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खैरागढ़ विश्वविद्यालय में हुआ तानसेन संगीत समारोह का आयोजन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. विश्वप्रसिद्ध तानसेन संगीत समारोह के शताब्दी वर्ष के तहत मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार 26 नवंबर को विश्वविद्यालय के परिसर क्र.02 स्थित नरेन्द्रदेव प्रेक्षागृह में तानसेन संगीत समारोह 2024 का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रेम कुमार पटेल, कुलसचिव इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, अधिष्ठाता संगीत संकाय प्रो.नमन दत्त तथा भूतपूर्व प्रोफेसर एवं मूर्धन्य तबला वादक पं.मुकुंद भाले, मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के प्रतिनिधि संजय मिश्रा सहित विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण व प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। संध्याकालीन संगीत कार्यक्रम के पूर्व दोपहर 12 बजे तानसेन पर केन्द्रित एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस परिचर्चा में प्रो.नमन दत्त, विवेक नवरे, डाॅ.हरिओम हरि एवं डाॅ.लिकेश्वर वर्मा विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे। शाम 6 बजे विश्वप्रसिद्ध मूर्धन्य कलाकारों द्वारा गायन, सितार वादन एवं सरोद वादन की प्रस्तुति दी गई। सर्वप्रथम उपस्थित अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की कांस्य प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवल कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इसके बाद पं.अरूण मोरोने एवं आयुष मोरोने (इंदौर) के द्वारा सितार वादन की प्रस्तुति दी गई जिसमें तबला संगत पं.अरविंद आजाद (पुणे) ने की। सितार वादन में मूर्धन्य कलाकारों ने राग झिंझोटी की नयनाभिराम व कर्णप्रिय प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति ने दर्शक दीर्घा को मंत्रमुग्ध कर दिया, खासकर पं.अरविंद आजाद के तबला वादन ने खूब तालियां बटोरी। इसके पश्चात पं.भुवनेश कोमकली (देवास) के द्वारा गायन की प्रस्तुति दी गई जिसमें तबले पर रामेन्द्र सिंह सोलंकी (भोपाल) तथा हारमोनियम पर श्रीकांत पीसे (नागपुर) ने संगत की वहीं तानपुरा पर वर्षिता वंशावली व रोहिणी साहू ने संगत की। अंतिम प्रस्तुति में पं.जयदीप घोष (कोलकाता) के द्वारा सरोद वादन की प्रस्तुति दी गई जिसमें तबला संगत पार्थ सारथी मुखर्जी (भिलाई) ने की। इस दौरान पं.जयदीप घोष की प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम का संचालन डाॅ.लिकेश्वर वर्मा एवं जगदेव नेताम ने किया साथ ही इस संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन डाॅ.लिकेश्वर वर्मा ने किया।

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