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छुईखदान जनपद में सरकारी राशि के दोहरे भुगतान का खुलासा

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। छुईखदान जनपद पंचायत में दोहरी भुगतान के मामले ने प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीधे वेंडर भुगतान में अनियमितताओं की पुष्टि के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्थानीय स्तर पर मामला उजागर होने के बाद भी विभागीय चुप्पी बनी हुई है।

नवीन जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत में पदस्थ तीन ऑपरेटर सतीश जांगड़े, भुवन रजक और दीपक साहू ने एक ही समय में पंचायतों एवं जनपद दोनों स्थानों से मानदेय प्राप्त किया। नियमों के अनुसार कोई भी कर्मचारी एक समय में दो संस्थानों से कार्य कर दोहरा भुगतान नहीं ले सकता फिर भी उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि इन ऑपरेटरों ने डिजिटल सिग्नेचर (डीएससी) का उपयोग कर पंचायत निधि से भी भुगतान उठा लिया।
प्रकरण में लाखों रुपये के भुगतान की अनियमितता उजागर हुई है। पर जनपद पंचायत की शिफर कार्रवाई से कई सवाल उठ रहे हैं।

जांच में सामने आए आँकड़े दर्शाते हैं कि
सतीश जांगड़े ने वित्तीय वर्ष 2024–25 में जनपद से मानदेय ₹50,000 प्राप्त किया वहीं पंचायतों यथा भुरभुसी, बिरनपुरकला, चिलगुड़ा, लिमो, ठंडार) से ₹33,350 मिले। दीपक साहू को
जनपद से ₹50,000 और पंचायतों से यथा आमाघाट कांदा, भरदागोड़, बुढ़ानभाठ, कुटेलीखुर्द, पदमावतीपुर, सिलपट्टी, उदान जीराटोला में कुल ₹53,400 का भुगतान हुआ। भुवन रजक को
जनपद से ₹50,000 व पंचायतों यथा खुडमुठी, पथर्रा, सिंगारपुर, ठाकुरटोला से ₹50,710 प्राप्त हुये। अर्थात तीनों ऑपरेटरों ने कई पंचायतों में डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कर अनाधिकृत भुगतान निकाल लिया है।

छुईखदान जनपद पंचायत की सीईओ केश्वरी देवांगन ने कहा कि एक ही समय में दो जगह से मानदेय लेना अत्यंत गंभीर मामला है। उन्होंने आश्वस्त किया कि संबंधित प्रकरण की विस्तृत जांच कराई जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि लिपिक लिकेश तिवारी के विरुद्ध कार्रवाई संबंधी पत्र पूर्व में प्राप्त हुआ था जिसे पुनः परीक्षण के लिए देखा जा रहा है।

इस प्रकरण में पहले ही लिपिक स्तर पर कार्रवाई के निर्देश जारी हो चुके हैं लेकिन अब तक कोई प्रत्यक्ष अनुशासनात्मक कार्रवाई सामने नहीं आई है। सिर्फ पत्राचार तक सीमित प्रशासनिक प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो रहा है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध ठोस कदम उठाने की इच्छाशक्ति का अभाव है।

ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों का कहना है कि जब लाखों रुपये के फर्जी भुगतान के प्रमाण मौजूद हैं तो सिर्फ कागजी कार्रवाई से जनता का विश्वास कम होता है। उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच एवं दोषियों पर आर्थिक तथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की माँग की है।

Satyamev News

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