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बाघ की मौजूदगी को लेकर वन विभाग बरत रहा दिन-रात चौकसी
छत्तीसगढ़ की सीमा क्षेत्र से मध्य प्रदेश की ओर टाइगर के लौटने के संकेत
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश की सीमा से लगे सुदूर जंगल में बाघ ने एक मवेशी का शिकार किया है। मृत मवेशी की पहचान एक गाय के रूप में हुई है पर इसका शिकार बाघ ने ही किया है इसे लेकर विभाग कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रहा है अलबत्ता बाघ की मौजूदगी को लेकर वन विभाग बीते सप्ताह भर दिन-रात चौकसी बरत रहा है। खासतौर पर बीते तीन दिनों से खैरागढ़ वन मंडल के मलैदा-भावे के सघन जंगलों में बाघ (टाइगर) की मौजूदगी की पुष्टि के बाद वन विभाग का अमला सतत निगरानी बनाए हुये वहीं केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की भी खैरागढ़ के जंगलों में बाघ के मूवमेंट को लेकर पूरी जिम्मेदारी से दिलचस्पी बनी हुई है।
खैरागढ़ के जंगलों से बाघ के वापस लौटने के मिल रहे हैं संकेत
खैरागढ़ के जंगलों से बाघ के वापस लौटने के पुष्ट संकेत भी मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के सीमा क्षेत्र से मध्य प्रदेश की ओर टाइगर के लौटने के संकेत मिल रहे है। ऐसा माना जा रहा है कि बाघ कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान से जिले के जंगल में दाखिल हुआ है और वह पुनः उसी ओर वापस लौट रहा है। गौरतलब है कि डोंगरगढ़ खैरागढ़ से लेकर मैकल पर्वत श्रेणी का सुदूर वन क्षेत्र वाला इलाका कान्हा किसली तक बाघ का एक सुरक्षित और इको फ्रेंडली कारीडोर है इसी दिशा से टाइगर वापसी कर सकता है। वन अफसरों का मानना है कि बाघ की सुरक्षा को लेकर खास निगरानी और सुरक्षा के बंदोबस्त किये जा रहे है। राष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता एजेंसियों ने शिकारियों से बाघ को खतरा भी बताया है। सुरक्षा के लिहाज से वन महकमे के अफसर बाघ के वास्तविक लोकेशन को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट है कि बीते तीन दिनों से खैरागढ़ के जंगल में टाइगर लगातार अपनी मौजूदगी बनाए हुए हैं और मध्य प्रदेश की ओर आगे बढ़ रहा है। टाइगर के मूवमेंट को लेकर सतर्क वन अमला लगातार अंदरूनी गांवों में मुनादी करा रहा है और लोगों को आवाजाही के दौरान सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
परसों जंगल में गाय का शिकार हुआ है लेकिन यह शिकार टाइगर ने किया है इसकी पुष्टि नहीं हुई है। टाइगर अभी भी खैरागढ़ के वन क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं जिसे लेकर विभाग सतत निगरानी रखे हुए हैं।
आलोक तिवारी, डीएफओ खैरागढ़