ्रमण कर सके और पर्यटन का लाभ ले सके. इस आशय का एक प्रस्ताव पूर्व मे भेजा जा चुका है किंतु राजनीतिक शक्ति के आभाव के कारण पूर्ण नहीं किया जा सका. वर्तमान में डोंगरगढ़ व खैरागढ़ के विधायक मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री के समक्ष इस प्रस्ताव को क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों के साथ ले जाकर रखा जाये तो पर्यटन के रूप में सम्मिलित किये जाने की संभावनाएं है. गौरतलब है कि जिस प्रकार राजिम शहर को पर्यटन में शामिल किया गया है और वहां मेला का आयोजन होता है इसी प्रकार यदि पर्यटन में सम्मेलन किया जाये तो ग्राम पांडादाह के जगन्नाथ मंदिर में आयोजित होने वाले 3 दिवसीय रथयात्रा पर्व राजिम मेला की तर्ज पर प्रसिद्धि प्राप्त कर सकता हैं. इसी प्रकार खैरागढ़ विश्वविद्यालय में होने वाले खैरागढ़ महोत्सव भी अपनी प्रसिद्धि पर है. उपरोक्त आधार पर खैरागढ़ जिला के उपरोक्त वर्णित दर्शनीय स्थलों को यथाशीघ्र पर्यटन में शामिल किया जाये इस आशय का एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा जा चुका है और अब शासन-प्रशासन के सकारात्मक निर्णय की प्रतीक्षा हैं.

Satyamev News

आम लोगों की खास आवाज

Related Articles

Back to top button

You cannot copy content of this page