खैरागढ़ में राजशाही परम्परा के साथ हुआ रावण दहन, आचार संहिता के कारण पालिका का आयोजन रहा फीका

पहली बार राजा रूप में आर्यव्रत की निकली शाही सवारी
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. नगर के फतेह मैदान में रियासतकाल से चली आ रही परम्परा के अनुसार रावण दहन किया गया. इससे पहले शाही बग्घी में खैरागढ़ राजपरिवार के राजा आर्यव्रत सिंह अनुपम बग्घी में विराजित राम, लक्ष्मण व हनुमान के प्रतीको के साथ सिविल लाईन स्थित मां अंबे दुर्गोत्सव समिति के पंडाल से नगर भ्रमण के लिये निकले, जहां लोगों ने उनका अभिवादन स्वीकार कर जगह-जगह उनकी आरती उतारी और राजतंत्रीय परम्परा को नमन किया. पूर्व विधायक और सांसद रहे खैरागढ़ के राजा स्व. देवव्रत सिंह के निधन के 2 साल बाद खैरागढ़ का शाही दशहरा आयोजित हुआ. क्षेत्रवासी राजा रूप में आर्यव्रत को देखने लालायित रहे. 2 साल बाद दशहरा उत्सव में प्रशासनिक निगरानी में बंद कमल विलास पैलेस भी खुला, यहाँ उन्होंने अपनी माता पद्मा देवी सिंह का आशीर्वाद लिया और अपने अनुयायियों के साथ सिविल लाइन दुर्गा मंच पहुंचे जहां माँ अंबे की पूजा अर्चना के बाद राज परिवार की शाही सवारी निकाली और नगर भ्रमण करते हुए फतेह मैदान पहुंची जहां नयनाभिराम आतिशबाजी व हजारों क्षेत्रवासियों की मौजूदगी के बीच राजा आर्यव्रत ने रावण दहन किया.
दूसरी ओर बांके बिहारी मंदिर से नगर पालिका द्वारा मां अंबे की विसर्जन झांकी निकाली गई तदोपरान्त इतवारी बाजार रावण भाटा में रावण के पुतले का दहन किया गया. ज्ञात हो कि आसन्न चुनाव की वजह से आचार संहिता लगने के कारण इस बार दशहरे में किसी प्रकार का कोई आयोजन नहीं रखा गया था जिस वजह से नगर का बाजार फीका दिखाई पड़ा. ग्रामीण अंचल से आये लोग किसी भी प्रकार का कोई आयोजन नहीं होने के चलते मायूस नजर आये, पहले की अपेक्षा इस बार बाजार में भी रौनकता कम दिखाई पड़ी. दशहरा उत्सव को लेकर नगर पालिका परिषद द्वारा नागरिको के मनोरंजन के लिये इस बार कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किये गये जिससे नगर वासियों सहित नगर पहुंचे ग्रामीणों को खासी निराशा हुई. केवल राजघराना दशहरा उत्सव समिति के द्वारा ही फतेह मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जहां देर रात तक कला प्रेमी डटे रहे.