छठवीं बार मिला विश्वस्तरीय सम्मान, “कामधेनु रंगोली” को मिला गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान

खैरागढ़ की मनोहर गौशाला ने रचा फिर इतिहास
सत्यमेव न्यूज़ के लिये संपादक अनुराग शाँति तुरे खैरागढ़। दीपोत्सव के पावन अवसर पर मनोहर गौशाला खैरागढ़ ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। गौशाला ने फलों, सब्जियों और सूखे मेवों से निर्मित 2700 किलोग्राम वजनी “कामधेनु रंगोली” तैयार कर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। यह मनोहर गौशाला खैरागढ़ को मिला लगातार छठवां विश्व रिकॉर्ड है जो गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और भारतीय संस्कृति के प्रति उसकी अटूट निष्ठा का प्रतीक बन गया है।
14 घंटे की मेहनत से सजी 2700 किलो की रंगोली
लगभग 25 कलाकारों की टीम ने 14 घंटे के सतत परिश्रम से इस विशाल “कामधेनु रंगोली” का निर्माण किया। रंगोली में गौ माता को अपने बछड़े सहित मातृत्व स्वरूप में सजीव चित्रित किया गया है। आयोजन का नेतृत्व गौ सेवक चमन डाकलिया ने अपने जन्म दिवस को गौ सेवा दिवस के रूप में मनाते हुए किया। रंगोली पूर्ण होने के बाद गौ माता को फलों व सब्जियों की “दावत” दी गई जिसे प्रतीकात्मक रूप से आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण किया गया। इसी के साथ आयोजन ने विश्व रिकॉर्ड में स्थान बना लिया।

गौशाला में संस्कृति, विज्ञान और पर्यावरण का अद्भुत संगम
मनोहर गौशाला के ट्रस्टी डॉ.अखिल जैन (पदम डाकलिया) ने बताया कि गाय में 33 करोड़ देवी–देवताओं का वास माना गया है। वह पृथ्वी, जल, वायु और पर्यावरण की रक्षक है जो प्रदूषण कम करती है, मिट्टी को उर्वर बनाती है और मानव के लिए शुद्ध प्राणवायु प्रदान करती है। उन्होंने कहा यह केवल आस्था नहीं बल्कि वैज्ञानिक सत्य है। गाय के बिना प्रकृति का चक्र अधूरा है। ऐसे आयोजन संस्कृति, विज्ञान और पर्यावरण के बीच सेतु का कार्य करते हैं और समाज में श्रद्धा, उत्साह तथा पर्यावरण–प्रेम का संदेश देते हैं।

युवा स्वयंसेवी चमन डाकलिया बने आयोजन के प्रेरणास्रोत
डॉ.जैन ने कहा कि चमन डाकलिया जैसे युवा स्वयंसेवी और गौभक्त समाज के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने अपने जन्म दिवस को गौ सेवा दिवस के रूप में मना कर एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। पिछले वर्ष भी उन्होंने 2000 किलो फल और सब्जियों से रंगोली बनाकर गौ माताओं को समर्पित किया था जिसने प्रदेशभर में प्रेरणादायी संदेश दिया था।
जहां गौ सेवा है वहीं संस्कृति, विज्ञान और समृद्धि
डॉ.जैन ने कहा “छठवीं बार विश्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर मनोहर गौशाला ने यह सिद्ध कर दिया है कि जहां गौ सेवा है वहीं संस्कृति, विज्ञान और समृद्धि का संगम भी है। यह केवल उपलब्धि नहीं बल्कि समाज के लिए एक प्रेरक संदेश है।