खैरागढ़ विश्वविद्यालय में जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
भील जनजाति के जनयोद्धा टंट्या भील के जीवन पर आधारित नाटक का हुआ मंचन
शोधार्थियों द्वारा जनजातीय समाज से संबंधित शोधपत्र का किया गया वाचन
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन वक्ताओं ने जनजातीय अस्मिता और उनकी कला परम्परा से श्रोताओं को अवगत कराया। इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता राजीव शर्मा प्रचार-प्रसार प्रमुख वनवासी विकास समिति रायपुर ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल व अधिष्ठाता लोकसंगीत एवं कला संकाय डॉ.योगेन्द्र चौबे उपस्थित रहे। वक्ता के रूप में रामनाथ कश्यप रायपुर, डॉ.रवि श्रेय रायपुर व बहादुर सिंह खुसरो प्राचार्य उच्च.माध्य. शाला साल्हेवारा उपस्थित रहे। राजीव शर्मा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये बताया कि हमारा मूल जनजातीय संस्कृति के बीच है और इसे बचाने के लिये सभी समाज को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय किसी से पीछे नहीं है, उनमें सभी गुण विशेषताएं हैं। श्री शर्मा ने जनजातीय संस्कृति को लुप्त होने से बचाने के लिये दस्तावेज लेखन पर विशेष जोर दिया और कहा कि इसके लिये जनजातीय समूह के बीच रहकर उनकी संस्कृति तथा विचारों को समझने की आवश्यकता है जिसके बाद ही आने वाली पीढ़ी को सही जानकारी मिल पायेगी। डॉ. रवि श्रेय ने भगवान बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा क्यों दिया गया इससे अवगत कराते हुये उनकी जीवनी से अवगत कराया। रामनाथ कश्यप ने जनजातीय समूह की आस्था, संस्कृति सहित पौराणिक विषयों की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने जनजातीय समुदाय की अस्मिता से श्रोताओं को अवगत कराया। बहादुर सिंह खुसरो ने बताया कि जनजातीय समाज अपनी अस्मिता को बचाने सदैव तत्पर रहता है। बिरसा मुंडा 25 साल की उम्र में ऐसा कार्य कर गये कि जनजातीय समुदाय उन्हें भगवान मानने लगे। इसके पश्चात अलग-अलग प्रांत से पहुंचे शोधार्थियों सहित वक्ताओं ने जनजातीय समुदाय पर आधारित शोध पत्रों का वाचन किया जिसमें डॉ. सियाराम साहू, डॉ.मीनू रमन, रामेश्वरी महिलांगे, प्रीतम मेराव व छात्रा कुंती निषाद शामिल है। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल ने संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों, अधिष्ठाताओं, प्राध्यापकों सहित छात्रों का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि शासन की मंशानुरूप कार्य किया गया है जो सराहनीय रहा। उन्होंने सभी कलाकारों से पारंपरिक कलाओं को महत्व देने की बात कही। उन्होंने आगे कहा कि हम सब मिलकर विश्वविद्यालय का नाम आगे बढ़ाते हुये बेहतर कार्य करेंगे।
भील जनजाति के जनयोद्धा टंट्या भील के जीवन पर आधारित नाटक का हुआ मंचन
व्याख्यान के बाद इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग के छात्रों द्वारा भील जनजाति के जनयोद्धा टंट्या भील के जीवन पर आधारित नाटक की प्रस्तुति दी गई। उक्त नाटक के माध्यम से छात्र कलाकारों द्वारा ‘रॉबिनहुड ऑफ इंडिया’ कहे जाने वाले जनजातीय जनयोद्धा टंट्या भील की जीवनी को रेखांकित किया गया जिसे दर्शकों सहित उपस्थित वक्ताओं ने खूब सराहा। उक्त नाटक का निर्देशन थियेटर विभाग के पूर्व छात्र चंद्रहास बघेल के द्वारा डॉ.योगेन्द्र चौबे विभागाध्यक्ष थियेटर के मार्गदर्शन में किया गया था।