खैरागढ़ सिविल अस्पताल में लापरवाही से मौत का मामला, 25 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं!

सत्यमेव न्यूज के लिए मनोहर सेन खैरागढ़। सिविल जिला अस्पताल खैरागढ़ में डॉक्टर और नर्स की लापरवाही से 34 वर्षीय युवक विजेंद्र चौरे ऊर्फ नाहन भाऊ की मौत हुए 25 दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश तो दे दिए मगर जांच शुरू ही नहीं हो सकी। सूत्रों का कहना है कि विभाग के ही कुछ जिम्मेदार अधिकारी लापरवाह डॉक्टर और नर्स को बचाने में लगे हैं जबकि कुछ लोग इसे राजनीतिक संरक्षण का परिणाम बता रहे हैं। जांच आदेश जारी होने के बावजूद अब तक प्रक्रिया प्रारंभ न होना विभागीय निष्क्रियता और अंदरूनी मिलीभगत को उजागर करता है।

26 सितंबर शनिवार तड़के अंबेडकर वार्ड निवासी नाहन भाऊ को अचानक सीने में जलन हुई। परिजन तत्काल उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन वहां न डॉक्टर मिले न नर्स। बताया गया कि ड्यूटी पर तैनात नर्स धनेश्वरी साहू और डॉक्टर आयुष जैन नींद में थे। इलाज में हुई देरी के कारण विजेंद्र ऊर्फ नाहन भाऊ ने अस्पताल के बरामदे में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया।

विजेंद्र चौरे अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। उसकी असमय मौत से घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मोहल्लेवासी और बौद्ध समाज के लोगों का कहना है कि समय पर इलाज मिलता तो जान बच सकती थी। समाज के संरक्षक मधुकर चोखान्द्रे और अध्यक्ष उत्तम कुमार बागडे ने मामले को लेकर कहा है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो समाज उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा। मामले में कांग्रेस के मिशन संडे टीम संयोजक मनराखन देवांगन ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी दोषियों को बचाने में जुट गये है। स्वाथ्य विभाग में अब जनसेवा नहीं जनता के साथ विश्वासघात हो रहा है। इसका हिसाब अब सड़क पर उतरकर लिया जाएगा।

मामले में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ.विवेक बिसेन ने जांच की पुष्टि की थी लेकिन 25 दिन बाद भी न तो जांच शुरू हुई है और न कोई सार्थक रिपोर्ट सामने आयी है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी जांच के नाम पर सच्चाई दबाने की कोशिश हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लापरवाह कर्मचारियों को बचाने में जुटे हैं जिससे पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

मामले को लेकर जागरूक नगरवासियों का कहना है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी से स्पष्ट है कि आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं रह गई है। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो शहर में जनआंदोलन की लहर उठेगी। इस संबंध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आशीष शर्मा ने कहा जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि परिजनों का कहना है कि जांच सिर्फ कागजों में सीमित है और अब तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। लोगों का आरोप है कि जांच की प्रक्रिया को जानबूझकर रोका जा रहा है ताकि दोषी बच सकें।

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