
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. छत्तीसगढ़ शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में 21 नये एमबीबीएस डॉक्टरों की पदस्थापना का आदेश जारी किया गया है। इनमें से 18 चिकित्सकों को जिला अस्पताल भेजा गया है। ये सभी डॉक्टर पहले चरण की ऑनलाइन काउंसलिंग व आवंटन प्रक्रिया के बाद दो वर्षों की संविदा सेवा पर नियुक्त किए गए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के इस प्रयास को स्थानीय स्तर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने उम्मीद जताई है कि अब खैरागढ़ जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा सेवाएं सुचारू रूप से संचालित होंगी। नए पदस्थ चिकित्सकों में डॉ.खिरोज कुमार वर्मा गंडई, डॉ.मोतीलाल पाली गंडई, डॉ.राहुल पंसारी खैरागढ़, डॉ.महेश कुमार साहू पैलीमेटा, डॉ.हिमांशु जंघेल खैरागढ़, डॉ.आयुष जैन खैरागढ़, डॉ.संस्कार दुबे गातापार, डॉ.अभिनव दुबे गंडई, डॉ.संजना सिंह खैरागढ़, डॉ.घनश्याम बंजारे खैरागढ़, डॉ.यज्ञदीप उइके खैरागढ़, डॉ.जान्वी कौशिक बुंदेली, डॉ.मनीषा खैरागढ़, डॉ.जयंत कुजूर खैरागढ़, डॉ.अजय कुमावत खैरागढ़, डॉ.सचिन कुमार साल्हेवारा, डॉ.मनीष कश्यप खैरागढ़, डॉ.प्रदीप कुमार खैरागढ़, डॉ.भानुप्रताप नेताम साल्हेवारा, डॉ.निलेश कंवर साल्हेवारा व डॉ.अभिषेक भंडारी की साल्हेवारा शासकीय अस्पताल में पद स्थापना की गई है।
ढाई दशक से खैरागढ़ में पदस्थ चिकित्सक परिहार का अचानक स्थानांतरण
लगभग दो दशकों से खैरागढ़ सिविल अस्पताल में पदस्थ डॉ.प्रवीण सिंह परिहार का आखिरकार स्थानांतरण हो गया है। उन्हें खैरागढ़ से हटाकर कवर्धा भेजा गया है। डॉ.परिहार का नाम पिछले कुछ समय से लगातार विवादों में रहा है जिससे स्थानीय जनों में असंतोष व्याप्त था। कुछ दिनों पहले उनके सहायक पर पोस्टमार्टम के बदले मृतक परिजनों से पैसों की मांग करने का गंभीर आरोप सामने आया था। बाद में मामले में फंसे चिकित्सक के सहायक ने बीएमओ का नाम लेकर मामले में नया विवाद खड़ा कर दिया था। इसके बाद अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे एक युवक से मारपीट और डॉक्टर द्वारा नियमित ओपीडी में न बैठने की शिकायतें भी मिली थीं। विवाद यहीं नहीं थमे। हाल ही में कांग्रेस नेताओं के साथ उनके सरकारी आवास में संचालित निजी क्लिनिक में खबर कवरेज के लिए पहुंचे एक पत्रकार से डॉ.परिहार ने न केवल अभद्रता की, बल्कि पत्रकार का मोबाइल छीनने की कोशिश भी की थी। इस पूरे घटनाक्रम से स्वास्थ्य विभाग की छवि पर सवाल उठने लगे थे। नगरवासियों की लंबे समय से यह मांग थी कि डॉ.परिहार को तत्काल हटाया जाए और किसी योग्य व जिम्मेदार चिकित्सक को पदस्थ किया जाए। अब स्थानांतरण के बाद स्थानीय स्तर पर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस बीच नए चिकित्सकों की पदस्थापना के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अब अस्थाई रूप से जिला अस्पताल के रूप में संचालित सिविल अस्पताल खैरागढ़ की अव्यवस्था में सुधार होगा।