जिले के जलाशय क्षेत्र में लग रहा जुआरियों का फड़
दिवाली त्यौहार में लगातार जारी है जुआ–सट्टा का कारोबार
जुआरियों पर लगाम लगाने में पुलिस लग रही नाकाम
सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ . जिले के जलाशय क्षेत्र में रोजाना जुआरियों का फड़ लग रहा है जहां लाखों रुपए का खेल चल रहा है, जिले में बड़े पैमाने में चल रहे इस खेल को नाकाम करने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। जानकारी अनुसार दिवाली पर्व में हर साल जुआ–सट्टा का खेल चलता है, इस साल भी जिले में खासकर जलाशयों में आसपास जुए का फड़ लग रहा है। छुईखदान क्षेत्र के छिंदारी बांध को भी कुछ लोगों ने अवैध कमाई का अड्डा बना लिया है और आसपास के लोगों ने जुआ और शराबखोरी का अड्डा बना लिया है। बताया जा रहा है कि फड़ संचालकों द्वारा अपने ग्राहकों को अड्डा की जानकारी पहले से बता दिया जाता है ताकि उन्हे आने जाने और वाहन को छुपानें में कोई परेशानी न हो। यह भी जानकारी मिली है कि पुलिसिया कार्यवाही से बचने छुईखदान से बांध तक 3–4 स्थानों पर उनके लोग आने जाने वालों पर नजर रखते है। इस मार्ग से गुजरने वाले और संदिग्धों की जानकारी फड़ में भेजते रहते हैं ताकि बचने में आसानी हो सके। बता दे कि उक्त स्थानों पर भारी भरकम ब्याज पर उधार में रकम मुहैया कराया जाता है ताकि लाखों की कमाई हो सके। यहां से रकम उठाने वाले को हर दिन 10 प्रतिशत ब्याज देना होता है। लोगों के जरूरत के मुताबिक यहां पान, बीड़ी, सिगरेट, चाय एवं नाश्ता का भी प्रबंध किया जाता है जिसे बाजार मूल्य से दो से तीन गुना दाम पर दिया जाता है। यह भी फड़ संचालकों की कमाई का एक जरिया है। जुआ–सट्टा के इस खेल को अवसर में बदलते हुए फड़ संचालक सहित उनके परिचित हारने वालों को दस प्रतिशत प्रति दिन ब्याज की दर से रकम भी मुहैया कराते है। यह सक्रिय लोग प्रतिदिन एक से दो लाख तक जुआरियो को फाइनेंस करते है। जुए के इन फाड़ो में प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ जुआरियों का जमावाड़ा लगता है जहां एक बार में 50 हजार से एक लाख तक का दांव भी लगता है वहीं कुछ स्थानों में इससे कम दाम भी लगाए जाते है। इस खेल के संचालकों, दलालों और फड़ मुंशियों को रोजी के रूप में प्रति दांव दस प्रतिशत राशि देना होता है। खास बात यह है कि पुलिस की सतर्कता को देखते हुए जुआरी रोज ठिकाना बदल रहे है। इसी के चलते पुलिस इन जुआरियों पर लगाम लगाने में असफल साबित हो रही है। दिवाली के इस पर्व में लाखों रुपए का दाव पेंच लगाया जा चुका है जिसके चंगुल में हजारों युवा आ चुके है। ये युवा जुआ की लत में अपनी गाढ़ी कमाई लुटा रहे है जिसे रोक पाना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है।
जिले के जलाशय क्षेत्र में लग रहा जुआरियों का फड़
00 दिवाली त्यौहार में लगातार जारी है जुआ–सट्टा का कारोबार
00 जुआरियों पर लगाम लगाने में पुलिस लग रही नाकाम
खैरागढ़. जिले के जलाशय क्षेत्र में रोजाना जुआरियों का फड़ लग रहा है जहां लाखों रुपए का खेल चल रहा है, जिले में बड़े पैमाने में चल रहे इस खेल को नाकाम करने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। जानकारी अनुसार दिवाली पर्व में हर साल जुआ–सट्टा का खेल चलता है, इस साल भी जिले में खासकर जलाशयों में आसपास जुए का फड़ लग रहा है। छुईखदान क्षेत्र के छिंदारी बांध को भी कुछ लोगों ने अवैध कमाई का अड्डा बना लिया है और आसपास के लोगों ने जुआ और शराबखोरी का अड्डा बना लिया है। बताया जा रहा है कि फड़ संचालकों द्वारा अपने ग्राहकों को अड्डा की जानकारी पहले से बता दिया जाता है ताकि उन्हे आने जाने और वाहन को छुपानें में कोई परेशानी न हो। यह भी जानकारी मिली है कि पुलिसिया कार्यवाही से बचने छुईखदान से बांध तक 3–4 स्थानों पर उनके लोग आने जाने वालों पर नजर रखते है। इस मार्ग से गुजरने वाले और संदिग्धों की जानकारी फड़ में भेजते रहते हैं ताकि बचने में आसानी हो सके। बता दे कि उक्त स्थानों पर भारी भरकम ब्याज पर उधार में रकम मुहैया कराया जाता है ताकि लाखों की कमाई हो सके। यहां से रकम उठाने वाले को हर दिन 10 प्रतिशत ब्याज देना होता है। लोगों के जरूरत के मुताबिक यहां पान, बीड़ी, सिगरेट, चाय एवं नाश्ता का भी प्रबंध किया जाता है जिसे बाजार मूल्य से दो से तीन गुना दाम पर दिया जाता है। यह भी फड़ संचालकों की कमाई का एक जरिया है। जुआ–सट्टा के इस खेल को अवसर में बदलते हुए फड़ संचालक सहित उनके परिचित हारने वालों को दस प्रतिशत प्रति दिन ब्याज की दर से रकम भी मुहैया कराते है। यह सक्रिय लोग प्रतिदिन एक से दो लाख तक जुआरियो को फाइनेंस करते है। जुए के इन फाड़ो में प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ जुआरियों का जमावाड़ा लगता है जहां एक बार में 50 हजार से एक लाख तक का दांव भी लगता है वहीं कुछ स्थानों में इससे कम दाम भी लगाए जाते है। इस खेल के संचालकों, दलालों और फड़ मुंशियों को रोजी के रूप में प्रति दांव दस प्रतिशत राशि देना होता है। खास बात यह है कि पुलिस की सतर्कता को देखते हुए जुआरी रोज ठिकाना बदल रहे है। इसी के चलते पुलिस इन जुआरियों पर लगाम लगाने में असफल साबित हो रही है। दिवाली के इस पर्व में लाखों रुपए का दाव पेंच लगाया जा चुका है जिसके चंगुल में हजारों युवा आ चुके है। ये युवा जुआ की लत में अपनी गाढ़ी कमाई लुटा रहे है जिसे रोक पाना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है।