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छुईखदान कृषि महाविद्यालय का डंका ब्राजील में बजा 

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. ब्राजील के अराकाजू में 08 से 11 नवम्बर तक आयोजित 4 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में छुईखदान के कृषि महाविद्यालय का डंका बजा. यहाँ मुनगा पर तृतीय अंर्तराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें रानी अवंतीबाई लोधी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, छुईखदान में कार्यरत सब्जी विज्ञान के सह.प्राध्यापक डॉ.बीएस असाटी ने मुनगा पर दो शोध पत्र प्रस्तुत किये। डॉ.असाटी विगत 12 वर्षो से मुनगा पर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। इन्होने छत्तीसगढ़ एवं भारत के अन्य जिलो से 220 से अधिक मुनगा की प्रजातियों का संग्रहण कर उनके उन्नयन का कार्य कर किया हैं. इन्होने अपने शोध पत्र में छत्तीसगढ़ की प्रथम फोर्टिफाइड मोरिंगा हर्बल चाय को विकसित कर उसका प्रस्तुतीकरण एवं प्रदर्शन किया तथा इस संगोष्ठी में दूसरा प्रस्तुतिकरण डॉ.असाटी द्वारा मुनगा पत्तियों की अधिकतम उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए रोपण ज्यामिति के प्रभाव का अध्ययन के बारे में किया गया।

 आयोजित सम्मेलन में चीन, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, आर्मेनिया, फिलीपींस, ब्राजील, मिस्र आदि विश्व के अलग-अलग दिशाओं से आए विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों ने इसकी सराहना की। जिससे खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिले के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य का भी गौरव बढ़ा हैं। डॉ.असाटी ने बताया की मुनगे की पत्तियों में पाये जाने वाले क्वेरसेटिन, और क्लोरोजेनिक एसिड से ब्लड मे शकर्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। यह चाय इंसुलिन को कंट्रोल करने में भी मददगार है। इसके अलावा इसमें फिनॉल कंटेंट, एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनॉयड्स, टेनन, बीटाकरोटिन, कैल्शियम आदि तत्व पाए जाते हैं। यह सभी मिलकर एक पॉवरफुल इम्युनिटी सिस्टम बनाते हैं जो बॉडी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। प्रतिदिन मोरिंगा चाय पीने से ताजगी और स्फूर्ति, ब्लड प्रेशर कंट्रोल, बेहतर पाचन तंत्र, त्वचा में निखार एवं चर्बी कम होती है।

डॉ.असाटी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुनगा को जादुई पौधा कहा जाता है। इसका प्रत्येक भाग तना, पत्ती, जड़, फल, फूल सभी उपयोग में लाया जाता है। मुनगा की पत्तियों में पाये जाने वाले विभिन्न 92 प्रकार के पोषक तत्वों में गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन “ए”, संतरे से 7 गुना विटामिन “सी, पालक से 3 गुना आयरन, दूध से 4 गुना कैल्शियम, केला से 3 गुना पोटेशियम एवं बादाम से 3 गुना विटामिन “ई” पाया जाता है। इसकी पत्तियों में प्रतिरक्षी टेरिगोस्परमिन नामक रसायन पाया जाता है, जो मानव शरीर में होने वाली छोटी-बड़ी 300 से अधिक बीमारियों जिसके अंतर्गत प्रमुख बीमारी जैसे मधुमेह, कैंसर, हड्डियों का दर्द, किडनी की समस्या, लीवर की समस्या, मूत्र विकार के निदान में सहायक है। शोध में पाया कि सुपोषण के लिए मुनगा की पत्ती या पावडर को 4 से 5 ग्राम प्रतिदिन वयस्क के लिए एवं बच्चों के लिए 1 से 2 ग्राम प्रतिदिन उपयोग करना चाहिए। मुनगा की पत्तियों में पोषक तत्वों की अधिकता होने के कारण यह राज्य में कुपोषण निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। छत्तीसगढ़ में अभी भी कुपोषण की समस्या बनी हुई है। इसको मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, आंगनबाड़ी कार्यक्रम, गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को दाल के साथ मुनगा की पत्ती को शामिल कर बहुत हद तक आयरन एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है। क्योंकि भारत सरकार की नीति-आयोग के अनुसार छत्तीसगढ़ में 37.60 प्रतिशत 5 साल आयु से कम के बच्चों में कुपोषण की समस्या है तथा 41.50 प्रतिशत तक ग्रामीण महिलाएं एवं बालिकाएं रक्त अल्पता से प्रभावित है। इस समस्या के निदान के लिए प्रारंभिक स्तर पर डॉ.असाटी ने ने रेडी टू कूक पुलाव एवं रेडी टू ईट पोहा तैयार किए है। प्रयोगात्मक-रूप से मुनगा के महत्व समझते हुए जिला प्रशासन राजनांदगांव, सूरजपुर, दंतेवाड़ा एवं बस्तर ने मुनगा को विभिन्न कार्यक्रम जैसे आंगनबाड़ी, स्कूल में मध्याहृ भोजन, आदिवासी छात्रावास में मुनगा से बने उत्पाद शामिल करने की पहल की है। 

मुनगा की पत्तियों की महत्ता को समझते हुए एवं वर्ष भर बेमौसम मुनगा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के सहयोग से विभिन्न मूल्य-वर्धित उत्पाद तैयार कर रहा है। मुनगा के विभिन्न उत्पाद जिसमें मुनगा पावडर, मुनगा फ्लेक्स, मुनगा कुकीज़, मुनगा ब्रेड, मुनगा टोस्ट, मुनगा चाय, मुनगा चॉकलेट, मुनगा स्नेक्स, मुनगा मफिन, मुनगा मसाला मिक्स, मुनगा सूप, मुनगा लड्डू, मुनगा काजू कतली, मुनगा खारी, मुनगा सेव प्रमुख है। डॉ.असाटी प्रसार के माध्यम से इस उन्नत मुनगा प्रजाति को किसानों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहें है। विश्वविद्यालय के माध्यम से मुनगा उत्पादन की उन्नत तकनीक एवं मुनगा के उत्पादों के संबंध में देश के साथ-साथ अन्य देश जैसे अमेरिका, नेपाल, श्रीलंका, बंगालादेश के व्यावसायी लोग भी तकनीकी ज्ञान ले रहे है। मुनगा की खेती के प्रति जागरूकता लाने के लिए प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मुनगा दिवस मनाने की शुरूआत हुई है। इसका उद्देश्य लोगों एवं किसानों के प्रति मुनगा की उपयोगिता, महत्व एवं उन्नत खेती का प्रचार-प्रसार करना है, जिससे किसान गुणवत्ता उत्पादन के साथ-साथ मार्केटिंग एवं प्रस्संकरण की जानकारी प्राप्त कर सके। इस दिवस के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य के ग्राम नवांगांव, भर्रेगांव, धामनसरा, ढोलपिट्टा, नाथूनवांगांव एवं मोहड़ में मुनगा की उन्नत किस्मों के हजारों की संख्या में पौधे लगवाकर एवं तकनीक का फैलाव कर मुनगा गांव विकसित किया है। डॉ.बीएस असाटी के ब्राजील मेँ प्रस्तुतीकरण को लेकर रानी अवंती बाई कृषि महाविद्यालय के डीन अविनाश गुप्ता, ओम नारायण वर्मा सहित महाविद्यालय के स्टॉफ ने श्री असाटी को छत्तीसगढ़ का नाम विदेश में रोशन करने पर बधाई व शुभकामनाएं दी हैं.

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