छ: सूत्रीय मांगों को लेकर तीन दिवसीय धरने पर बैठे राशन विक्रेता संघ
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालक विक्रेता संघ तीन दिवसीय धरने पर बैठे हैं. मांग को लेकर विक्रेता संघ ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें बताया गया है कि माह नवम्बर 2022 में बिना पूर्व सूचना के प्रदेश के सभी शासकीय उचित मूल्य दुकानों में बिना सत्यापन के खाद्यान्न की भौतिक कटौती न्यायोचित नहीं है. वर्ष 2016-17 में वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिये टैबलेट के माध्यम से वितरण प्रणाली लागू कर बिना प्रशिक्षण के वितरण प्रणाली लागू की गई जिसके चलते वेंडरों को टेबलेट से वितरण प्रणाली में तकनीकी दिक्कत आ रही थी, सर्वर की समस्या के कारण आफलाइन वितरण किया गया लेकिन नेट नहीं होने के कारण अपलोड नहीं किया गया. स्थिति के अनुसार एक सामान्य वितरण प्रणाली बनाई गई जो टैबलेट में शेष स्कंध दिख रहा है.
माह फरवरी 2022 से पूर्व शेष स्टॉक को शून्य कर दिया जाये जब से ई-पॉ शुरू हुआ है उस बचत स्टॉक को किस्तों में समायोजन की व्यवस्था बनाई जाये. वर्तमान में पिछले 2 माह से सर्वर की समस्या बनी हुई है, जिससे वितरण व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. इसलिए कांटे की कनेक्टिविटी को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए और एक बार खाद्यान्न सामग्रियों की ई-पॉस में पुष्टि की व्यवस्था की जाये ताकि वितरण व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके. छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय उचित मूल्य दुकानों के विक्रेताओं को सम्मानजनक मानदेय 30 हजार रूपये लागू करने अथवा अन्य राज्यों की भांति कमीशन राशि में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने की व्यवस्था की जाये. राज्य के समस्त शासकीय उचित मूल्य दुकानों का मार्जिन कमीशन राशि वित्तीय पोषण की राशि वर्ष 2018, 2019, 2020 के बारदानों की राशि प्राप्त नहीं हुई है, जिसे यथाशीघ्र प्रदान किया जाये.
शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालक विक्रेताओं के बैंक खते में सभी प्रकार की कमीशन राशि को संचालनालय रायपुर से सीधा प्रदान किया जाये. नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में खाद्यान्न भंडारण की जाती है जिसमें 3 प्रतिशत अतिरिक्त सूखत के रूप में प्रति क्विंटल के हिसाब से भंडारण किया जाये जिससे शॉर्टेज की कमी को पूरा किया जा सके. आने वाले दिनों में मांग पूरी नहीं होने पर धरना प्रदर्शन करने बध्या होंगे जिसकी जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी.