जिले के सबसे बड़े सरकारी स्कूल में समस्याओं के बीच अपना भविष्य गढ़ रहे छात्र

हाल-ए-बख्शी स्कूल: पर्याप्त शिक्षक भी नहीं वहीं भवन सहित कक्षाओं की कमी

खूबसूरती से गढ़े गए रियासतकालीन भवन देखरेख के अभाव में हुए बदहाल
स्कूल का ली-हॉस्टल हुआ जर्जर विज्ञान भवन से भी टपक रहा बारिश का पानी

रियासत काल में आजादी के पहले मध्य भारत के सबसे बेहतर स्कूलों में था विक्टोरिया स्कूल का दर्जा
विद्यालय के होनहार छात्रों ने देश-विदेश में किया है खैरागढ़ और संस्था का नाम रोशन
सच्चाई: सरकारी देखरेख में आजादी के बाद और बिगड़ गई स्कूल की स्थिति

पहले विक्टोरिया स्कूल फिर बख्शी स्कूल और अब आत्मानंद स्कूल से जाना जा रहा है विद्यालय
भृत्य और लिपिक भी नहीं जन भागीदारी से चलाया जा रहा है काम
बदहाली: बरसात में प्रार्थना स्थल में खड़ा होना भी हो गया है दुभर
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. रियासत काल में सन 1885 से अलग-अलग नाम से संचालित रहे वर्तमान में डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्वामी आत्मानंद स्कूल की स्थिति आज अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां कर रही हैं। रियासत काल में आजादी के पहले मध्य भारत के सबसे बेहतर स्कूलों में तब यह संस्था विक्टोरिया स्कूल के नाम से प्रतिष्ठित थी लेकिन आज कि वर्तमान परिस्थितियों में सच्चाई यहीं हैं कि सरकारी देखरेख में आजादी के बाद इस ऐतिहासिक शैक्षणिक संस्थान की स्थित और बिगड़ती चली गई। आज भी लगभग 1600 छात्रों को अध्ययन कराने वाला जिले का यह सबसे बड़ा स्कूल शासन प्रशासन की रहम-दिली का इंतजार कर रहा है ताकि वह अपना वजूद बचा सके और बीते 139 साल से होनहार छात्रों के भविष्य को गढ़ने का उसका माद्दा बच पाये।
रोचक है 1885 में विद्यालय निर्माण की कहानी
पाठकों को यह बताना लाजिमी है कि विद्यालय के निर्माण की कहानी बेहद रोचक रही हैं।
बात 1885 के रियासतकालीन दौर कि हैं जब इस संस्थान के मूल भवन में खैरागढ़ रियासत का दीवान बाड़ा हुआ करता था। यहीं से बैठकर खैरागढ़ राज के दीवान आम लोगों की समस्याएं सुनते थे और फैसला भी लेते थे। विद्यालय निर्माण की कहानी को लेकर संस्था में पदस्थ रहे सेवानिवृत शिक्षक और प्रदेश के जाने-माने साहित्यकार डॉ.जीवन यदु बताते हैं कि सन 1885 के दौर में खैरागढ़ रियासत में आम लोगों को बेहतर शिक्षा के लिए विद्यालय की कमी महसूस होने लगी। चूंकि दीवान आम लोगों की समस्याएं सुनते थे और वह बेहद सहज भी थे, खैरागढ़ के लोगों ने विद्यालय की मांग उनके सामने रखी। दीवान साहब को भी लगा जनता की मांग बेहद जायज है। उन्होंने उसे समय तत्कालीन राजा से कहा कि राज परिवार के लोगों को अध्ययन करने रायपुर राजकुमार कॉलेज भेज दिया जाता है लेकिन खैरागढ़ की जनता के लिए यहां एक भी बेहतर विद्यालय नहीं है। जनता की मांग है कि यहां एक विद्यालय खुलना चाहिए। राजा साहब को भी दीवान की यह बात सही लगी। खैरागढ़ रियासत में अब विषय था विद्यालय प्रारंभ करने का लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी विद्यालय के लिए स्थान नहीं मिल रहा था। इस समस्या के समाधान के लिए तत्कालीन राजा और दीवान के बीच यह तय हुआ कि दीवान अपना बाड़ा छोड़ेंगे और यही विक्टोरिया स्कूल के नाम से विद्यालय संचालित होगा। खैरागढ़ के भविष्य के लिए तत्कालीन राजा के आदेश पर दीवान अपना बाड़ा छोड़ दिया और यहां विद्यालय संचालित होने लगा। पहले छात्र के रूप में राजा कमल नारायण सिंह को यहां दाखिला दिया गया था। यह वहीं विद्यालय है जहां मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल और साहित्य वाचस्पति डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने बतौर अध्यापक अपनी सेवाएं भी दी है।
स्कूल में पर्याप्त भवन नहीं, शिक्षकों और कर्मचारियों का भी हैं अभाव
