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छुईखदान जनपद पंचायत में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा, एक दैनिक वेतनभोगी ऑपरेटर ने 66 पंचायतों से वसूले एक करोड़ रुपये

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. जनपद पंचायत छुईखदान में भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जनपद कार्यालय में कार्यरत एक दैनिक वेतनभोगी ऑपरेटर सुदामा साहू ने नियमों को दरकिनार करते हुए अपनी निजी दुकान “साहू मोटर एंड पम्प” के नाम से 66 ग्राम पंचायतों से 365 बिल लगाकर लगभग एक करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त कर लिया। यह रकम वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान ग्राम पंचायतों को पेयजल, सीमेंट, बिजली, बोरवेल, मोटर और अन्य निर्माण सामग्रियों की आपूर्ति के नाम पर वसूली गई। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सारी आपूर्ति उसी फर्म से की गई, जिसका संचालन स्वयं सुदामा साहू करता है। इतना ही नहीं, भुगतान भी सीधे उसके निजी खाते में किया गया है।

पाठको को ज्ञात हो कि यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 168 के सीधे उल्लंघन का प्रतीक है, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि कोई भी पंचायत कर्मचारी किसी भी पंचायत योजना या संविदा कार्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ नहीं ले सकता। यहां एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी स्वयं सप्लायर बनकर पंचायतों से भुगतान उठा रहा है, जो स्पष्ट रूप से हितों के टकराव (Conflict of Interest) और दुरुपयोग पद का मामला बनता है।

सुदामा साहू की फर्म वनाँचल के पैलीमेटा गांव में स्थित है, जो जनपद मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर है। फिर भी उसके बिल ऐसे गांवों से भी जुड़े हैं जो जनपद कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या इन गांवों में और आसपास कोई अन्य सप्लायर उपलब्ध नहीं था? आखिर इतनी दूर से सामान मंगवाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

जब इस मामले में जनपद पंचायत छुईखदान के सीईओ रवि कुमार से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इससे जनपद कार्यालय की भूमिका पर और अधिक संदेह गहराता है। क्या इतनी बड़ी लेन-देन बिना अधिकारियों की जानकारी और सहमति के संभव थी?

सुदामा साहू द्वारा जिन पंचायतों से भुगतान प्राप्त किया गया उनमें चोभर ₹2.20 लाख, अचानकपुर ₹4.84 लाख, दरबानटोला ₹9.30 लाख, मानपुर पहाड़ी ₹3.49 लाख, सरोधी ₹3.43 लाख, सहसपुर ₹4.27 लाख, सिंगारपुर ₹2.94 लाख सहित कुल 66 पंचायतें शामिल हैं। एक-एक पंचायत से 10–15 बिल लगाए गए हैं।इस मामले में सुदामा साहू का कहना है कि काम मेरी दुकान से ही हुआ है। जनपद में जब काम ज्यादा होता था, तो मुझे टेक्निकल नॉलेज के आधार पर बुलाया जाता था। मेरी दुकान पैलीमेटा में है और जीएसटी कम्पोजिशन श्रेणी में रजिस्टर्ड है। पंचायतों ने मुझसे ही सामान खरीदा है।”

पूरे मामले को लेकर जानकारो का मानना है कि यह सिर्फ एक वित्तीय लेन-देन का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे जनपद स्तर पर फैले भ्रष्टाचार के नेटवर्क की परछाई दिखती है। यदि अन्य योजनाओं और मदों की जांच की जाए तो और भी कई करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान सामने आ सकते हैं।

एक दैनिक वेतनभोगी ऑपरेटर यदि अकेले लगभग पूरे जनपद में सप्लायर बन सकता है, तो सवाल उठता है कि यह कार्य किसकी मिलीभगत और संरक्षण में हो रहा था? क्या जनपद पंचायत छुईखदान भ्रष्टाचार का केंद्र बन चुका है? यह मामला अब न सिर्फ जनपद की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि समूचे पंचायत तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। जरूरत है निष्पक्ष जांच की, ताकि जनता का पैसा और जनहित सुरक्षित रह सके।

Satyamev News

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