स्कूल में पर्याप्त शिक्षक और कर्मचारी भी नहीं हैं वहीं भवन सहित कक्षाओं की कमी से संस्था जूझ रही है। ऐसे में जिले के सबसे बड़े सरकारी स्कूल में समस्याओं के बीच छात्र अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। वर्तमान में विद्यालय में हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों माध्यमों से पढ़ाई होती हैं। यहां हिंदी माध्यम की कक्षाओं के लिए हिंदी, राजनीति, संस्कृति और भूगोल के शिक्षक नहीं है वही अंग्रेजी माध्यम में भौतिक शास्त्र के शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो पाई है। प्राइमरी और मिडिल की बागडोर संभालने प्रधान पाठक के पद भी यह रिक्त है। 6 भृत्य और एक लिपिक की भी यह आवश्यकता है। इन कमियों को पूरा करने शाला विकास समिति के माध्यम से शिक्षक और कर्मचारी रखे गए हैं। बीते साल अंग्रेजी माध्यम में 507 छात्र अध्यनरत थे वहीं हिंदी माध्यम में 895 छात्रों ने पढ़ाई की। विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य आरएल वर्मा बताते हैं कि विद्यालय में 1600 छात्रों की कैपेसिटी है 1402 छात्र बीते साल यहां अध्यनरत थे।
देखरेख के अभाव में जर्जर हो रहे विद्यालय के रियासतकालीन भवन
शासन और प्रशासन की अपेक्षा के बीच देखरेख के अभाव में खूबसूरती से गढ़े गए विद्यालय के रियासत कालीन भवन पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण और बदहाल हो चुके हैं। बीते साल ही विद्यालय के कुछ हिस्सों का जीर्णोद्धार कराया गया था लेकिन अभी पहली बारिश में वहां सिपेज़ की समस्या आ रही है। विद्यालय के पुराने रियासत कालीन कक्ष का स्ट्रक्चर क्रैक और बैंड हो गया है। परीक्षा विभाग के कक्ष में भी बारिश का पानी टपका रहा है वहीं रियासतकालीन ली-हॉस्टल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुँच चुका हैं, यही हाल कमोबेस विज्ञान भवन का भी है और अब प्रयोगशाला (लैब) से भी पानी टपक रहा है। विद्यालय में टॉयलेट और बाथरूम को भी ठीक करने की आवश्यकता है।
पहले विक्टोरिया स्कूल फिर बख्शी स्कूल और अब आत्मानंद स्कूल से जाना जा रहा है विद्यालय
बीते 139 वर्षों में विद्यालय ने अपने उत्कर्ष और अब संघर्ष की कहानी खुद बयां की है। पहले इसे विक्टोरिया स्कूल के नाम से ख्याति मिली फिर बीते लगभग डेढ़ दशक से इसे बख्शी स्कूल के नाम से जाना जाता रहा हैं और अब इस गौरवशाली संस्थान को आत्मानंद स्कूल से जाना जा रहा है। गौर करने वाली बात यह हैं कि विद्यालय के होनहार छात्रों ने देश-विदेश में खैरागढ़ और संस्थान का नाम रोशन किया हैं। यहां से अध्ययन कर निकले छात्रों ने सिविल सर्विसेज, व्यापार, राजनीति, कला, न्याय, पत्रकारिता सहित हर क्षेत्र में अपना बखूबी हुनर दिखाया है। एक समय था जब मध्य प्रदेश बोर्ड और छत्तीसगढ़ प्रदेश निर्माण के बाद की परीक्षाओं में संस्थान के छात्रों का मेरिट में दबदबा हुआ करता था लेकिन अब इसके वजूद बचाये रखने की कहानी दूसरी ही है। आलम यह है कि बरसात में प्रार्थना स्थल में खड़ा होना भी हो छात्रों और शिक्षकों के लिए दुभर हो गया है।
विद्यालय के 10 अतिरिक्त कमरों का निर्माण अब तक अधूरा
विद्यालय में 10 अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण कार्य अब तक अधूरा है। बीते दो सत्र गुजर जाने के बाद भी यहां छात्रों को सहूलियत से पढ़ने-पढ़ाने के लिए कक्षाओं का अभाव है। लोक निर्माण विभाग की देखरेख में राजनांदगांव के अताउल्लाह खान नामक ठेकेदार को काम दिया गया है लेकिन उसने अब तक काम को पूरा नहीं किया है जिसके कारण छात्रों के बैठने के लिए समस्या यथावत बनी हुई है वहीं बीते साल हुये रिपेरिंग के काम में भी लापरवाही बरती गई हैं जिसके कारण विद्यालय के कमरों से निरंतर सिपेज़ हो रहा हैं। मामले में हमने ठेकेदार से भी उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन उन्होंने कॉल अटेंड नहीं किया।
विद्यालय के जीर्णोद्धार और इसकी बेहतरी के लिए लगातार शासन और प्रशासन के उच्च अधिकारियों से विद्यालय प्रबंधन द्वारा पत्राचार किया जाता रहा है, वर्तमान में 10 कक्ष के निर्माण का कार्य चल रहा है।
आरएल वर्मा, प्रभारी प्राचार्य
ठेकेदार की लापरवाही की वजह से निर्माण कार्य में देरी हुई है। लगभग 1 महीने में कक्ष निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा।
एलडब्ल्यू तिर्की, ईई पीडब्ल्यूडी खैरागढ़
पूर्व में शासन स्तर पर ही फंड सही समय में नहीं मिल पाया, इसलिए ठेकेदार ने काम रोक दिया था, उसने काम में थोड़ी देर की हैं अब निर्माण जारी हैं।
संजय जागृत, एसडीओ पीडब्ल्यूडी खैरागढ़